________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हुआ, कसा हुआ 2. शृंखलित, बेडियों से जकड़ा हुआ बध (भ्वा० आ०-बीभत्सते-मूल अर्थ को बताने वाले 3. बंदी, पकड़ा हुआ 4. अवरुद्ध, कारावासित 5, कमर बघ धातु का सन्नन्त रूप) घिन करना, घणा करना, कसे हुए 6. संयत, दबाया हुआ, रोका हुआ अरुचि रखना, संकोच करना, झिझका, ऊबना (अपा० 7. निर्मित, बनाया हुआ 8. प्यार किया गया, के साथ) येभ्यो बीभत्समाना:- उत्तर० 1 / रिझाया गया 9. मिलाया गया, संहित 10. पक्का | बधिर (वि०) [बन्ध+किरच बहरा, ध्वनिभिर्जनस्य जमाया गया. दढ / सम०-अडगलित्र.- अगङलित्राण | बधिरीकृतश्रुतेः---शि० 1313, मनु० 7149 / (वि.) दस्ताना पहने हुए,-अञ्जलि (वि.) हाथ / | बधिरयति (ना० धा० पर०) बहरा बनाना (आलं. जोड़े हए, आदर या सम्मान प्रदर्शित करने के लिए से भी) बधिरिताशेषदिगन्तरालम्- का०, महावी० नम्रता पूर्वक दोनों हाथ जोड़ कर नमस्कार करते 680 / हुए,-- अनुराग (वि०) स्नेह में बंधा हुआ, प्रेम के बधिरित (वि.) [बधिर+इतच बहरा किया गया, बहरा कारण अनुरक्त, प्रेमबंधन में जकड़ा हुआ, अनुशय बनाया गया। (वि०) पश्चात्ताप करने वाला, आशक (वि.) बधिरिमन (पं०) बधिर इमनिच बहरापन / जिसकी आशंकाएं बढ़ गई हैं, शङ्काकुल,-उत्सव (वि०) | बन्दिः, दी (स्त्री) विन्द-इन, वन्दि+डीप] 1. बंधन, उत्सव या त्यौहार मनाते हुए, उद्यम (वि०) मिलकर | कारावास 2. कैदी, बंधुआ---कु० 2 / 61 / प्रयत्न करनेवाले, * कक्ष, कक्ष्य (वि०) दे० 'बद्धपरि बन्ध (क्रया० पर० बध्नाति, बद्ध०, कर्म० बध्यते) कर'-कोप, मन्यु,-रोष (वि०) 1. क्रोध अनुभव करते 1. बांधना, कसना, जकड़ना-बद्धन संभावित एव हुए, क्रोध या रोष की भावना रखते हुए 2. अपने तावत्करेण रुद्धोऽपि च केशपाशः - कु. 7.57, रघु० क्रोध का दमन करने वाला, चित्त, मनस् (वि०) 719, कु०७।२५, भट्टि० 9 / 75 2. दबोचना, पकड़ना, मन को किसी ओर जमाये हए, मन को किसी ओर जेल में डालना, जाल में फंसाना, वंदी बनाना दृढ़तापूर्वक लगाने वाला, -जिह्व (वि०) जिसकी __-कर्मभिर्न स बध्यते भग० 4 / 14, बलिर्बबन्धे जिह्वा कील दी गई है,--दृष्टि,-- नेत्र, --लोचन -भट्टि० 2 / 39, 14 / 56 3. जंजीर में बांधना, (वि०) आंख को एक ओर जमा कर ताकने वाला, बेड़ी में जकड़ना 4. रोकना, ठहराना, दमन करना टकटकी लगाकर देखने वाला,-धार (वि.) लगातार यथा बद्धकोप, बद्धकोष्ठ आदि में 5. पहनना, धारण अविच्छिन्न रूप से बहने वाला, नेपथ्य (वि०) करना- न हि चूडामणिः पादे प्रभवामीति बध्यते नाटकीय वेशभूषा धारण किये हए, परिकर (वि०) --पंच० 1172, बबन्धुरंगुलित्राणि भट्टि० 1417, कमर बांधे हुए, कमर कसे हुए, तैयार, सज्जित, 6. (आंख आदि का) आकृष्ट करना, गिरफ्तार ---- प्रतिज्ञ (वि०) 1. जिसने कोई व्रत या प्रतिज्ञा की करना- बबन्ध चक्षूपि यवप्ररोहः- कु० 7.17, या है 2. दृढ़ संकल्प बाला, भाव (वि०) स्नेहशील, वध्नाति मे चक्षुः (चित्रकूट:). रघु० 13147 दिल लगाये हुए, मुग्ध (अधि० के साथ) - दृढं त्वयि 7. स्थिर करका, जमाना, (आँख या मन आदि) बद्धभावोर्वशी-विक्रम 02, - मुष्टि (वि०) 1. मुट्ठी निदेशित करना, डालना (अधि० के साथ) - दृष्टि बांध हुए 2. मुट्ठी भींचे हुए, कंजूस, - मूल (वि०) लक्ष्येषु बन्धन् ---मुद्रा० 112, रधु० 3 / 4, 6 / 36, जिसकी जड़ गहराई तक गई हो, जड़ पकड़ हुए भट्टि० 20122 8. (बाल आदि) बाँधना, मिलाकर -बद्धमूलस्य मूलं हि महद्वरतरोः स्त्रियः ----शि० जकड़ना -- मुद्रा० 7.17 9. निर्माण करना, संरचन 2 / 28,-- मौन (वि०) जीभ थामे हुए, मौन रहने करना, रूप देना, व्यवस्थित करना-बद्धोमिनाकववाला, चुप अदृश्यत त्वच्चरणारविन्दविश्लेषदुःखा- नितापरिभुक्तमुक्तम्--कि० 8 / 57, मुगकुलं रोमन्थदिव बद्धमौनम्-- रघु० 13123, राग (वि.) मभ्यस्यतु० श० 216, तस्याञ्जलि बन्धुमतो वबन्ध आसक्त, मुग्ध, अनुरक्त-पंच० 11123,--- वसति -~~-रघु०१६।५, 4 / 38, 11 / 35, 78, कु० 2147, (वि०) अपना वास स्थान स्थिर करने वाला, --वाच 5 / 30 भट्टि० 777 10. एकत्र करना, रचना (व०) जिह्वा रोके हुए, चप रहने वाला,-वेपथु करना, (कविता श्लोक आदि) निर्माण करना (वि.) कंपकंपी से ग्रस्त, वर (वि.) जिसको ... तुष्टबद्धं तदलघु रघुस्वामिनः सच्चरित्रम् किसी से घोर घृणा हो गई हो या पक्की शत्रुता हो गई -विक्रम०१८।१०७, श्लोक एव त्वया बद्धः-रामा० हो,- शिख (वि०) 1. जिसने अपनी चोटी बांध ली 11. वनाना, पैदा करना, (फल आदि) जन्म देना ह, (चोटी में गाँठ दे ली है) 2. जो अभी बच्चा है, --रघु० 12 / 69, श०६।४ 12. रखना, अधिकार में बालक,---स्नेह (वि.) अनुराग करने वाला, करना, ग्रहण करना, संजो कर रखना --उत्तर० 2 / 8, स्नेहशील / ('बंध' के अर्थों में उन संज्ञाओं के अनुसार जिनसे वह For Private and Personal Use Only