________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नुबन्धि वीरुधाम्-कु० 5 / 34, 1144, 318, रघु० --श०१5. प्रणेता, रचयिता-कु. 25 6. जन्म 6 / 12, 13 / 49 2. मूंगा 3. वीणा की गरदन,-लः __स्थान 7. शक्ति, सामर्थ्य, शौर्य, भव्य गरिमा 1. शिष्य 2. जन्तु / सम०-अश्मन्तक: 1. लाल (प्रभाव) 8. विष्णु की उपाधि 9. (समास के अन्त अश्मंतक वृक्ष 2. मूंगे का वृक्ष,--पद्यम् लाल कमल, में) उत्पन्न होने वाला, व्युत्पन्न -- सूर्यप्रभवो बंशः -फलम् लाल चन्दन की लकड़ी,-भस्मन् (नपुं०) ----- रघु० 112, कु० 3 / 15 / / मुंगे की भस्म / प्रभवित (पुं०)[प्र+भू+तृच ] शासक, महाप्रभु। प्रबाहुः [प्रकृष्टो बाहुः---प्रा० स०] भुजा का अग्रभाग, प्रभविष्णु (वि.) [प्र+भू+इष्णुच ] मजबूत, ताकतपहुंचा। वर, शक्तिशाली,--ष्णुः 1. प्रभु, स्वामी-यत्प्रभविप्रबाहुकम् (अव्य०) [प्रबाहु+कप् ] 1. ऊँचाई पर | ष्णवे रोचते-श०२ 2. विष्णु की उपाधि / 2. उसी समय / प्रभा प्र--भा+अ+टाप 11. प्रकाश, दीप्ति, कान्ति, प्रबुद्ध (भू० क० क०) [प्र-+बुध+क्त ] 1. जगाया हुआ, जगमगाहट, चमक-प्रभास्मि शशिसूर्ययो:-भग०७१८, जागा हुआ 2. बुद्धिमान्, विद्वान्, चतुर 3. ज्ञाता, प्रभा पतङ्गस्य--रघु०२।१५,३१,६।१८, ऋतु० 1219, जानकार 4. पूरा खिला हुआ, फैला हुआ 5. कार्यारंभ मेघ०४७ 2. प्रकाश की किरण 3. धूप घड़ी पर सूरज करने वाला, या कार्यान्वित होने वाला (जादू, मंत्र की छाया 4. दुर्गा की उपाधि 5. कुवेर की नगरी का आदि)। नाम 6. एक अप्सरा का नाम / सम०--करः 1. सूर्य प्रबोषः [प्र+बुध् / घञ्] 1. जागना (आलं. भी) -~-रघु० 1074 2. चन्द्रमा 3. अग्नि 4. समुद्र जागरण, होश में आना, चेतना-अप्रबोधाय सुष्वाप 5. शिव का विशेषण 6. एक विद्वान लेखक का नाम, --रषु. 12050 मोहादभूत्कष्टतरः प्रबोध: -14 // मीमांसा दर्शन की उस एक विचारधारा के प्रवर्तक, 56 2. (फूलों का) खिलना, फैलना 3. जागरण, जो उन्हीं के नाम से प्रसिद्ध है,--कीटः जगन्,-तरल नींद का अभाव 4. सतर्कता, सावधानी 5. ज्ञान, (वि०) जगमगाता हुआ न प्रभातरलं ज्योतिरुदेति समझ, बुद्धिमत्ता, भ्रम को दूर करना, यथार्थ ज्ञान वसुधातलात्-श० २२६,–मण्डलम् प्रकाश का एक ~-यथा 'प्रबोधचन्द्रोदय' में 6. सांत्वना 7. किसी वृत्त, परिवेश-कु० 1 / 24, 614 रघु० 360, 14 / सुगंध द्रव्य में सुगंध का पुनर्जीवन / / १४,-लेपिन् (वि०) कान्तियुक्त, कान्ति का प्रसारक प्रबोधन (वि.) (स्त्री०-नी) [प्र+बुध+णिच् + -विक्रम 4134 / ज्यट | जागरण, जागना,-नम् 1. जागते रहना प्रभागः [प्र+भज+घा] 1. भाग, टुकड़ी 2. (गणित) 2. जाग, जगना 3. सचेत होना 4. ज्ञान, बुद्धिमत्ता भिन्तका भिन्त। 5. शिक्षण, उपदेश देना 6. किसी गंधद्रव्य की सुगंध प्रभात (भू० के० क.) [प्र+मा+क्त ] जो स्पष्ट या का पुनर्जीवन / प्रकाशित होने लगा हो--ननु प्रभाता रजनी-श० 4, प्रबोध (धि) नी [प्रबोधन+डीप, प्र+बुध+णिच्+ --तम् दिन निकलना, पौ फटना। गिनिजी ] देव उठनी एकादशी, कार्तिक शुक्ला / / एकादशा, कातक शुक्ला प्रभानम् / प्र+भा+ल्युट् ] प्रकाश, कान्ति, दीप्ति, एकादशी जिस दिन विष्णु भगवान् चार मास की। ज्योति, चमक। नींद लेने के पश्चात् जागते है। प्रभावः [प्र-भू-धज्ञ ] 1. कान्ति, दीप्ति, उजाला प्रबोधित (भू. क. कृ.) [प्र+बुध+णिच् +क्त ] 2. गरिमा, यश, महिमा, तेज, भव्य कान्ति-प्रभाव 1. जागा हुआ, जगाया हुआ 2. शिक्षण, प्राप्त, सूचना वानिव लक्ष्यते श०१ 3. सामर्थ्य, शौर्य, शक्ति, दिया हुआ। अव्यर्थता-पंच० 117 4. राजोचित शक्ति (तीन प्रभञ्जनम् [प्र+भज्+ल्युट्] टुकड़े टुकड़े करना,-न: शक्तियों में से एक) 5. अतिमानव शक्ति, अलौकिक हवा, विशेषकर आँधी, झंझावात-नै० 1261, पंच० शक्ति -रघु० 2 / 41,62, 3140, विक्रम० 1, 2, 5, 1 / 122 / महानुभावता / सम०---ज (वि०) राजशक्ति से प्रभवः [ प्रगतं भद्रं यस्मात् प्रा.ब.] नीम का पेड़। / उत्पन्न प्रभाव से युक्त। प्रभवः [प्र+भु+अप् ] स्रोत, मूल-अनन्तरत्नप्रभवस्य प्रभाषणम् [प्र+भाष् + ल्युट ] व्याख्या, अर्थकरण / यस्य- कु. 113, अकिंचन: सन् प्रभवः सः संपदाम् / प्रभासः [.प्र+भास्+धन ] दीप्ति, सौन्दर्य, कान्ति, -577, रघु० 975 2. जन्म, पैदायश 3. नदी का -सः,--सम् द्वारका के निकट स्थित एक सुविख्यात उद्गमस्थान-तस्या एव प्रभवमचलं प्राप्य गौरं तीर्थस्थान / तुषारैः-मेघ० 52 4. उत्पत्ति का कारण, (माता, प्रभासनम् [प्र+भास् + ल्युट् ] प्रकाशित होना, जगमग पिता आदि) जन्मदाता-तमस्याः प्रभवमवगच्छ / होना, चमकना / For Private and Personal Use Only