SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 592
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिच्छित्तिः (स्त्री०) [परिछिद्+किन] 1. यथार्थ हुआ, विनत, ढलता हुआ-मेघ० 2 2. (आयु में) परिभापा, सीमित करना 2. विभाजन, अलग अलग वृद्ध, ढलता हुआ--परिणते वयसि-का० 35,62, करना। 63 3. पक्का, परिपक्व, पका हुआ, पूर्णविकसित-- परिच्छिन्न (भू. क. कृ०) [परि+छिद्-:-क्त] 1. शब्दब्रह्मविदः कवेः परिणतप्रज्ञस्य वाणीमिमाम् उत्तर० काटा हुआ, विभक्त 2. यथार्थ परिभाषा से युक्त, 7 / 21, मेघ० २३-परिणतमकरंदमामिकास्ते-भामि० निर्धारित, निश्चयीकृत, कु० 2 / 58 3. सीमित, 118, शि० 11 / 49 4. पूर्णरूप से बढ़ा हुआ, प्रौढ़, सीमाबद्ध, परिसीमित दे० परिपूर्वक 'छिद'।। पूर्णविकसित परिणतशरच्चंद्रकिरण:--भर्त० 3149, परिच्छेदः [परि+छिद्+घञ] . काटना, वियक्त मेघ० 100 5. (भोजन आदि) पचा हुआ करना, विभक्त करना, (उचिन और अनुचित में) 6. रूपान्तरित या परिवर्तित (करण के साथ) विवेचन 2. यथार्थ परिभाषा, फैसला, यथार्थ निर्धारण, विक्रम० 4 / 28 7. समाप्त, पर्यवसित, अवसायी, निश्चय करना परिच्छेदव्यक्तिर्भवति न पुरस्थेऽपि अनेन समयेन परिणतो दिवस:--का० 47 8. (सूर्य विपये--मा० 1 / 31, परिच्छेदातीतः सकलवचनानाम- आदि) अस्त,-तः अपने दांत से प्रहार करने के लिए विषयः - 1130, सब प्रकार की परिभाषा और झुका हुआ या पाश्र्वाधात देने वाला हाथी (तिर्यग्दंतनिर्धारण से श्रेष्ठतर होना इत्यारुढबहप्रतकमपरिच्छे- प्रहारश्च गजः परिणतो मतः--हला०) शि० 2 / 29, दाकुल मे मनः-- श० 5 / 9 3. विवेक, निर्णय, सूक्ष्म- कि०६।७। दप्टि...परिच्छेदा हि पांडित्यं यदापना विपनयः, | परिणतिः (स्त्री०) [परि-+-नम्+क्तिन् ] 1. झुकना, अपरिच्छेदातणां विपदः स्य: पदे पदे हि० 11148, ढलना, नत होना 2. पक्कापन, परिपक्वता, विकास-- कि पांडित्यं परिच्छेदः 147 4. सीमा, हद, सीमा महावी० 2114 3. परिवर्तन, रूपान्तरण, कायापलट स्थिर करना, हदवन्दी-अलमलं परिच्छेदेन मा 4. पूर्णता 5. नतीजा, परिणाम, फल-परिणतिरलवि० 26. अनभाग या पुग्नक का कांड ('अन् ववार्या यत्नतः पंडितेन-भर्तृ० 2 / 94, 1 / 20,3 / 17, भाग' के अन्य नामों के लिए दे० 'अध्याय' के महावी० 628 6. अन्त, उपसंहार समाप्ति, अवअन्तर्गत)। सान-परिणतिरमणीयाः प्रीतयस्त्वद्विधानां मा०६। परिच्छेद्य (वि०) | परि छिद |-यत | 1 यथार्थरूप से 7,16, शि० 1111 7. जोवन की अन्तिम झांकी, परिभाषा के योग्य, परिभापणीय, मनु०४।९, रघु० बढापा-सेवाकाग परिणतिरभूत-विक्रम० 3.1, 10 / 28 2 तोलने या अनुमान लगाने के योग्य / अभवद्गतः परिणति शिथिल: परिमंदमूर्यनयनो दिवस: परिजनः [प्रा० स०] 1. मदा साथ रहने वाले नौकर- --शि० 13, (यहां प० का अर्थ है 'अन्त या चाकर, अनुयायिवर्ग, अनु च रवर्ग--परिजनो राजा- उपसंहार' भी) 8. (भोजन का) पचना। नमभितः स्थित:--मालवि०१2 अरदली लोग, / लोग, परिणद्ध (भू० क० कृ०) [परि+नह +क्त ] 1. बँधा सेवकममह, सेविकाओं का समह, वांदियाँ, दामियां-- हुआ, लिपटा हुआ 2. विस्तृत, विशाल-परिणद्धरघ०१२।२३ 3. सेवक, दास / कंधर:-रघु० 3 / 34 / परिजल्पितम् | परिजल्+क्त ] (नौकर या सेवक का) परिणयः,-णयनम [ परि+नी--अप, ल्यट वा ] विवाहगुप्त संकेत जिमसे अपनी कुशलता श्रेष्ठता तथा ___नवपरिणया वधूः शयने-काव्य० 10 / स्वामी की क्रूरता एवं शठता तथा और दूसरे इसी परिणहनम् [ परि--नह + ल्युट कमर कसना, कमर पर प्रकार के दोष प्रकट हों; उज्ज्वलनीलमणि इस प्रकार कपड़ा लपेटना। परिभाषा बताते है--प्रभोनिर्दयनाशाठ्यचापलाद्युप परि (री) णामः [परिनम +घञ, पक्षे उपसर्गस्य पादनात, स्वविचक्षणताव्यक्तिभंग्या स्यात्परिजल्पि दोघः) 1. बदलना, परिवर्तन, रूपान्तरण 2. पाचनतम् / (विल्सन के अनुमार अपने प्रिय से उपेक्षित अन्नं न मम्यक् परिणाममेति-सुश्रुत, भुक्तस्य परिकिसी रमणी के द्वारा प्रयुक्त गुप्त झिड़कियाँ ही णामहेतुरौदर्यम्--नकं० 3. नतीजा, निप्पत्ति, फल, 'पग्जिल्पित है)। प्रभाव-अप्रियस्यापि पथ्यस्य परिणामः सूखावहःपरिज्ञप्तिः [ परि+ज्ञा+कितन् | 1. संलाप, संवाद हि० 26135, मृच्छ० 3 / 1, परिणामसुखे गरीयसि 2. पहचान। वचसि औपधे-कि० 214, भग० 18 / 37, 38 परिज्ञानम् परिज्ञा- ल्युट | पूग ज्ञान, पूरी जानकारी। 4. पकना, परिपक्वता, पूर्ण विकास--उपैतिशस्यं परिपरिडीनम् [ परि / डी-क्न ] पक्षियों का गोल बना कर णामग्म्यताम--कि० 422, फलभरपरिणामश्याम उहना या पक्षियों के गोल की उड़ान--दे० डोन / / जबू'"उत्तर० 220, मा० 9 / 24 5. अन्त, समाप्ति, परिणत (भू० क० कृ०) [ परि--नम् + क्त ] 1. झुका / उपसंहार, अवसान, ह्रास-दिवसाः परिणामरमणीयाः For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy