________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बहुत क म अप महावी० पट वा ( 587 ) प्रतिष्ठाभंग-प्रायो मुर्खः परिभवविधौ नाभिमानं परिभ्रमः [ परि-भ्रम्+घा] 1 घूमना, इधर उधर तनोति-शृंगार 16 / | टहलना 2. घुमा-फिरा कर बात कहना, वाग्जाल, परिभविन् (वि.) (स्त्री०--नी) [ परि+भु+ इनि 1. वक्रोक्ति 3. भूल, भ्रम / मानहर, तुच्छ, अनादर या घृणायुक्त व्यवहार करने ] परिभ्रमणम् [ परि+भ्रम् + ल्युट् ] 1. घूमना, इधर उधर वाला 2. अपमानग्रस्त, तिरस्कार, पीडित / टहलना, पर्यटन 2. चारों ओर घूमना, चक्कर काटना, परिभावः [ परि-भू---घा ] दे० 'परिभव' / परिधि। परिभाविन (वि.) (स्त्री.....नी [परि+भ-णिनि / परिभ्रष्ट (भू० क० कृ०) [परि-/-भ्रंश्+क्त ] 1. गिरा 1. मानमर्दन करने वाला, पणा करने वाला, तिरस्कार- हुआ, स्खलित 2. बच कर निकला हुआ 3. फेका हुआ, यक्त व्यवहार करने वाला... श०४ 2. लज्जित अध:पतित 4. वञ्चित, शून्य (अपा० या करण के करने वाला, आगे बढ़ जाने वाला, श्रेष्ठ होने वाला साथ) 5. अवहेलना करने वाला। 3. तुच्छ समझने वाला, उपेक्षा करने वाला वैद्ययत्न | परिमंडल (वि.) [प्रा० ब० स०] गोलाकार, गोल, परिभाविनं गदम् रघ० 19453, औषधोपचार की | वर्तलाकार, -- लम् पिंड, गोलक 2. गेंद 3. वृत्त / उपेक्षा करने वाला। परिमंथर (वि०) [प्रा० स०] अत्यन्त मंद, शि० 9 / 78 / परिभाषाग [ परि+भा + ल्युट ] 1. वार्तालाप, प्रवचन, परिमंद (वि०) प्रा० स०] 1. अत्यंत मंद, धुंधला, बिल्कुल बातचीत करना, गपशप लगाना, गप्पे हांकना 2. फीका परिमंद सूर्यनयनो दिवस:--शि० 9 / 3 2. निन्दाभिव्यक्ति, धिक्कारना, झिड़की, अपशब्द 3. अत्यंत मंद 3. बहुत थका हुआ... शि. 9 / 32 4. नियम, विधि। बहुत थोड़ा---शि० 9527 / परिभाषा [ परिभाष-+-अ-+-टाप् ] 1. व्याख्यान, प्रव- | परिमरः [ परि-मृ / अप् ] विनाश-चिरात् क्षत्रस्यास्तु चन 2. निन्दा, झिड़की, कलङ्क, गाली 3. पारिभाषिक | प्रलय इव घोर: परिमरः-महावी० 3 / 41 / शब्दावली, पारिभाषिक पदाबलो, (किसी ग्रंथ में परिमदः, परिमर्दनम् [परि---मृद+घा, ल्युट वा] प्रय क्त) तकनीकी शब्दावली-इति परिभाषा प्रकर- | 1. रगड़ना, पीसना 2. कूचलना, पैरों के नीचे रोदना णम् सिद्धा०, इको गुणवद्धीत्यादिका परिभाषा ___3. विनाश 4. चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना __महा0 4. (अतः) कोई सामान्य नियम, विधिया 5. आलिंगन, परिरंभण। परिभाषा जो सर्वत्र घट सके (अनियमनिवारको परिमर्षः पिरि--मष+घञ ] 1. ईर्ष्या, अरुचि 2. क्रोध / न्याय विशेषः), परितः प्रमिताक्षरापि सर्व विषयं | परिमलः [ परि-+-मल+अच ] 1. सुगंध, सुवास, सौरभ, प्राप्तवती गता प्रतिष्ठाम्, न खलु प्रतिहन्यते कदाचित महक-परिमलो गीर्वाणचेतो हरः... भामि० 1163, परिभाषेव गरीयसी यदाज्ञा-शि० 16180 5. किसी 66,70,71, मेघ० 25 2. सुगंधयुक्त पदार्थों का भी पुस्तक में प्रयक्त संकेत था संक्षेपकों की सूची 6. पीसना 3. सुगंधद्रव्य 4. सहवास अथपरिमलजाम(व्या० में) पाणिनि के अन्य सूत्रों में मिला हुआ वाप्यलक्ष्मीम-कि०१०११ 5. विद्वत्सभा 6. कलंक, व्याख्यानात्मक मूत्र जो उन सूत्रों के प्रयोग की रीति धब्बा। बतलाता है। परिमलित (वि.) [परि+मल+क्त ] 1. सुगंधित परिभुक्त (भू० क० कृ०) [ परि---भुज+क्त ] 1. 2. कलुषित, सौन्दर्य भ्रष्ट / खाया हुआ, प्रयोग में लाया हुआ 2. उपभुक्त 3. | परि(री)माणम् [ परि-+मा+ल्युट, पक्षे उपसर्गस्यदीर्घः] अधिकृत। 1. मापना, (शक्ति या ताक़त की) माप-सद्यः परिभुग्न (वि.) [परि+भुज्+क्त ] विनत, वक्रीकृत, परात्मपरिमाण विवेकमूढः- मुद्रा०१११०, कु० 208, झका हुआ। मनु० 8 / 133 2. तोल, संख्या, मूल्य-याज्ञ० 2262, परिभूतिः (स्त्री०) [परि-भू+क्तिन् ] तिरस्कार, 1319 / अपमान, अनादर, अवमानना-मुद्रा०४।११। परिमार्गः, परिमार्गणम् [ परिमार्ग---घा , ल्युट वा ] परिभूषणः [ परि+भूष--ल्युट ] किसी भूमि का समस्त 1. हूंढना, खोज करना, तलाश करना, पता लगाना, राजस्व छोड़ कर जो संधि की गई हो। पदचिह्न देखते हुए खोज निकालना 2. स्पर्श, सम्पर्क परिभोगः [ परि--- भुज+घञ्] 1. उपभोग-रघु० -शि० 775 3. साफ़ करना, पोछना। 4 / 45 2. विशेष कर मैथुन,-रघु० 11452, 19 // | परिमार्जनम् (परि-+मज-णि +ल्यट] 1. मांजना, 21, 28 / 30 3. दूसरे के सामान का अवैध प्रयोग। साफ़ करना, झाड़-पोंछ करना 2. घी और शहद से परिभ्रंशः [परि-भ्रंश+घा 11. बच निकलना 2. | बनी मिठाई। गिरना। परिमित (भू० क. कृ.) [परि-+मा+क्त ] 1. मध्यम, For Private and Personal Use Only