________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाप्यन्यस्मात्प्रणयकलहाट प्रदर्शक, प्रधान, मुख्य / -11. प्रिय, प्यारा 2. मच्छ० 1, 1145 6. अनुरोध, प्रार्थना, निवेदन- 4. हर्षातिरेक की कलकलध्वनि, वाहवा, क्या खूब तद्भ तनाथानुग नार्हसि त्वं संबंधिनो मे प्रणयं विहन्तुम् 5. दुहाई देना 6. कान का विशेष रोग (इस रोग ---रघु० 2 / 28, विक्रम० 4 / 13 7. श्रद्धा, भवित में कानों में 'भनभनाहट' की ध्वनि होती है)। 8. मोक्ष। सम०-अपराधः प्रेम या मित्रता के प्रणामः [प्र+नम् +घञ्] 1. झुकना, नमस्कार करना, विरूद्ध अपचार,----उन्मुख (वि०) 1. प्रेमाविष्ट, अपना | नमन या नति 2. सादर नमस्कार, अभिवादन, दण्डप्रेम प्रकट करने को उद्यत - मालवि० 4113 2. प्रेमा- वत् प्रणाम, प्रणति, यथा साष्टांग प्रणाम.-.कु० वेश के कारण आतुर,---कलहः प्रेमी का झगड़ा, कृत्रिम | 6 / 91 / या झूठमूठ का झगड़ा-नाप्यन्यस्मात्प्रणयकलहाद्वि- प्रणायकः [प्र+नी+ण्वुल 1. नेता, सेनापति 2. पथप्रयोगोपपत्तिः-मेघ०(मल्लि०-नकली या कल्पित)-, कुपित (वि.) प्रेम के कारण क्रुद्ध-मेघ० 105,-- | प्रणाय्य (वि.)[प्र+नी+ण्यत्] 1. प्रिय, प्यारा 2. खरा, कोपः किसी नायिका का अपने नायक के प्रति झूठ ईमानदार, स्पष्टवादी 3. अप्रिय, अनभिमत-भट्टि० मूठ का क्रोध, नखरों से भरा क्रोध,-प्रकर्षः अत्यधिक 6 / 66 4. आवेश शून्य, विरक्त / प्रेम, तीब्र अनुराग,---भंग: 1. मित्रता का टूट जाना प्रणालः,-ली, प्रणालिका [प्र+नल+धन, प्रणाल+ 2. विश्वासघात,---वचनम् प्रेमाभिव्यक्ति,-विमुख डीए, प्रणाली+क+टाप, ह्रस्वः] नहर, जलमार्ग, (वि.) 1. प्रेम से पराङमुख 2. मित्रता करने में नाली---कुर्वन् पूर्णा नयनपयसां चक्रबालैः प्रणाली:अनिच्छुक - मेघ० २७,--विहतिः,-विघातः (प्रार्थना उ० सं० 2, शि० 3144 2. परंपरा, अविच्छिन्न आदि की) अस्वीकृति, न मानना। सिलसिला। प्रणयनम् [प्र+नी+ल्युट] 1. लाना, ले आना 2. संचा- | प्रणाशः [प्र+नश-+ घा] 1. विराम, हानि, लोप, लन करना, पहुँचाना 3. पालन करना, कार्यान्वयन कि० 14 / 9 2. मृत्यु, विनाश---रघु० 14 / 1 / करना, अनुष्ठान करना-कु० 6 / 9 4. लिखना, | प्रणाशन (वि०) [प्र+न+णिच् + ल्युट् ] नष्ट करने अक्षरयोजन करना 5. निर्णयादेश देना, दण्डाज्ञा देना, वाला, हटाने वाला,--नम् समुच्छेदन, उन्मूलन परिनिर्णय या पंचनिर्णय देना, यथा दण्डस्य प्रणयनम् / -रघु०३।६०। प्रणयवत् (वि०) [प्रणय+ मतुप्] 1. प्रेम करने वाला, प्रणिसित (वि०) [प्र-- निस्+क्त ] जिसका चुम्बन प्रीतिकर, स्नेही-रघु० 10 // 57 2. स्पष्टवक्ता, खरा | किया हो। 3. अत्यन्त उत्कण्ठित, आतुर। प्रणिधानम् [प्र---नि+या+ल्युट ] 1. प्रयोग करना, प्रणयिन् (वि.) [प्रणय --इनि] 1. प्रेम करने वाला, नियुक्त करना, व्यवहार, उपयोग 2. महान् प्रयत्न, स्नेही, कृपालु, अनुरक्त-मा०३९ 2. प्रिय, अत्यंत शक्ति 3. धार्मिक मनन, भावचिन्तन-- रघु० 1174, प्यारा 3. इच्छुक, लालायित, उत्कण्ठित-श० 7.17, 8119, विक्रम०२ 4. सम्मानपूर्ण व्यवहार (अधि. मेघ० 3, रघु० 9155, 113 4. सुपरिचित, घनिष्ठ के साथ) 5. कर्मफलत्याग। पुं० 1. मित्र, साथी, कृपापात्र--कु० 5 / 11 2. पति, प्रणिधिः [प्र+नि-|-धा+कि ] 1. चौकन्ना रहने वाला, प्रेमी 3. कृतांजलि, बिनम्र निवेदक, प्रार्थी स्वार्थात् ताक-झांक करने वाला 2. गुप्तचर भेजना 3. जासूस, सता गुरुतरा प्रणयिक्रियव-विक्रम० 4 / 15, 12 भेदिया--कु० 3 / 6, रघु०१७।४८, मनु० 7.153, 4. पूजक, भक्त-कु० 3 / 66, नी 1. गृहिणी, 8 / 182 4. टहलुआ, अनुचर 5. देखभाल, ध्यान प्रियतमा, पत्नी 2. सखी, सहेली। 6. निवेदन, अनुरोध, प्रार्थना। प्रणवः प्र-नू ।-अप, णत्वम्] 1. पवित्र अक्षर 'ओम्'- प्रणिनावः [प्र+नि-नद् |-घा ] गहरी ध्वनि / आसीन्महीक्षितामाद्यः प्रणवश्छंदसामिव-रघु० 1111, | प्रणिपतनम, प्रणिपातः [प्र-+-नि-+पत्-ल्युट, घन च मन० 2174, कु० 2,12, भग० 78 2. एक प्रकार - 1. पैरों में गिरना, साष्टांग प्रणाम, विनति--रघु० का वाद्ययंत्र (ढोल. या मृदंग) 3. विष्णु या परम- 464 2. अभिवादन, नमस्कार, सादर प्रणति पुरुष परमात्मा का विशेषण। —कु० 3 / 61,4 / 35, रघु० 3 / 25 / सम०. रसः प्रणस (वि०) [ प्रगता नासिका यस्य, सादेशः, अच.. शस्त्रास्त्रों पर उच्चारण किया जाने वाला जादू णत्वम्] लम्बी नाक वाला, बड़ी नाक वाला। का मंत्र। प्रणाडी [=प्रणाली, लस्य ड.] अन्तरायण, अन्तः प्रवेशन, प्रणिहित (भू० क० कृ०) [प्र---नि-धा+क्त) 1. रक्खा माध्यम। हुआ, व्यवहृत 2. जमा किया हुआ 3. फैलाया हुआ, प्रणादः [ प्रन--पा1. ऊँची आवाज, चीत्कार, पसारा हुआ-मेघ० 105 4. न्यस्त, समर्पित, सुपुर्द कंदन 2. दहाड़ना, दहाड़ 3. हिनहिनाना, रेंकना / 5. एकाग्रचित्त, लवलीन, जुटा हुआ 6. निर्धारित, For Private and Personal Use Only