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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 627 ) विकप्स, पूर्णता। सम०--कर (वि०) पौष्टिक, / -मंजरिका नीला कमल,-माला फूलमाला,--मासः पुष्टि कारक, कर्मन् (नपुं) सांसारिक संपन्नता प्राप्त 1. चैत्र का महीना 2. वसंत ऋतु,-- रजस् (नपुं) पराग, करने के लिए किया जाने वाला धार्मिक अनुष्ठान, -रथः हवा खोरी के काम आनेवाला रथ (जो युद्ध के -व (वि०) संवर्धनकारी, समृद्धिकर, वर्धन (बि०) लिए न हो, -रस: फूलों का रस, मकरंद,-आह्वयम् कल्याणकारी, समृद्धि कारक (नः) मुर्गा / मधु-रागः,-राजः पुखराज, रेणुः पराग- वायुपुष्प (दिवा० पर० पुष्प्यति) खुलना, धौंकना या / विधनयति चम्पकपुष्परेणन् - कवि०, रघु० 1138, फूकना, विस्तार करना, खिलना - पुष्प्यत्पुष्करवासि- --रोचनः नागकेसर का वृक्ष, लावः फूल चुनने तस्य पयसः --उत्तर० 3 / 16 / वाला, (वी) फूल चुनने वाली, मालिन-मेघ० पुष्पम् [ पुष्प + अच् ] / फूल, कुसुम 2. रजः स्राव, २६,--लिक्षः, - लिह (पु) भौंरा,--वटुकः रसिया, रजोधर्म ...यथा 'पुष्पवती' में 3. पुखराज 4. आंखों बांका, छैल छबीला, - वर्षः, -वर्षणम् फूलों की बौछार का रोग विशेष, श्वेतक 5. कुबेर का रथ-दे० .-रघु० १२११०२,-वाटिका,--वाटी फलवाटी, 'पुष्पक' 6. शौर्य, (प्रेमकी भाषा में) नम्रता 7. विस्तार -----बुक्षः पुष्पप्रधान वृक्ष--रघु० १२।१४,--वेणी होना, खिलना, प्रफुल्ल होना (इस अर्थ में पुं० भी)। चोटी में लगाया हुआ फूलों का गजरा, फूलों की सम -अंजनम् पीतल की भस्म जो अंजन की भांति माला,..शकटी आकाशवाणी,-शय्या, फूलों की सेज, प्रयुक्त होती है,-अंजलिः फूलों की अंजलि, अभिषेक फूलों का बिछौना,-शरः,-शरासनः,-सायकः काम ="स्नान, ----अंबुजम् पुष्प रस या मकरन्द,.. अवचयः देव,-समयः बसन्त,---सारः, स्वेदः फूलों का रस, फूलों का चुनना, फूल एकत्र करना, - अस्त्रः कामदेव मकरद, हासा रजस्वला स्त्री,-हीना गतार्तवा स्त्री, का विशेषण, -आकार (वि०) फूलों से समृद्ध, जिसकी बच्चे पैदा करने को आय बीत चुकी हो।। --मासो नु पुष्पाकरः-विक्रम० 119, आगमः पुष्पकम् [ पुष्प+कन् ] 1. फल 2. पीतल की भस्म 3. बसन्त ऋतु, आजीवः माली, मालाकार, आपीडः लोहे का प्याला 4. कुबेर का रथ (जिसे कुबेर से फलों का गजरा,-आयुधः,---इषुः कामदेव, --- आसवम् रावण ने छीन लिया था, तथा जो फिर राम ने ले मधु, --आसारः फूलों की बौछार मनु० 43, लिया था)-रघु० 12 // 40, 16 / 46 5. कंकण 6. एक -----उद्गमः फूलों का निकलना, उद्यानम् पुष्प वाटिका, प्रकार का पुष्पांजन 7. आंखों का एक विशेष रोग। ---- उपजीविन् (पुं०) माली, बागवान, मालाकार, पुष्पंधयः [ पुष्प+धे+खश्, मुम् ] भौंरा / --कालः 1. फूलों का समय, बसन्त ऋतु 2. मासिक पुष्पलकः [ पुष्प+लक अच् ] स्थाणु, खूटा, फन्नी, कील / रजोधर्म का समय, --कासीसम् एक प्रकार का कसीस, | पुष्पवत् (वि०) [ पुष्प+मतुप, बत्त्वम् ] 1. प्रफुल्ल, -कीट: भौंरा, -केतनः का मवेव,-केतुः कामदेव फूलों से युक्त 2. फूलों से जड़ा हुआ (पुं०-द्वि०व०) (नपुं) 1. पुष्परस, मकरंद 2. पुष्पांजन,गृहम् फूलों सूर्य और चन्द्रमा,-ती रजस्वला स्त्री-पुष्पवत्यपि का घर, पुष्प संधारक,...-घातकः बाँस,-चयः 1. फूल पवित्रा-का०२०। चुनना 2. फूलों का संग्रह,-चापः कामदेव,-चामरः पुष्पा [ पुष्प-अच्+टाप् | चम्पा नाम की नगरी / एक प्रकार की बेंत,-जम् फूलों का रस,—दः वृक्ष, पुष्पिका [ पुष्प+ण्वुल+टाप, इत्वम् ] 1. दांतों पर जमी -दंत: 1. शिव के एक गण का नाम 2. महिम्नस्तोत्र हुई मैल 2. लिंगच्छद में जमी मैल 3. अध्याय के के रचयिता का नाम वायव्य कोण में अधिष्ठित अन्तिम शब्द जिनमें वणित विषय की सूचना दी जाती दिग्गज,-दामन (नपुं०) फूलमाला,—द्रयः 1. फूलों है-इति श्री महाभारते शतसाहस्यां संहितायां वनका रस मकरंद 2. फूलों का आसव,---द्रुमः पुष्पप्रधान , पर्वणि .......... 'अमुकोऽध्यायः / / वक्ष,--धः व्रात्य ब्राह्मण की सन्तान-तु० मनु० : पुष्पिणी [ पुष्पिन्+ङीप्] रजस्वला स्त्री। १०२१,-धनुस् ,-धन्वन् (पुं०) कामदेव-शि०९।४१, , पुष्पित (वि.) [ पुष्प +-क्त 11. फूलों से युक्त, विकसित कु० // 64, धारणः विष्णु का विशेषण, ध्वजः / फूलों से भरा हुआ, खिला हुआ-चिरविरहेण विलोकामदेव,-निक्षः भौंरा, --निर्यासः,-निर्यासकः पूष्प- क्य पुष्पिताग्राम --- गीत० 4, यहाँ 'पुष्पिताग्रा' एक रस, मकरंद, फूलों का रस, नेत्रम् फूलनली, --पत्रिन छंद का भी नाम है 2. फूलों से अलंकृत, (भाषण) (पु) कामदेव,—पथः योनि -पुरम् पाटलिपुत्र-रघु० भड़कीला 3. फूलों से लदा हुआ, फूलों से सम्पन्न 6 / 24, प्रचयः,--प्रचायः फूल तोड़ना, फूल चुनना, ....यथा--सुवर्णपुष्पिता पृथ्वी- पंच० 1145 4. पूर्ण -प्रचायिका फूलों का चुनना, ---प्रस्तारः पुष्पशय्या, / विकसित, पूरी तरह खिला हुआ, --ता रजस्वला स्त्री। फूलों का बिछौना,-बलिः फूलों को भेंट या चढ़ावा, पुष्पिन् (वि.) [ पुष्प+इनि ] 1. फूल धारण करने -बाणः, -वाणः कामदेव,--भवः पुष्परस, मकरंद, / वाला, प्रफुल्ल 2. फूलों से भरा हुआ, फूलों से समद्ध / HTERNHEHLEER For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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