________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खड़ा प्रबन्धः अविच्छिन्नता वण, स्खलन पात' में 9 आपको नीचे प्रपा [प्र-+पा-- अङ+टाप्] 1. प्याऊ --व्याख्यास्थानान्य- प्रफुल्लिः (स्त्री०) [प्र.+फुल+क्तिन] खिलना, विस्तरण, मलसलिला यस्य कूपाः प्रपाश्च-विक्रमांक० 18178 | पुष्पित होना। 2. कुआँ, कुण्ड ... मनु० 8 / 319 3. पशुओं को पानी प्रफुल्ल (भू० क० कृ०) [प्र+फल्+क्त, उत्वम् लत्वं च] पिलाने का स्थान, खेल 4. पानी का भंडार / सम० 1. पूरा खिला हुआ, मंजरित, मुकुलित-न हि प्रफुल्ल –पालिका बटोहियों को जल पिलाने वाली स्त्री सहकारमेत्य वृक्षान्तरं काक्षति षट्पदाली-रघु० विक्रमांक० 1189, 13 / 10, - वनम् शीतोद्यान / 6179, 229, कु० 345, 7 / 11 2. खिले हुए प्रपाठकः [प्रकृष्ट: पाठोऽत्र--प्रा० ब०] 1. पाठ, व्याख्यान / फूल की भांति फैली हुई या विस्तारयुक्त (आँख 2. किसी का अध्याय या भाग। आदि) 3. मुस्कराता हुआ 4. प्रमुदित, उल्लसित, प्रपाणिः [प्रकृष्ट: पाणिः --प्रा० स०] 1. हाथ का अगला प्रसन्न / सम० ---नयन,- नेत्र,--लोचन (वि.) हर्ष भाग 2. हाथ की खुली हथेली। के कारण खिली हुई आँखों वाला,-वदन (वि०) प्रपातः [प्र+पत्+ध 1. चले जाना, विदायगी 2. नीचे हर्षोत्फुल्ल या हंसमुख, हंसमुख चेहरे वाला। गिरना, अवपात-मनोरथानामतटप्रपात:-..श० 69, प्रबद्ध (भू० क० कृ०) [ प्रबंध+क्त] 1. बांधा हुआ, कु० 657 3. आकस्मिक आक्रमण 4. वारिप्रवाह, बंधा हुआ, कसा हुआ 2. रोका हुआ, अवरुद्ध, झरना, झाल, वह स्थान जिसके ऊपर पानी गिरता अटकाया हुआ। रहता है... रधु० 2 / 26, 5. तट, बेला, 6. खड़ी | प्रबद्ध (पुं०) [प्र+बंध+तृच्] प्रणेता, ग्रन्थकार / चट्टान, ढलवां चट्टान 7. गिरजाना, झड़ जाना प्रबन्धः [ प्रबन्ध-घञ] 1. बंधन, जोड या गांठ यथा 'केशप्रपात' 8. उत्सर्जन, प्रस्रवण, स्खलन 2. अविच्छिन्नता, सातत्य, नरंतर्य, अविच्छिन्न श्रेणी या ----जैसा कि 'वीर्यप्रपात' में 9 किसी चट्टान से अपने परम्परा विच्छेद माप भवि यस्तु कथाप्रबन्ध:-का० आपको नीचे गिरा देना 10 उड़ान की एक विशेष 239, क्रियाप्रबन्धादयमध्वराणाम् .. रघु० 6 / 23, रीति / 3 / 58, मा० 6 / 3 3. अविच्छिन्न या सुसंगत वर्णन प्रपातनम् [प्र-+-पत्+णिच् + ल्युट] गिराना, (भूमि पर) या प्रवचन अनुज्झितार्थसंबन्धः प्रबन्धो दुरुदाहरः गिराना [ --शि० 2173 4. साहित्यिक कृति या रचना, प्रपादिक: प्रा० स०] मोर। विशेषतः काव्यरचना प्रथितयशसां भासकविसौमिप्रपानम् [प्र.+पाल्युट्] पीना, पेय पदार्थ / ल्लकविमिश्रादीनां प्रबन्धानतिक्रम्य--मालवि० 1, प्रपानकम् प्रपान+कन् | एक प्रकार का पेय / प्रत्यक्षरश्लेषमयप्रबन्ध- आदि वास० 5. व्यवस्था, प्रपितामहः [प्रकर्षेण पितामहः-प्रा० स०] 1. पड़ बाबा योजना, कल्पना जैसा कि 'कपटप्रबंध' में। सम० पड़दादा 2. कृष्ण का विशेषण- भग० 11 / 39 -- कल्पना झठमूठ की कहानी, किसी तथ्य के उपस्तर 3. ब्रह्मा की उपाधि, . ही पड़दादी। पर आधारित कल्पनाकृति प्रबंधकल्पनां स्तोकसत्यां प्रपितव्य प्रा० स० ताऊ। प्राज्ञाः कथां विदुः। प्रपीडनम् प्र+पोड्+णिच् + ल्युट] 1. भींचना, निचो- प्रबन्धनम् [प्र-बन्ध+ ल्युट ] बंधन, जोड़ या गाँठ / डना 2. रक्तस्त्रावावरोधक औषधि / प्रबभ्रः (पुं०) इन्द्र का नामान्तर / प्रपीत (न) (वि०) [प्रपा (प्याय)+क्त] सूजा हुआ, प्रब (ब) (वि.) [प्र+ब (व) ई, +अच् ] सर्वश्रेष्ठ, फूला हुआ। सर्वोत्तम / प्रघुना (ना) टः, [प्रकर्षण पुमांसं नाटयति-प्र-+पुम् +नट् प्रबल (वि०) [प्रकृष्टं बलं यस्य--प्रा० ब०] 1. बहुत +णि+अण्] चक्रमर्द नाम का वृक्ष, चकवंड। मजबूत, शक्तिशाली, ताकतवर, शूरवीर (पुरुष), प्रपूरणम् [प्र--पूर+ल्युट्] 1. पूरा करना, भरना, पूर्ति रघु० 3 / 60, ऋतु० 3 / 23 2. प्रचंड, मजबूत, तीव्र, करना 2. सन्निविष्ट करना, सुई लगाना 3. सन्तुष्ट अत्यधिक, बहुत बड़ा- प्रवलपुरोवातया वृष्टया करना, तृप्त करना 4. संबद्ध करना / -मालवि० 4 / 2, प्रबलां वेदनाम्- रघु० 850 प्रपूरित (भू० क० कृ०) [प्र+पूर+क्त] भरा हुआ। 3. महत्त्वपूर्ण 4. भरपूर 5. भयानक, विनाशकारी / प्रपृष्ठ (वि.) [प्रा० ब०] विशिष्ट पीठ वाला। प्रब (व) ल्लिका [प्र+ब (व) +ण्वुल+टाप् प्रपौत्रः [प्रा० स०] पड़पोता-याज्ञ० ११७८,—त्री इत्वम् ] दे० 'प्रहेलिका' पड़पोती। प्रबाधनम् [प्र. वा--ल्युट ] 1. प्रत्याचार, प्रपीडन प्रफुल्ल (भूक००)[प्र-+-फल-क्त] / खिला हुआ, पूर्ण, 2. अस्वीकृति, मुकरना 3. दूर रखना। विकसित-लोध्रद्रुमं सानुमतः प्रफुल्लम् ---रघु०।२९ प्रवा (वा) लः, लम् [प्र+ब (व) ल-+-णिच्---अच्] 'प्रफुल्ल' का पाठान्तर)। | 1. कोंपल, अंकुर, किसलय-अपि....प्रवालमासाम For Private and Personal Use Only