________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 585 ) परित्रासः [परि--स-+घञ | त्रास, भय, डर / धूसर (वि.) [ परितः सर्वतोभावेन धूसरः-प्रा० स०] परिर्दशित (वि.) [परि+देश+क्त ] कवच से ढका | बिल्कुल भूरा-बसने परिधूसरे वसाना-श० 7 / 21, हुआ, आपादमस्तक शस्त्रों से सुसज्जित (पूर्णतया रघु० 11160 / जिरहबख्तर से युक्त)। परिधेयम् [ परि+धा+यत् ] अधोवस्त्र, नीचे पहनने का परिदानम् [परि+दा+ल्युट ] 1. विनिमय, अदला- | कपड़ा। बदली 2. भक्ति 3. धरोहर का वापिस मिलना। | परिध्वंसः [परि+ध्वंस्+घञ ] 1. दुःख, विनाश, बरपरिदायिन् (पुं०) [ परि+दा-+-णिनि ] वह पिता जो बादी, कष्ट 2. असफलता, विध्वंस, संहार 4. जाति अपनी पुत्री का विवाह ऐसे पुरुष से करता है जिसका च्यति / बड़ा भाई अभी तक अविवाहित है-तु० 'परिवेत्तृ' / परिध्वंसिन् (वि.) [परि+ध्वंस्+णिनि ] 1. गिर कर परि (री) वाहः [परि+दह-+घञ, पक्षे उपसर्गस्य ___अलग होने वाला 2. बर्बाद होने वाला, नष्ट हो जाने दीर्घः ] 1. जलन 2. व्यथा, पीडा, दुःख, शोक। वाला-हि० 2 / 134 / परिदेवः [परि+दिव+घञ ] शोक मनाना, मातम, | परिनिर्वाण (वि०) [प्रा० स०] बिल्कुल बुझा हुआ, विलाप। –णम् (भ्यक्ति की) अन्तिम विलुप्ति, परिमति / परिदेवनम्,-ना, परिदेवितम् [परि+दिव् + ल्युट्, | परिनिर्वत्तिः (स्त्री०) [परि+निर -वत+क्तिन् / परि+दिव+क्त] 1. विलाप, विलखना, रोना-धोना- आत्मा की शरीर से पूर्णमुक्ति, पुनर्जन्म से छुटकारा, अथ तैः परिदेविताक्षर:--कु० 4 / 25, रघु 0 14 / 83, पूर्ण मोक्ष / भग० 2 / 28, तत्र का परिदेवना--याज्ञ० 3 / 9, हि० परिनिष्ठा [प्रा० स०] 1. (किसी वस्तु का) पूरा ज्ञान 4161 2. पश्चात्ताप, खेद / या परिचय, 2. पूर्ण निष्पत्ति 3. चरम सीमा। परिदेवन (वि.) [ परि+दिव् + ल्युट् ] शोकसंतप्त, | परिनिष्ठित (भू० क कृ०) ] परि+नि+स्था+क्त ] खेदजनक, दुःखी। 1. पूर्ण कुशल 2. सुनिश्चित-अपरिनिष्ठितस्योपदेशपरिद्रष्ट्र (पं०)[परि---दश---तच ] तमाशबीन, दर्शक / स्यान्याच्यं प्रकाशनम् -पालवि०१। परिघर्षणम् [परि+धूप+ल्युट ] 1. हमला, आक्रमण, | परिपक्व (भू० क० कृ०) [परि+पच्+क्त ] 1. पूरी बलात्कार 2. अपमान, निरादर, तिरस्कार 3. दुर्व्यव- तरह पका हुआ, 2. भलीभाँति सेका हुआ, 3. बिल्कुल हार, रूखा व्यवहार / पक्का, प्रौढ़, सिद्ध, पूर्णता को प्राप्त (आलं. भी) परि (री) आनम् [परि+धा-+ ल्युट, पक्षे उपसर्गस्य --प्रफुल्ललोध्रः परिपक्वशालि:---ऋतु० 411, इसी दीर्घः] 1. कपड़े पहनना, वस्त्र धारण करना 2. पोशाक, प्रकार–परिपक्वबुद्धिः 4. सुसंबधित, समझदार, अधोवस्त्र, कपड़े आत्तचित्रपरिधानविभूषा:-कि० काइयाँ 5. पूरी तरह पचा हुआ 6. मुनि वाला, 9 / 1, शि० 1151, 61, 4 / 61 / मृत्यु के निकट / परिघानीयम् [ परि+था+अनीयर् ] अधोवस्त्र, नाभि | परिपणं (नम्) [परि+पण+घ प्रा०स०] पूंजी, मूलसे नीचे का पहरावा। धन, वारदाना / परिधायः [ परि+धा+घञ्] 1. नौकर-चाकर, अनुचर परिपणनन [ परि+पण+ल्युट ] वादा करना, प्रतिज्ञा टहलुए 2. आधार, आशय 3. नितंब, चूतड़ / करना। परिधिः [परि+धा+कि ] 1. दीवार, मेंड, बाड़, घेरा | परिपणित (भू.क.कृ.)[परि--पण्+क्त] वादा किया 2. सूर्य या चन्द्रमा का परिवेश - परिचेमक्त इवोष्ण- हुआ, वचन दिया हुआ, प्रतिज्ञा की हुई-शि०७।९। दीधितिः - रघु०८।३०, शशिपरिधिरिवोच्चमडलस्तेन | परिपंथकः परि+पन्थ--- बुल] शत्रु, विरोधी, दुश्मन / तेने--०२११०८ 3. प्रकाशमंडल 4. क्षितिज | परिपंथिन् (वि.) [ परिपंथ-णिनि ] रास्ता रोकने 5. परिधि या वृत्त 6. वृत्त की परिधि 7. पहिये का बाला, रोड़ा अटकाने वाला, विरोध करने वाला, घेरा 8. (पलाश' आदि पवित्र वृक्ष की) समिधा.या विघ्न डालने वाला (पाणिनि के मतानुसार केवल लकड़ी जो यज्ञकुण्ड के चारों ओर रक्खी रहती है...... वेद में मान्य, परन्तु तु० नीचे दिए हुए उद्धरणों से)सप्तास्यासन् परिधयः त्रि: सप्तः समिधः कृता:-ऋक अर्थपरिपंथी महानरातिः—मुद्रा० 5, नाभविष्यमहं 10190 / 15 / सम०--पतिखेचरः शिव का विशेषण तत्र यदि तत्परिपंथिनी-मा० 9 / 50, इसी प्रकार -स्थ: 1. चौकीदार 2. किसी राजा या सेनापति का भामि० 1162, भग० 3 / 34, मनु० 7 / 108, 110 सहायक अधिकारी)। (पुं०) रिपु, शत्रु, प्रतिद्वन्दी, दुश्मन 2. लुटेरा, चोर परिधूपित (वि.) [परिधूिप-क्त ] धूप द्वारा सुवासित डाक। या सुगंधित किया हुआ। | परि (री) पाकः [ परि+पच्+घञ, पक्षे उपसर्गस्य For Private and Personal Use Only