________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वह सात लोक ये हैं ---अतल, वितल, सुतल, रसातल, 1 पात्रे बहुलः, पात्रेसमितः [ पात्रे भोजनसमये एव बहुल: तलातल, महातल और पाताल 2. निम्नप्रदेश, या संगतो वान तु कार्य----अलुक समास ] 1. केवल नीचे का लोक-- रघु० 15 / 84, 1280 3. गढ़ा, छिद्र भोजन का साथी, परान्नभोजी 2. धोखेबाज, कपट 4. वडवानल / सम० --गंगा नीचे के लोक में बहने / पाखंडी। पानी गंगा,-ओकस (५०)---निलयः, - निवासः पाथः पीयतेऽदः, पा+थ ] 1. अग्नि 2. सूर्य- थम जल। . बासिन् (10) 1. राक्षस 2. नाग या सर्पदैत्य / पाथस् (नपुं०) [ पा+असुथुन्, थुक् च] 1. जल, गंगा० पातिकः | पान-1-ठन् / गंगा में रहन वाला संस, शिशु 26 2. हवा, वायु 3. आहार / सम० जम् 1. मार। कमल 2. शंख, 3H, धरः बादल, धिः,- मिषिः, पातित (भू० क० कृ०) [ पत्---णि+त] 1. डाल पतिः समुद्र, नै० 13120 / गया, फेंका गया नीचे गिराया गया, पटक दिया गया | पाथेयम [ पथिन+ठा / भोज्य सामग्री जिसे यात्री राह 2. परास्त किया गया, नीचा दिखाया गया 3. नीचा में खाने के लिए साथ ले जाता है, मार्गव्यय जग्राह किया गया। पाथेयमिवेन्द्रसूनु :--कि० 3 / 37, बिसकिसलयच्छेपातित्यम् [पतित : प्य ] पद या जाति का पतन, / दपाथेयवन्तः--मेघ० 11, विक्रम० 4 / 15 2. कन्यापदच्युति, जातिभ्रंशता / राशि। पातिन् (वि.) (स्त्री० नी) [पत् =णिनि] 1. जाने पादः [पद्+घा ] 1. पैर (चाहे मनुष्य का हो या वाला, अवतरण करनेवाला, उतरने वाला 2. पतनशील, किसी जानवर का) तयोर्जगृहतुः पादान - रघु० 1 'इबनेवाला 3. पढ़ने वाला 1. गिरने वाला, फेंकने वाला 57, पादयोनिपत्य, पादपतितः (समास के अन्त में 5. उड़ेलने वाला, छोड़ने वाला, निकालने वाला / 'पाद' को बदल कर ‘पाद्' हो जाता है, यदि इससे पातिलो [पातिः संपातिः पक्षियथं लोयतेऽत्र - पानि+ली पूर्व 'सु' हो या संख्यावाचक शब्द, उदा० सुपाद, +डी ] i. जाल, फंदा 2. छोटा मिट्टी का द्विपाद त्रिपाद् आदि; जिस समय पूर्वपद तुलना-मान बर्तन, हांडी। के रूप में प्रयुक्त किया जाय, उस समय भी 'पाद' पातुक (वि०) (स्त्री०---की) पत्+उका ] 1. पतन- हो जाता है यदि पूर्वपद 'हस्ति' से भिन्न हो-दे. शील, 2. गिरने की आदत वाला,--कः पहाड़ का पा० 5 / 4 / 138-40, उदा. व्याघ्रपाद्; अतिशय लान, चट्टान 2. शिशुमार, संस।। आदर तथा सम्मान व्यक्त करने के लिए, कर्त० का पात्रम [पाति रक्षति, पिबन्नि अनेन वा --पा-ष्ट्रन / बहुवचनान्त रूप व्यक्तियों की उपाधियों या नामो 1. पीने का बर्तन, प्याला, गिलास 2. कोई भी बर्तन के साथ जोड़ दिया जाता है - मुष्यंत लवस्य बालि--पात्र निधायायम-रघु० 5 / 2, 12 3. किसी शतां तातपादाः----उत्तर. 6, 229 देवपादानां वस्तु का आधार, प्राप्तकर्ता-- पंच० 2 / 97 4. जला- नास्माभिः प्रयोजनम् - पंच० 1, इसी प्रकार एवमाशय 5. योग्य व्यक्ति, दान पाने के योग्य, दानपात्र राध्यपादा आज्ञापयंति... प्रबो० 1, एवं-कुमारि-~-वित्तस्य पात्रे व्ययः ---भतं० 2082, भग० 17122, पादा: --- आदि 2. प्रकाश की किरण - बालस्यापि याज्ञ. 1 / 201, रघु० 11086 6. अभिनेता, नाटक खेः पादाः पतंत्युपरि भूभृताम् पंच० 12328, शि० का पात्र-तत्प्रतिपात्रमाधीयतां यत्नः--श० 1, 9 / 34, रघु० 16153, (यहां शब्द का अर्थ 'पर उच्चता गात्रवर्ग:-विक्रम० 1, नाटक का पात्र 7. राजा भी है) 3. पैर या पावा (जड़ पदार्थों का, खाट का मंगो 8. नहर या नदी का पाट 9. योग्यता, आदि का) 4. वृक्ष की जड़ या पैर जैसा कि 'पादप' औचित्य 10. आदेश, हुक्म। सम० --उपकरण में 5. गिरिपाद, तलहटी (पादाः प्रत्यंतपर्वताः) मेघ० घटिया प्रकार की सजावट--पाल: 1. चप्पू, डांड 19, श० 6 / 16 6. चौथाई, चौथाभाग, जैसा कि 2. तराजू की डंडी-संस्कारः 1. बर्तनों को मांज 'सपादो रूपकः' में (सवा रुपया)--मनु०८०२४१, धोकर साफ करना 2. नदी का प्रवाह / याज्ञ० 21174 7. श्लोक का एक चरण, पंक्ति 8. पात्रिक (दि०) (स्त्री०-की) / पात्र-- ठन् 1. किसी किसी पुस्तक के अध्याय का चौथा भाग जैसा कि वर्तन की नाप, आढक 2. योग्य, यथोचित, समुचित, ब्रह्मसूत्र का या पाणिनि की अष्टाध्यायी का 9. भाग कम् बर्तन, प्याला, तश्तरी / 10. स्तंभ, खंभा / सम-अग्रम् पैर का * आगे का पात्रिय, पाच्य (वि.) [ पात्रमहति-पात्र-घ, यत् वा ] | भाग-रत्न. १११,.--अंकः पदचिह्न,-- अंगवम्, भोजन में भाग लेने के योग्य / -----दी पैर का आभूषण, नूपुर, पायल,—अंगुष्ठः पर पात्रीयम् | पात्र-+छ ] यज्ञीय पात्र उवा आदि। का अंगठा, अंतः पैरों का अन्तिम भाग,-अंतरम् पात्रीरः,-रम् [ पाश्य राति-पात्री+रा--क ] आहुति / एक पग के बीच का अन्तराल,' एक पग की दूरी For Private and Personal Use Only