________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 668 ) प्रभास्वर (वि.) [प्र+भास् ---वरच्] उज्ज्वल, चमकीला, | प्रभ्रंशित (भू० क० कृ०) [प्र+भ्रंश् +-णिच्+क्त ] चमकदार। ___1. फेंका गया, डाल दिया गया 2. वञ्चित / प्रभिन्न (भू० क० कृ.) [प्र-भिद्+क्त ] 1. अलग प्रभ्रंशिन् (वि.) [प्र+भ्रंश+णिनि ] टूटकर गिरना, किया हुआ, खंडित, फाड़ा हआ, विभक्त किया हुआ झड़ना। 2. टुकड़े किया हुआ 3. काटा हुआ, वियुक्त किया प्रभ्रष्ट (भू० क० कृ०) [प्र-भ्रंश् + क्त ] गिरा हुआ, हआ 4. मुकुलित, विकसित, खिला हआ 5. बदला नीचे पड़ा हुआ, ष्टम् सिर पर विराजमान मुकुट हआ, परिवर्तित 6. विरूपित, विकृत 7. शिथिलित, की शिखापर धारण की गई फूल-माला, शिखाबढीला 8. नशे में चूर, मदमस्त---कु० 5 / 80 (दे० लंबिनी फूलमाला। प्रपूर्वक भिद्),-नः मतवाला हाथी / सम०--अञ्जनम् | प्रभ्रष्टकम् [प्रभ्रष्ट+कन् ] दे० 'प्रभ्रष्ट' / काजल / प्रमग्न (भू० क० कृ०) [प्र+मस्ज्+क्त ] डूबा हुआ, प्रभु (वि.) (स्त्री०-भ,म्-वी) [प्र+भू+डु] 1. बल- | गोता दिया हुआ, डुबोया हुआ। वान्, मज़बूत, शक्तिशाली--ऋषिप्रभावान्मयि नान्त- प्रमत (भू० क० कृ.) [प्र+मन् + क्त ] विचारा कोऽपि प्रभः प्रहतूं किमुतान्यहिस्रा: .. रघु० 2 / 62, ! हुआ। समाधिर्भदप्रभवो भवन्ति-कु० 3 / 40 3. जोड़ का प्रमत्त (भ० 0 0) [प्र--मद |क्त ] 1. नशे में चर. ---प्रभुमल्लो मल्लाय-महा०, - भुः 1. अधिपति, मदोन्मत्त ... श० 4 / 1 2. उन्मत्त, पागल 3. लापरस्वामी- प्रभवृषभुवनत्रयस्य यः - शि० 249 / वाह, उपेक्षक, अनवधान, असावधान, अनपेक्ष (प्रायः 2. राज्यपाल, शासक, सर्वोच्च अधिकारी 3. स्वामी, अधि० के साथ) 4. उन्मार्गगामी, भूल करने वाला मालिक 4. पारा 5. विष्णु 6. शिव 7. ब्रह्मा 8. इन्द्र / (अपा० के साथ) --स्वाधिकारात्प्रमत्तः-मेध० 1, सम०-भक्त (वि.) अपने स्वामी में अनुरक्त, 5. चौपट करने वाला 6. स्वेच्छाचारी, लम्पट / सम० राजभक्त (क्तः) बढिया घोड़ा, -- भक्तिः (स्त्री०) ----गीत (वि.) असावधानतापूर्वक गाया हुआ,--चित्त अपने स्यामी की भक्ति, राजभक्ति, स्वामिभक्त / (वि०) लापरवाह, असावधान, बेखबर / प्रभुता, स्वम् | प्रभु ---तल +टाप, प्रभुत्व ] 1. आधि- | प्रमथः [प्र+मथ् +अच ] 1. घोडा 2. शिव के गण पत्य, सर्वोपरिता, स्वामित्व, शासन, अधिकार ... श० (जो भूत प्रेत माने जाते हैं) जो उसकी सेवा में रत 5 / 25, विक्रम० 4 / 12 2. मिल्कियत / है.--कु० 7 / 95 / सम० - अधिपः, नाथः - पतिः प्रभूत (भू० क० कृ०) [प्र+भू+क्त ] 1. उद्भूत, शिव की उपाधि / उत्पन्न 2. प्रचुर, विपुल 3. असंख्य, अनेक 4. परिपक्व, | प्रमथनम् [प्र+म+ल्युट ] 1. चोट पहुंचाना, क्षति पूर्ण 5. ऊँचा, उत्तुंग 6. लंबा 7. प्रधानत्व में। सम० पहुंचाना, संतप्त करना 2. वध, हत्या 3. मन्थन --- यवसेन्धन (वि०) जहाँ हरीघास और इंधन की करना, विलोना। बहुतायत हो, वयस् (वि०) वयोवृद्ध, बूढ़ा, उमर- प्रमथित (भू० क० कृ०) [प्र-मथ् + क्त ] 1. प्रपीड़ित, रसीदा। कष्टग्रस्त 2. कुचला हुआ 3. कतल किया हुआ, वध प्रभूतिः (स्त्री०) [प्रभू+क्तिन् ] 1. उद्गम, मूल | किया हुआ,- मा० 3 / 18 4. भली भांति बिलोया 2. शक्ति, सामर्थ्य 3. पर्याप्तता / हुआ,... तम् जल रहित छाछ, मठ्ठा। प्रभतिः | प्रभ+क्तिन् ] 1. आरंभ, शुरू (इस अर्थ में | प्रमद (वि.) प्रकृष्टो मदो यस्य-प्रा० ब० ] 1 मतयह बहुधा बहुव्रीहि समास के अन्त में प्रयुक्त . वाला, नशे में चूर (आलं० से भी) 2. आवेशपूर्ण इन्द्रप्रभृतयो देवाः आदि)-(अव्य०)2. से, से लेकर, / 3. लापरवाह 4. स्वेच्छाचारी, बदचलन,-दः 1. हर्ष, शुरू करके (अपा० के साथ)--शैशवात्प्रभृति पोषितां | प्रसन्नता, खुशी शि० 354 13.25. धतूरे का प्रियाम् --- उत्तर० 245, रघु० 2 / 38, अद्यप्रभृति पौधा / सम-काननम्, वनम् राजकीय अन्तःपुर आज (अब) से लेकर, अतः प्रभृति, ततः प्रभृति आदि। से जहा हआ, प्रमोद वन, वह उद्यान जिसमें राजा प्रभेवः [प्र--भिद्धा ] 1. फाड़ना, चीरना, खोलना अपनी रानियों के साथ विहार करता है। 2. प्रभाग, बियोग 3. हाथी के गण्डस्थल से मद का प्रमदक (वि.) [प्रमद+कन् ] लम्पट, कामुक / बहना... रधु० 3 / 37 4. अन्तर, भेद 5. प्रकार | प्रमदनम् [ प्र-+-मद् + ल्युट् ] कामेच्छा / या किस्म / प्रमदा [प्रमद्-+-अच्+टाप] 1. सुन्दरी नवयुवती .. रघु० प्रभ्रंशः [प्र+भ्रंश ---घा] गिरना, गिरकर अलग हो 9 / 31, श० 5 / 17 2. पत्नी या स्त्री कु० 4112, जाना। रघु० 872 3. कन्याराशि। सम० - काननम्, प्रभ्रंशयः [प्र--भ्रंश् +अथुच् ] नाक का एक रोग, पीनस। -बनम् राजकीय अन्तःपुर के साथ जुड़ा हुआ प्रमोद For Private and Personal Use Only