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( ५४१ )
करना 2. घर, आवास, वासगृह, विश्राम स्थान -- निवासश्चितायाः मृच्छ० ११५, शि० ४/६३, ५।२१, भग० ९।१८, मृच्छ० ३।२३ 3. रात बिताना 4. पोशाक, वस्त्र ।
निवासनम् [ नि + स् + णिच् + ल्युट् ] 2. पड़ाव, डेरा 3. समय बिताना । निवासिन् ( वि० ) [नि + वस् + णिनि ]
1. निवास करने वाला, रहने वाला 2. पहनने वाला, वस्त्रों से ढका हुआ कु० ७/२६, (पुं०) निवासी, आवासी । निवि (बि) ड (वि० ) [ नि + विड् +क ] 1. निरन्त राल, सघन, सटा हुआ 2. दृढ़, कसा हुआ, पक्का, निविडो मुष्टि: रघु० ९५८, १९४४ 3. मोटा, अप्रवेश्य, घना, अभेद्य - रघु० ११।१५ 4. स्थूल, मोटा 5. महाकाय, विशाल 6. ठेढ़ी नाक वाला । निविशेष (वि० ) [ निवृत्तो विशेषो कस्मात् ब० स० ] - अभिन्न, समान, ब: अन्तर का अभाव । निविष्ट (भू० क० कृ० ) [ नि + विश् + क्त ] 1. स्थित, ऊपर बैठा हुआ 3. पड़ाव डाला हुआ रघु० १०1६८ 3. स्थिर, तुला हुआ 4 संकेन्द्रित, दमन किया हुआ, नियंत्रित - कु० ५/३१ 5. दीक्षित 6. व्यवस्थित |
1. निवासस्थान
निवीतम् [ नि + व् + क्त, सम्प्रसारणम् ] 1. यज्ञोपवीत पहनना ( माला की भाँति गले में धारण करना ) निवीतं मनुष्याणां प्राचीनावीतं पितॄणामुपवीतं देवानाम् - जै० न्या० 2. धारण किया हुआ जनेऊ, तः, तम् परदा, अवगुंठन, आवरण' दुपट्टा । निवृत ( भू० क० कृ० ) [ नि/वृ/क्त ] घिरा हुआ, लपेटा हुआ, - तः, तम् अवगुंठन, परदा, आवरण ।
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निवृति: ( स्त्री० ) [ नि + वृ + क्तिन् ] आवरण, घेरा निवृत्त ( भू० क० कृ० ) [ नि + वृत्त् + क्त ] 1 लौटा हुआ, वापिस आया हुआ 2. गया हुआ, विदा हुआ 3. रुका हुआ, परहेजगार ठहरा हुआ, विरत 4. सांसारिक कार्यों से परहेज करने वाला, इस संसार से विरक्त, शान्त 5 असदाचरण के लिए पश्चात्ताप 6. समाप्त पूरा समस्त दे० नि पूर्वक वृत्–तम् लौटना । सम० -- आत्मन् (पुं०) 1. ऋषि २. विष्णु की उपाधि, कारण (वि०) बिना किसी अन्य कारण या प्रयोजन के (-णः) धर्मात्मा मनुष्य, सांसारिक इच्छाओं से अप्रभावित, मांस ( वि०) जो माँस खाने से परहेज करता है, निवृत्तमांसस्तु जनकः - उत्तर० ४, -राग (वि०) जितेन्द्रिय- वृत्ति (वि०) किसी व्यवसाय से उपरल होने वाला, हृदय ( वि०) हृदय में पछताने वाला 1. निवृत्ति: ( स्त्री० ) [नि + वृत् + क्तिन् ] 1 लौटना,
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वापिस आना, लौट आना शि० १४ । ६४, रघु० ४।८७ 2. अन्तर्धान, विराम, उपरति स्थगन - शापनिवृत्ती -- श० ७, रघु० ८1८२ 3 काम से दूर रहना, निष्क्रियता ( विप० प्रवृत्ति) 4. परहेज करना, अरुचि - प्राणाघातन्निवृत्तिः भर्तृ० ३।३३ 5 छोड़ना, रुकना 6. वैराग्य, सांसारिक कार्यों से उपराम, शान्ति, संसार से वियुक्ति 7. विश्राम, आराम 8 आनन्द, कैवल्य 9. मुकरना, अस्वीकार करना 10 उन्मुलन, प्रतिरोध ।
निवेदनम् [ नि + विद् + ल्युट् ] 1. बतलाना, कहना, प्रकथन करना समाचार, उद्घोषणा 2. अर्पण करना, सौंपना 3. समर्पण 4. प्रतिनिधान 5. चढ़ावा या आहुति ।
निवेद्यम् [ नि + विद् + ण्यत् ] किसी देवमूर्ति को भोग लगाना - तु० 'नैवेद्य' ।
निवेश: [ नि + विश् + घज्ञ ] 1. प्रवेश, दाखला 2. पड़ाव
डालना, ठहरना 3. ठहरने का स्थान, शिविर, खेमा सेनानिवेशं तुमुलं चकार रघु० ५/४९, ७१२, शि० १७/४० कि० ७/२७ 4. घर, आवास, निवास कि० ४।१९ 5. विस्तार, (छाती को ) सुडौलपना - कि० ४१८ 6. जमा करना, अर्पण करना 7. विवाह करना, विवाह, जीवन में स्थिर होना 8. छाप, नकल 9. सैन्यव्यवस्था 10. आभूषण, सजावट । निवेशनम् [ति + विश् + णिच् + ल्युट् ] 1. प्रवेश, दाखला
2. ठहरना, पड़ाव डालना 3. विवाह करना, विवाह 4. लेखबद्ध करना, शिला-लेखन 5. आवास, निवास, घर, आवास स्थान 6. शिविर 7. कस्बा या नगर 8. घोंसला ।
निवेष्ट: [ नि + वेष्ट +घञ ] आवरण, लिफाफा | निवेष्टनम् [ नि + वेष्ट + ल्युट् ] डकना, लिफाफे में बन्द करना ।
निशु (स्त्री० ) (यह शब्द, कारक की दूसरी विभक्ति के
द्वि० ० के पश्चात् सारी विभक्तियों में 'निशा' शब्द के स्थान में विकल्प में आदेश हो जाता है, पहले पांच वचनों में इसका कोई रूप नहीं होता) 1. रात 2. geat!
निशमनम् [ नि+शम् + णिच् + ल्युट् ] 1. देखना, अवलोकन करना 2. दर्शन, दृष्टि 3. सुनना 4 जानकार होना ।
निश (शा) रणम् [ नि + ऋ + ( णिच्) + ल्युट् ] बध,
हत्या |
निशा [ नितरां श्यति तनूकरोति व्यापारान् शो + कु
तारा० ] 1. रात - या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागति संयमी भग० २।६९ 2. हल्दी । सम० अबः,
- अदन: 1. उल्लू 2. राक्षस, भूत, पिशाच, अति
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