________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खता। चखना 2. खिलाना, स्वाद चखाना-मनु० 2 / 29, / / भूमिका विषयक-जैसा कि 'प्रास्ताविक विलास' में 3. आहार, भोजन / (भामिनी--विलास का प्रथम या प्रारंभिक अंश) प्राशनीयम् | प्र---अश्+अनीयर ] आहार, भोजन / प्रास्ताविक बचनम् भूमिका में दिया गया विवरण प्राशस्त्यम् [प्रशस्त-व्यञ ] श्रेष्ठता, स्तुत्यता, प्रमु- 2. ऋतु के अनुकूल, अवसरानुसार, सामयिक 3. संगत, प्रसंगानुकूल, (प्रस्तुत विषय से) संबद्ध---अप्रास्ताप्राशित (भू० क० कृ०) [ प्र---अश् + क्त ] खाया हुआ, विकी महत्येषा कथा-मा०२। चखा हुआ, उपभुक्त,--तम् मृत पुरखाओं के पितरों को प्रास्तुत्यम् [ प्रस्तुत-व्यञ ] विचार विमर्शका विषय उदकदान और पिण्डदान, पितरों के और्ध्वदेहिक होना। संस्कार-प्राशितम् पितृतर्पणम् मनु० 3174 / | प्रास्थानिक (वि०) (स्त्री०-की) [प्रस्थान+ठ ] प्राश्निकः [ प्रश्न +ठक ] 1. परीक्षक 2. मध्यस्थ, विवा- प्रयाण से संबद्ध या बिदा के अवसर के उपयुक्त-रघु० चक, न्यायाधीश अहो प्रयोगाभ्यन्तरः प्राश्निकः 2170 2. बिदा के अनुकूल / -~मालवि०१। प्रास्थिक (वि.) (स्त्री०-की) [प्रस्थ--ठण ] 1. तोल प्रासः [ प्र+अस् / घन ] 1. फेंकना, डालना, (तीर) ___ में एक प्रस्थ 2. एक प्रस्थ में मोल लिया हआ छोड़ना 2. बी, भाला, फलकदार अस्त्र (जिसमें 3. प्रस्थभर तोल का 4. एक प्रस्थ बीज से बोया गया। फल लगाया हुआ हो)। मनु०६।३२, कि० 1614 / प्रास्त्रवण (वि.) (स्त्री०-णी) [प्रस्रवण+अण] झरने प्रासकः [ प्रास+कन् ] 1. बी, भाला, या फल लगा हुआ | से उत्पन्न स्रोत से निकला हुआ। अस्त्र 2. पासा। प्राहः [प्रकर्षण 'आह' शब्दो यत्र--प्रा० ब०] नृत्यकला प्रासंगः [प्र-+ सञ्- घन , उपसर्गस्य दीर्घः ] बलों के की शिक्षा। लिए जुआ। प्राहः [प्रथमं च तदहश्च, कर्म० स०, टच, अह्लादेशः, प्रासनिक (वि० ) ( स्त्री० - को)[ प्रसंग-ठक ] णत्वम् ] दोपहर से पहले का समय / 1.घनिष्ट संयोग से उत्पन्न 2. संयुक्त, सहज 3.प्रसंगा- | प्रा प्राहुतन (वि०) (स्त्री०-नी) [प्राहु-+-ट्यु, तुट, नि: नकल, आकस्मिक, आपाती, यदाकदा होने वाला एत्वम् ] मध्याह्न से पूर्व होने वाला, या मध्यानपूर्व ---प्रासङ्गिकीनां विषयः कथानाम् - उत्तर० 2 / 6 संबंधी। #. संबंधानुकूल. ऋत्वनुकूल, अवसरानु कूल 6. उपा- प्राहेतराम्-तमाम् (अव्य०) [प्राह +तरप् (तमप्), ख्यान विषयक। आम्, नि० एत्वम् ] प्रातःकाल, बहुत सवेरे / प्रासङ्ग्यः [प्रासंग-+-यत् | हल में जतने वाला बैल। प्रिय (वि.) [प्री-क] (म० अ०--प्रेयस, उ० अ० प्रासादः [प्रसीदन्ति अस्मिन्-प्रसद्+घञ, उपसर्गस्य -प्रेष्ठ ] 1. प्रिय, प्यारा, पसन्द आया हुआ, रमणीय, दीर्घः ] 1. महल, भवन, गगनचुंबी विशाल भवन - अनुकूल बन्धुप्रियाम् कु० 1126, रघु० 329 . भिक्षुः कुटीयति प्रासादे- सिद्धा०, मेघ० 64 2. राजभवन 3. मंदिर का देवालय / सम०--अङ्गनम 2. सुहावना, रुचिकर-तामूचतुस्ते प्रियमप्यमिथ्याम् - रघु० 1416 3. चाहने वाला, अनुरक्त, भक्त किसी महल या मन्दिर का आंगन,----आरोहणम् महल -प्रियमण्डना ...श. 4 / 9, प्रियारामा वैदेही-उत्तर में जाना या प्रविष्ट होना, कुक्कुटः पालतू कबूतर, २.-.यः 1. प्रेमी, पति-स्त्रीणामाद्यं प्रणयवचनं -तलम् महल की समलत चपटी छत,---पृष्ठ: महल विभ्रमो हि प्रियेष- मेघ० 28 2. एक प्रकार का की चोटी पर बना छज्जा,-प्रतिष्ठा मन्दिर की मृग,--या प्रिया (पत्नी), पत्नी, स्वामिनी-प्रिये प्रतिष्ठा, या अभिमन्त्रण,--शायिन् (वि.) महल चारुशीले प्रिये रम्यशीले प्रिये-गीत० 10 2. स्त्री में सोने वाला, शृङ्गम् किसी महल या मन्दिर का 3. छोटी इलायची 4. समाचार, संसूचन 5. खींची कलस या मीनार, कंगूरा। हुई मदिरा 6. एक प्रकार का चमेली (का फूल), प्रासिकः [ प्रास् +-ठक् ] भाला रखने वाला, बर्ची-धारी। -यम् 1. प्रेम 2. कृपा, सेवा अनग्रह--प्रियमाचरितं प्रासूतिक (वि.) (स्त्री०-का) प्रसूति+ठक] प्रसव लते त्वया मे विक्रम०-१११७, मत्प्रियार्थयियासोः ___ से संबंध रखने वाला, बच्चे के जन्म से संबद्ध / मेघ० 22, प्रियं मे प्रियं मे, 'मेरी अच्छी सेवा की प्रास्त (भू० क० कृ०) [प्र+अस्+क्त ] 1. फेंका गया, गई'...-भग० 1123, पंच० 11365,193 3. सुखद (बछी भाला आदि) चलाया गया, डाला गया, छोड़ा समाचार-रघु०१२।९१, प्रियनिवेदयितारम् श० 4 .. गया 2. निर्वासित किया गया, बाहर निकाला गया। 4. आनन्द, सुख,-यम् (अव्य०) बड़े सुहावने या प्रास्ताविक (वि०) (स्त्री०-की)| प्रस्ताव-+ठक ] प्रस्ता- रुचिकर ढंग से। सम० ...अतिथि (वि.) आतिथेय, वना का काम देने वाला, प्रस्तावना या परिचय, | अतिथिसत्कार करने वाला, अपायः किसी प्रिय वस्तु For Private and Personal Use Only