________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निश्चित 7. सावधान, चौकस 8. अवाप्त, उपलब्ध / प्रतानः [प्र+तन्+घञ ] 1. अंकुरः तन्तु-लताप्रता9. भेद लिया हुआ (दे० 'प्रणि' पूर्वक धा)। नोग्रथितैः सकेश:--रघु० 28, श०७।११ 2. लता, प्रणीत (भू० क. कृ०) [प्र+नी+क्त ] 1. सामने नीचे भूमि पर ही फैलने वाला पौधा 3. शाखा प्रस्तुत, आगे पेश किया हआ, उपस्थित 2. सौंपा प्रशाखा, शाखा संविभाग 4. धनुर्वात रोग या मिरगी गया, दिया गया, प्रस्तुत किया गया, उपस्थित किया रोग। गया 3. लाया गया, कम किया गया 4. कार्यान्वित, | | प्रतानिन् (वि०) [प्रतान+इनि] 1. फैलाने वाला कार्य में परिणत. अनुष्ठित 5. सिखाया गया, नियत 2. अंकुर या तन्तु वाला, नी फैलाने वाली लता। किया गया 6. फेंका हुआ, भेजा गया, सेवामुक्त | प्रपात: [प्र+तप्+घञ्] 1. ताप, गर्मी-पंच० 11107 (दे० प्र पूर्वक 'नी'),-त: मंत्रों से अभिसंस्कृत की 2. दीप्ति, दहकती हुई गर्मी कु० 2 / 24, 3. आभा, गई यज्ञाग्नि,-तम् पकाया हुआ या संवारा हुआ कोई उज्ज्वलता 4. मर्यादा, शान, यश–महावी० 2 / 4 पदार्थ यथा चटनी, अचार आदि / 5. साहस, पराक्रम, शौर्य प्रतापस्तत्र भानोश्च युगप्रणुत (भू० क. कृ.) [प्र+नु+क्त ] प्रशंसा किया पदव्यानशे दिशः -- रघु० 4 / 15, यहाँ 'प्रताप का गया, श्लाघा किया गया / अर्थ गर्मी भी है) 4130 6. शक्ति, बल, ऊर्जा प्रणुत (भू.का. कृ.) [प्र+नुद्+क्त ] 1. हाँककर / 7. उत्कण्ठा, उत्साह / दूर किया हुआ, पीछे ढकेला हुआ 2. भगाया हुआ। | प्रतापन (वि.) [प्र+त+णिच् + ल्युट् ] 1. गर्माने प्रणुन (भू० त० कृ०) [प्र+नु+क्त, नत्वम् ] 1. हाँक वाला 2. संताप देने वाला, नम् 1. जलाना, तपाना, कर दूर भगाया हुआ, 2. गतिशील किया हुआ | गर्माना 2. पीड़ित करना, सताना, दण्ड देना,--न 3. भगाया हुआ 4. हिलता हुआ, काँपता हुआ। एक नरक का नाम / प्रणेत (पुं०) [प्र+नी+तृव ] 1. नेता 2. निर्माता, स्रष्टा | | प्रतापवत् (वि.) [प्रताप+मतुप, वत्वम् ] 1. कीर्तिशाली, 3. किसी सिद्धांत का उद्घोषक, व्याख्याता, अध्यापक ओजस्वी 2. बलशाली, शक्तिसंपन्न, ताक़तवर-पुं० 4. पुस्तक का रचयिता। शिव का विशेपण / प्रणेय (वि.) [प्र+नी+य] 1. पथप्रदर्शन किये जाने | प्रतारः [प्र+तु+णिच् --घा ] 1. पार ले जाने वाला, योग्य, नेतृत्व दिये जाने योग्य, शिक्षणीय, विनम्र, / 2. धोखा, जालसाजी।। विनीत, आज्ञाकारी 2. कार्यान्वित या निष्पन्न किये प्रतारकः [प्र+त+णिच् ---एबुल ] ठग, छपवेषी। जाने योग्य 3. निश्चित या स्थिर किये जाने योग्य। | प्रतारणम् [प्र+त+णिच् + ल्युट ] 1. पार ले जाना प्रणोदः [प्र+नु+घञ्] 1. हाँकना 2. निदेश देना। 2. धोखा देना, ठगना, छल, कपट, णा जालसाजी, प्रतत (भू. क. कृ.) [प्र+तन्+क्त ] 1. बिछाया धोखा, मक्कारी, धूर्तता, वदमाशी, दगाबाजी, पाखंड हुआ, ढका हुआ 2. फैलाया हुआ, पसारा हुआ। यदीच्छसि वशीकर्तुं जगदेकेन कर्मणा, उपास्यता प्रततिः (स्त्री०) [प्र+तन्+क्तिन् ] 1. विस्तार, फैलाव, कलौ कल्पलता देवी प्रतारणा, प्रतारणासमर्थस्य प्रसार 2. लता। विद्यया कि प्रयोजनम् उद्भट / प्रतन (वि.) (स्त्री०-नी) [प्र+तन्+अच् ] पुराना, | प्रतारित (वि०) [प्र+त+णिच् + क्त ] छला हुआ, प्राचीन / ठगा हुआ। प्रतनु (वि०) (स्त्री-नु,-वी) [प्रकृष्टः तनुः, प्रा० स०] | प्रति (अव्य) [प्रथ+ डति ] 1. धातु के पूर्व उपसर्ग के 1. पतला, सूक्ष्म, सुकुमार -मेघ० 29 2. अत्यल्प, रूप में लग कर निन्नांकित अर्थ है-(क) की ओर, सीमित, भीड़ा-प्रतनुतपसाम्-का० 43, उत्तर० 1120, की दिशा में (ख) वापिस, लौट कर, फिर (ग) के मेघ० 41 3. दुबला-पतला, कृश 4. नगण्य, मामूली। / विरुद्ध, के मुकाबले में, विपरीत (घ) ऊपर, घृणा प्रतपनम् [प्र+त+ल्युट ] गरमाना, गरम करना। (इस उपसर्ग से युक्त कुछ धातुओं को देखिए) प्रतप्त (भू० क. कृ.) [प्र+त+क्त] 1. तपाया 2. संज्ञाओं (कृदन्त से भिन्न) से पूर्व उपसर्ग के रूप हुआ 2. गर्म, उष्ण 3. संतप्त, सताया हुआ, पीडित / में निम्नांकित अर्थ (क) समानता, समरूपता, सादृश्य प्रतरः (प्र---तु-+-अप] पार जाना, पार करना या जाना / (ख) प्रतिस्पर्धा- यथा प्रतिचन्द्र (प्रतिस्पर्षीचन्द्रमा), प्रतः , प्रतकणम् [प्र-तर्क+अप, ल्युट च] 1. अटकट, प्रतिपुरुप आदि 3. स्वतंत्र रूप से संबंधबोधक अव्यय कल्पना, अनुमान 2. विचारविमर्श / के रूप में प्रयुक्त (कर्म के साथ) निम्नांकित अर्थ प्रतलम् [प्रकुष्टं तलम् -प्रा० स०] निम्नलोक के सात -(क) की ओर, की दिशा में, की तरफ-तौ दम्पती विभागों से एक दे० पाताल, --ल: खुले हाथ की स्वां प्रतिराजधानी प्रस्थापयामास वशी वसिष्ठः हथेली। -रघु० 2170, 1175, प्रत्यनिलं विचेरुः–कु. 3 // For Private and Personal Use Only