SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 635
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 626 ) से पुलाका, कम् [पुल+आक नि०] 1. थोथा या मुरझाया / की जिह्वा की नोक-शि० 5 / 30 3. ढोल का हुआ अन्न, कदन्न 2. भात का पिंड 3. संक्षेप, संग्रह चमड़ा अर्थात् वह स्थान जहाँ उस पर चोट मारी 4. संक्षिप्तता, संहति 5. चावलों का मांड 6. क्षिप्रता, जाती है-पुष्करेष्वाहतेषु-मेघ०६६, रधु०१७।११ द्रुतता, त्वरा / 4. तलवार का फल 5. तलवार का म्यान 6. बाण पुलाकिन् (पुं०) [पुलाक+इनि] वृक्ष / 7. वायु, आकाश, अन्तरिक्ष 8. पिंजड़ा 9. जल पुलायितम् [ =पलायित, पृषो०] घोड़े की सरपट चाल / 10. मादकता 11. नृत्यकला 12. युद्ध, संग्राम पुलिनः,-नम् [ पुल+इनन् किच्च ] 1. रेतीला किनारा, 13. एकता 14. अजमेर के निकट एक प्रसिद्ध तीर्थ रेतीला समुद्रतट-रमते यमुनापुलिनवने विजयी मुरारि- स्थान,-र: 1. सरोवर, तालाब 2. एक प्रकार का रघुना-गीत०७, रघु०१४१५२, कभी-कभी ब० व० ढोल, घौसा, ताशा 4. सूर्य 5. अनावृष्टि या भिक्ष में प्रयुक्त-कालिंद्याः पुलिनेषु केलिकुपितामुत्सृज्य पैदा करने वाले बादलों का समूह-मेघ० 6, कु० रासे रसम्-वेणी० 12 2. नदी का प्रवाह हट 2 / 50 6. शिव का विशेषण,---:,--रम् शिव के जाने से तट पर बना छोटा टापू, लघुद्वीप 3. नदीतट। सात विशाल प्रभागों म से एक / सम०-अक्षः विष्णु पुलिनवती [पुलिन+मतुप, बत्वम्, डीप् ] नदी। का विशेषण,- आख्यः,-आहः सारस-तीर्थः स्नान पुलिदक: [पुल+किंदच्, कन्] 1. (प्रायः ब० व० में) करने का एक प्रसिद्ध स्थान देऊ. पुष्कर,-पत्रम् एक असभ्य जाति का नाम 2. इस जाति का एक कमल का पत्ता, प्रियः मोमः,--बीजम् कमलगट्टा, मनुष्य, बर्बर, अशिष्ट, जंगली, पहाड़ी-रघु० 16 // -----व्याघ्रः घड़ियाल,--शिखा कमल की जड़,-स्थपतिः 19,32 / शिव का विशेषण, --सज् (स्त्री०) कमलों की माला। पुलिरिक: (पुं०) साँप / पुष्करिणी | पुष्करिन+डीप् ] 1. हथिनी 2. कमलसरोवर पुलोमन् (पुं०) एक राक्षस का नाम, इन्द्र का श्वसुर / 3. सरोवर, जलाशय 4. कमल का पौधा / सम०-अरिः,-जित,-भिद्,-द्विष (0) इन्द्र के | पुष्करिन् (वि.) (स्त्री०)--णी) | पुष्कर --इन / कमला विशेषण,--जा,--पुत्री शची, पुलोमा की पुत्री तथा से भरी स्थली, (पुं०) हाथी। इन्द्र की पत्नी। पुष्कल (वि०) [पुष+कलच, किच्च, पुष्कसिध्मा० लच पुष (म्वा, दिवा० ऋघा०--पर-पोषति, पुष्यति, वा--तारा०] 1. बहुत, काफ़ी, प्रचुर--भक्षितेनापि पुष्णाति), 1. पोषण करना, (छाती से लगाकर) दूध भवता नाहारो मम पुष्कल: --हि० 1184, मनु० पिलाना, पालना, पोसना, शिक्षित करना-तेनाद्य 3 / 277 2. पूरा, समस्त ... भग० 11 / 21 3. समृद्ध, वत्समिव लोकममुं पुषाण-भर्तृ० 2 / 46, भग० 15 / उज्ज्वल, शानदार 4. श्रेष्ठ, सर्वोत्तम, प्रमुख 5. निकट१३, भट्टि० 3 / 13, 17132 2. सहारा देना, भरण वर्ती 6. निर्घोषमय, गूंजने वाला, प्रतिध्वनि करने पोषण करना, परवरिश करना 3. बढ़ने देना, खिलना, वाला,-ल: 1. एक प्रकार का ढोल 2. मेरु पर्वत का विकसित होना, राहत मिलना-पुपोष लावण्यमयान् विशेषण, लम् 1. 64 मुट्टियों के बराबर एक विशेषान्--कु. 1025, रघु० 3332, न तिरोधीयते विशेष तोल या माप 2. चार ग्रास की भिक्षा / स्थायी तरी पुष्यते परम् ---सा० द०३ 4. बढ़ाना पुष्कलक: [पुष्कल+कन् ] 1. कस्तूरी-मग --सीम्नि पुष्कवृद्धि करना, आगे बढ़ाना, वर्धन (मल्यादि)-पंचा- __लको हतः-सिद्धा० 2. कुंडी, चटखनी, फन्नी। नामपि भूतानामुत्कर्ष पुपुषुर्गुणा:---रघु० 4 / 11,9 / 5 प्रष्ट (भू० क. कृ०) [पुष्+क्त] 1, पाला-पोसा, 5. प्राप्त करना, अधिकार में करना, रखना उपभोग खिलाया-पिलाया, परवरिश किया गया, शिक्षित करना भत० 3 / 34 6. बतलाना, दिखलाना, धारण किया गया 2. फलता-फूलता हुआ, बढ़ता हुआ, करना, प्रदर्शन करना-वपुरभिनवमस्याः पुष्यति बलवान्, हृष्टपुष्ट 3. टहल किया गया, देखभाल स्वां न शोभां--श० 1119, कु० 7 / 18,78, रघु० किया हुआ 4. समृद्ध, पूरी तरह सम्पन्न 5. पूर्ण, पूरा 6 / 58,18 / 32, नहीश्वरव्याहृतयः कदाचित्पूष्णंति- 6. पूरीध्वनि वाला, ऊँची आवाज वाला 7. प्रमुख / लोके विपरीतमर्थम्-कु० 3 / 63, मेघ०८०7. बढ़ना, | पुष्टिः (स्त्री०) [पुष्ट+क्तिन् / पालन-पोषण कला, पुष्ट होना, फलना-फूलना, समृद्ध होना 8. प्रशंसा पालना परवरिश, करना, 2. पालन पोषण, संवर्धन, करना, स्तुति करना,--प्रेर० या चुरा० उभ० वृद्धि, प्रगति -- यत्पिषतामपि नणां पिष्टोऽपि तनोषि पोषयति-ते 1. पालन-पोषण करना, परवरिश परिमलैः पुष्टिम् ---भामि० 1112 3. पराक्रम करना, भरणपोषण करना आदि 2. बढ़ाना, उन्नति शालिता, स्थूलता- अन्धस्य वृष्टिरिव पुष्टिरिवातुरस्य करना। ---मृच्छ० 1149, 4. धन-दौलत, सम्पत्ति, सुख का पुकरण पुष्कं पुष्टि राति-रा+क] 1.नीला कमल 2. हाथी / साधन,-रषु० 18.12 5. समृद्धि, सम्पन्नता 6. For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy