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( ५८१ )
बद्ध करना -- मुद्रा० ७ १५ 3. जुटाना, सम्पन्न करना 4. वितरण करना ।
परिकांक्षितः [ परि + कांक्ष् + क्त ] धर्म परायण साधु या सन्यासी, भक्त ।
परिकीर्ण (भू० क० कृ० ) [ परि कृ + क्त ] 1. फैलाया हुआ, प्रसृत, इधर उधर बखेरा हुआ 2. घिरा हुआ, भीड़भड़क्का से युक्त, भरा हुआ - शि० १६ १०, रघु० ८।४५ । परिकूटम् | प्रा० स० ] अवरोध, आड़, नगर के फाटक के सामने की खाई ।
परिकोपः [ परि + कुप् घञ् ] असह्य क्रोध, भीषणता । परिक्रमः । परि + क्रम्+घञ् ] 1. इधर उधर भ्रमण
करना, इतस्ततः घूनना- कि० १०।२ 2 भ्रमण घूमना, टहलना 3. प्रदक्षिणा करना 4. इच्छानुसार व्हलना 5. सिलसिला क्रम 6. यथाक्रमा, उत्तरोत्तर 7. घुसना । सम० सहः बकरी । परिक्रयः, -क्रमणम् [ परि + की +घञ, ल्युट् वा ] 1.
मजदूरी, भाड़ा 2 मजदूरी पर काम में लगाना 3. मोल लेना, खरीद डालना 4. विनिमय, अदल-बदल 5. रुपया देकर की गई संधि तु० हि० ४। १२२ । परिक्रया । परितः क्रिया प्रा० स० ] 1. बाड़ लगाना, चारों ओर खाई खोदना 2. घेरना 3. ( नाट्य० में ) === परिकर (७) ।
परिक्लांत ( भू० क० कृ० ) [ परि कलम् +क्त] थका हुआ, परिश्रांत, उकताया हुशा ।
परिक्लेदः [ परि + क्लिद् + घञ्ञ ] गीलापन, नमी, आर्द्रता । परिक्लेशः [ परि + क्लिश् घञ्न् ] कठिनाई, थकावट,
कष्ट ।
परिक्षय: [ परि + क्षि + अच्] 1 ह्रास, बर्बादी, विनाश, परिक्षयोऽपि अधिकतर रमणीयः मृच्छ० १, किरण० ४४६ 2 अन्तर्धान होना, समाप्त होना 3. बर्बादी, नाश, असफलता - कि० १६/५७, मनु०
९।५९ ।
परिक्षाम [ परि + क्षै + क्त, मकारा देश: ] कृश, क्षीण, दुर्बल
1. बोना,
परिक्षालनम् [ परि + ल् + णित्रु | ल्युट् ] मांजना 2. धोने के लिए पानी । परिक्षिप्त ( भू० क० कृ० ) परि + क्षिप् । क्त | 1 बखेरा हुआ, प्रसृत 2. परिवेष्टित, घेरा हुआ वेतसपरि क्षिप्ते मंडपे श० ३ कु० ६३८ भाई से घेरा हुआ 4. ऊपर से फैलाया हुआ, ऊपर डाला हुआ 5. छोड़ा हुआ, परित्यक्त । परिक्षीण ( भू०क० कृ० ) [ परि + क्षि+क्त] 1. अन्तर्हित, लुप्त, 2. बर्बाद हुआ, हासित 3. कृश, घिसा हुआ, थका हुआ 4. दरिद्र किया हुआ, सर्वथा बर्बाद किया
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हुआ - भर्तृ० २।४५ 5. खोया हुआ, नाश किया हुआ 6. कम किया हुआ, घटाया हुआ 7. ( कानून में) दिवालिया ।
परिक्षीव ( वि० ) [ परि + क्षीव् + क्त, तस्य लोपः ] बिल्कुल नशे में चूर । परिक्षेप: [ परि + क्षिप् + ञ] 1. इधर उधर घूमना, टहलना 2. बखेरना, फैलाना 3. घेरना, परिवेष्टन, चारों ओर बहना 4. घेरे की सीमा, हद जिससे कोई चीज घेरी जाय रघु० १२।६६ । परिखा [ परितः खन्यते खन् + ड+टाप् ] प्रतिकूप, खाई, नगर या किले के चारों ओर बनी नाली या खातरघु० ११३०, १२/६६
परिखातम् [ परि + खन् + क्त ] 1. प्रतिकूप, खाई 2. लीक, खूड 3. चारों ओर से खोदना ।
परिखेदः [ परितः खेदः प्रा० स०] थकावट, परिश्रान्ति,
थकान — कु० १/६०, ऋतु० १।२७ । परिख्यातिः (स्त्री० ) [ परि + ख्या + क्तिन् ] यश, प्रसिद्धि । परिगणनम्, -ना [ परि + गण + ल्युट् ] पूर्ण गिनती, सही
वर्णन या हिसाब - श्रेणीभूताः परिगणनया निर्दिशंतो बलाका:- मेघ० ( मल्लि० इसको क्षेपक समझते हैं ) । परिगत (भू०क० कृ० ) [ परि + गम् + क्त] 1. घेरा हुआ, आवेष्टित, अहाता बनाया हुआ 2. प्रसृत, चारों ओर फैलाया हुआ 3. ज्ञात, समझा हुआ रघु० ७/७१, परिगत परिगंतव्य एव भवान् वेणी० ३, महावी० ३२४७ 4. भरा हुआ, ढका हुआ, सम्पन्न ( प्रायः समास में ) शि० ९/२६ 5 हासिल, प्राप्त' भर्तृ० ३।५२ 6. याद किया हुआ ।
परिगलित ( भू०क० कृ० ) [ परि + गल् + क्त ] 1. डूबा
हुआ 2. उथला हुआ 3. लुप्त 4. पिघला हुआ 5. बहता हुआ । परिगर्हणम् [परि + गर्ह, + ल्युट् ] भारी कलङ्क । परिगूढ (भू०क० कृ०) [परि + गुह +क्त] 1. बिल्कुल
गुप्त 2. अबोध्य, जो समझने में अत्यंत कठिन हो । परिगृहीत् ( भू० क०कु० ) [ परि + ग्रह +क्त] 1. अप
नाया हुआ पकड़ा हुआ, ग्रहण किया हुआ 2. आलिगन किया हुआ, घेरा हुआ है. स्वीकार किया हुआ, लिया हुआ, प्राप्त किया हुआ 4. हामी भरा हुआ, स्वीकृत किया हुआ, माना हुआ 5 संरक्षण दिया हुआ, अनुग्रह किया हुआ 6. अनुसरण किया हुआ, आज्ञा माना हुआ 7. विरोध किया हुआ दे० परिपूर्वक 'ग्रह' ।
परिगृह्या [परि + + क्यप् + टाप्] विवाहिता स्त्री । परिग्रहः | परि + ग्रह +घञ्ञ ] 1. पकड़ना, थामना, लेना, ग्रहण करना, आसनरज्जु परिग्रहे रघु० ९/४६, शंका परिग्रहः मुद्रा० १, शंका करना 2. घेरना,
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