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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 3. नालिश, आवेदन, विनती, प्रणय-प्रार्थना ...कदा- | प्रावास (वि.) (स्त्री० --) सी | प्रवास+अण् ] यात्रा चिदस्मत्प्रार्थनामन्तःपुरेभ्यः कथयेत्-श० 2 / सम० | संबंधी, यात्रा में करने या दिये जाने के योग्य / -.-भङ्गः प्रार्थना अस्वीकार करना, सिद्धिः इच्छा | प्रावासिक (वि०) (स्त्री० की) [प्रवास+ठक | यात्रा की पूर्ति प्रार्थनासिद्धिशंसिनः --रघु० 1142 / के लिए उपयुक्त। प्रार्थनीय (सं० कृ०) [प्र+अर्थ+ अनीयर ] 1. प्रार्थना प्रावीण्यम [प्रवीण-व्यञ ] चतुराई, कुशलता, प्रवीणता, या आवेदन किये जाने के उपयक्त 2. अभिलषणीय, दक्षता आविष्कृतं कथा प्रावीण्यं वत्सेन - उत्तर० 4, चाहने के योग्य,- यम् तृतीय या द्वापर युग / 15168 / प्रार्थित (भू० क० कृ०) [प्र+अर्थ+क्त ] 1. याचना प्रावृत (भू० क० कृ०) [प्र+आ+वृक्त ] घिरा हुआ, किया हुआ, प्रार्थना किया हआ, पुछा हआ, आवेदन घेरा हुआ, ढका हुआ, परदों वाला,--तः, तम् धूंधट, किया गया 2. अभिलषित, इच्छित 3. आक्रान्त, शत्रु बुरका, चादर (स्त्री० भी)। के द्वारा विरोध किया गया-रघु. 9 / 56 4. मारा प्रावृतिः (स्त्री०)प्र+आ+व+क्तिन् ] 1. घेरा, बाड़, गया, चोट की गई (दे० प्रपूर्वक अर्थ)। ___ आड़ 2. आध्यात्मिक अन्धकार / प्राथिन् (वि.) [प्र+अर्थ+णिनि ] 1. मांगने वाला, | प्रावृत्तिक (वि०) (स्त्री० -की) [ प्रवृत्ति+ठक गौण, प्रार्थना करने वाला 2. कामना करने वाला, इच्छा ____ अप्रधान, . कः दूत / करने वाला-मन्दः कवियशःप्रार्थी गमिष्याम्यपहास्य- | प्रावृष (स्त्री०) प्र+आ+वृष्+क्विप्] वर्षा ऋतु, ताम्— रघु० 1 // 3 / मौसमी हवा, वर्षा काल (आषाढ़ और श्रावण काल प्रालम्ब (वि.) [ प्र+आ+लम्ब+अच् ] 1. झूलता का महीना)-कलापिनां प्रावृषि पश्य नृत्यम् रघु० लटकता हुआ--प्रालम्वद्विगुणितचामरप्रहास:-वेणी० 6 / 51, 19 // 37, प्रावट प्रावडिति प्रवीति शय्धी: क्षारं २।२८,-बः 1. मोतियों का बना आभूषण 2. स्त्री क्षते प्रक्षिपन्-मृच्छ० 5 / 18, मेघ० 115 / सम० का स्तन,-बम् छाती तक लटकने वाला कंठहार | - अत्ययः (प्रावृडत्ययः) वर्षा ऋतु का अन्त,—काल: -प्रालंबमुत्कृष्य यथावकाशं निनाय साचीकृतचारुवक्त्रः (प्रावृट्काल:) वर्षा ऋतु। - रघु०६।१४, मुक्ताप्रालंबेषु का० 52 / प्रावृषः,-षा [ प्र--आ- वृष-|-क, प्रावृष---टाप् ] बर्षा प्रालम्बकम् [प्रालम्ब+कन् ] दे॰ 'प्रालम्ब' / ऋतु, वर्षा काल / प्रालम्बिका प्रालम्ब+कन्-टाप, इत्वम् | सोने का हार। प्रावृषिक (वि०) (स्त्री० - को) [ प्रावृष-+ठञ् ] वर्पा प्रालेयम् [प्र+ली--ज्यत्-प्रलेय+अण् ] हिम, कुहरा, ऋतु में उत्पन्न,-कः मोर / ओस, तुषार-ईशाचलप्रालेयप्लवनेच्छया- गीत० 1 | प्रावृषिज (वि.) [प्रावृषि जायते जन्+3, अलुक् प्रालेयशीतमचलेश्वरमीश्वरोऽपि (अधिशेते)-शि० स० ] वर्षा ऋतु में उत्पन्न / 4 / 64, मेघ० 39 / सम० -अद्रिः, -शैलः हिमा प्रावृषेण्य (वि.) [प्रावृष+एण्य ] वर्षा ऋतु में उत्पन्न, च्छादित पहाड, हिमालय ... मेघ०५७ -- अंशु, कारः, वर्षा ऋतु से संबद्ध - सा कि शक्या जनयितुमिह प्राव--- रश्मि 1. चन्द्रमा 2. कपूर, - लेशः ओला। षेण्यन ... वारिदेन भामि० 1130, 416, रधु० प्रावटः [प्र+अव+अट्-+-अच् ] जौ। 1 / 36 2. वर्षा ऋतु में देय (ऋण आदि)---ण्यः प्रावणम् [प्र+आ+वन्+घ ] फावड़ा, खुरपा, कुदाल / 1. कदम्ब वृक्ष 2. कुटज वृक्ष,--ण्यम् बहुसंख्यकता, प्रावरः [ प्र+आ++अप] 1. बाड़, घेरा 2. (हेम० बाहुल्य, प्राचुर्य / ___ के मतानुसार) उत्तरीय वस्त्र 3. एक देश का नाम / | प्रावृष्यः [प्रावृष्-यत् ] 1. एक प्रकार का कदंब का वृक्ष प्रावरणम् [प्र+आ+-+ ल्युट ] ओढ़नी, चादर विशे- 2. कुटज वृक्ष, - ष्यम् वैदूर्यमणि, नीलम / षतः कोई उत्तरीय वस्त्र, चोंगा, लबादा या दुपट्टा / प्रायेण्यभ् (नपुं०) बढ़िया ऊनी चादर / प्रावरणीयम् [प्र+आ+व+अनीयर् ] उत्तरीय वस्त्र। प्रावेशन (वि.) (स्त्री० - ना) | प्रवेशन--अण् प्रवेश प्रावरः [प्र+आ+व-घा ] 1. उत्तरीय वस्त्र, चोंगा, करने पर जो दिया जाय या किया जाय (किसी घर लबादा 2. एक जिले का नाम / सम० --कीटः दीमक, में या रंगमंच पर)। पतंग / प्रावण्यम्, प्राणाज्यम् प्रव्रज्यायण, पक्षे उत्तरपदप्राचारफः [प्रावार+कन् ) उत्तरीय वस्त्र, चोगा या वृद्धिश्च | धार्मिक साधु या सन्यासी का जीवन / लबादा- यदीच्छसि लम्बदशाविशालं प्रावारकं सूत्रश- प्राशः / प्र+अश्+घा ] 1. खाना, स्वाद चखना, तहि युक्तम् ---मृच्छ० 8 / 22, जातीकुसुमवासितः / निर्वाह करना, पुष्ट होना मनु० 11 / 143, धूम प्रावारकोऽनुप्रेषितः मृच्छ०१।। आदि 2. आहार, भोजन / / प्रवारिकः [प्रावार+ठक] उत्तरीय वस्त्रों का निर्माता। प्राशनम् [प्र+अश्+ ल्युट ] खाना, पुष्ट होना, स्वाद For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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