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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ५४० ) निर्ग्रहः [निर्+वि+वह +घञ ] दे० 'नियूह' 1. कंगूरा । निवरा [ नि-वृ+अप्+टाप् ] अक्षतयोनि, अविवाहित 2. शिरस्त्राण, कलगी 3. दरवाजा, फाटक 4. दीवार | कन्या। में लगी खूटी या बकेट 5. काढ़ा । निवर्तक (वि.) [नि--वत+वल 1 1. वापिस देने निर्हरणम् [निर्+है+ल्युट्] 1. शव का दाहसंस्कार के वाला, आने वाला या पीछे मड़ने वाला 2. ठहरने लिए ले जाना, शव को चिता पर रखना 2. ले जाना, वाला, पकड़ने वाला 3. उन्मूलक, निष्कासित करने बाहर निकालना, निचोड़ना, हटाना 3. जड़ से वाला, मिटाने बाला 4. वापिस लाने वाला। उखाड़ना, उन्मूलन करना। निवर्तन (वि०) [नि+वृत्+ल्यट] 1. लौटाने वाला निर्हादः [निर्+हद्+घञ्] मलोत्सर्ग, मलत्याग। 2. पीछे मुड़ने वाला, ठहरने वाला-नम् वापिस निहारः [निर+ह+घञ ) 1. ले जाना, दूर करना, होना, मड़ना, या वापिस आना, लौटना-इह हि हटाना 2. बाहर खींचना, उखाड़ना 3. जड़ से उखा पतता नास्त्यालंबो न चापि निवर्तनम-शा० ३१२ डना, विनाश 4. मृतक शरीर को दाह संस्कार के 2. न घटने वाला, बन्द होने वाला 3. रुकने वाला, लिए ले जाना 5. निजी धन संचय, निजी जमा परहेज करने वाला (अपा० के साथ) 4. काम से - मनु० ९।१९९ 6. मलत्याग, (वि० आहार)। हाथ खींचना, निष्क्रियता (विप० प्रवर्तन)-काम० निर्हारिन् (वि.) [निर्+ह+णिनि] । पालन करने १।२८ 5. वापिस लाना- अमरु ८४ 6. पश्चात्ताप वाला 2. व्याप्त, ( गंधादिक ) विस्तारशील 3. करना, सुधार करने की इच्छा 7. बीस बांस लम्बी गंधयुक्त । भूमि । निहं तिः (स्त्री० [निर+ह+क्तिन्] मार्ग से हटाना, निवसतिः (स्त्री) निवस+अतिच ] घर, आवास, दूर करना। __ आवासस्थान, वासगृह, निवासस्थान । निदिः [निर्+हृद्+घञ्] ध्वनि,-रघु० ११०१।। निवसथः [नि+वस्-+-अथच् ] गाँव, ग्राम । निलयः [नि-लो-अच] 1. छिपने का स्थान, (जानवरों | विनिम.. | निवसनम् [ नि--वस्- ल्युट ] 1. गह, आवास, निवासका) भट या मांद, (पक्षियों का) घोंसला-शि० स्थान 2. परिधान, वस्त्र, अन्तर्वस्त्र-शि० १०॥६०, ९।४ 2. आवास, निवास, घर, गृह (प्रायः समास के - रघु० १९।४१ । अन्त में) रहने बाला, वास करने वाला 3. अस्त होना, I निवरः---भर्त० ३।३७. इसी प्रकार घन' दैत्य कपोत छिपना-दिनांते निलयाय गंतुम्-रघु० २११५, (यहाँ __ आदि 2. सात पवनों में से एक पवन का नाम । यह शब्द 'प्रथम अर्थ' को भी प्रकट करता है। निवात (वि.) [ निवृत्तः वातो यस्मिन् ब. स.] 1. निलयनम् [नि+लो+ल्युट्] 1. किसी स्थान पर बसना, से सुरक्षित, जहाँ वाय न हो, शान्त-रघु० १९।४२ उतरना 2. शरणगृह, धर, गृह, आवास । 2. जिसे चोट न लगी हो, क्षति न पहुँची हो, बाधा निलिंपः [नि+लिए+श, नुम] 1. देवता - निलिंपैर्मुक्ता रहित 3. सुरक्षित, अभय 4. सुसज्जित, दृढ़ कवच नपि च निरयान्तनिपतितान -गंगा० १५ 2. मरुतों धारण किए हुए,--तः 1. शरणगृह, निवासस्थान, का दल । सम० --निर्झरी स्वर्गीय गंगा। आश्रयागार 2. अकाट्य कवच, तम् 1. वायु से निलिपा, निलिपिका [निलिम्प+टाप, कन्न-टाप, इत्वं सुरक्षित स्थान-निवातनिष्कपमिव प्रदीपम् --कु० च गाप। ३।४८, कि० १४।३७, रघु० १३१५२, ३११७, भग० निलोन (भू० के० कृ०) [नि+ली+क्त] 1. पिघला ६।१९ 2. वायु का अभाव, शान्त, निस्तब्धता--रघु० हुआ या गला हुआ 2. वन्द या लिपटा हुआ, गुप्त १२।३६ 3. निष्कंटक स्थान 4. दृढ़ कवच ।। 3. अन्तर्ग्रस्त, घिरा हुआ, परिवलयित 4. ध्वस्त, | | निवापः [नि+वप्--घा 1 1 बीज, अनाज, बीज के नष्ट 5. परिवर्तित, रूपान्तरित (दे० नि पूर्वक ली)। रक्खे हुए दाने 2. मृतक पूर्वजों के पितरों को या निवचने (अव्य०) [प्रा० स०] न बोलना, बोलना बन्द दूसरे बन्धओं को भेंट, जलतर्पण (श्राद्ध के अवसर करके, जिह्वा को राक कर ('कृ' के साथ प्रयक्त पर) एको निवापसलिलं पिबसीत्य युक्तम्---मा० होने पर गति' के रूप में या उपसर्ग के रूप में ९।४०, निवापदतिभिः-रघु०८।८६, निवापांजलयः अथवा स्वतंत्र शब्द समझा जाता है--उदा० निवचने- पितृणाम् --५।८, १५।९१, मुद्रा० ४।५ 3. भेंट या कृत्य, निवचने कृत्वा-पा० १।४।७६)। उपहार । निवपनम् [नि+वप् | ल्युट् ] 1. बिखेरना, उद्देलना, निवारः, निवारणम् [ नि-+-+-णि+अच, ल्युट वा] नीचे फेंकना 2. वोना 3. पितरों के नाम पर चढ़ावा, 1. दूर रखना, रोकना, हटाना--देशनिवारणश्च मृतपूर्वजों को लक्ष्य करके दो गई आहुति-को नः | ~-रघु ० ०।५ 2. प्रतिपेध, बाधा । कुले निवपनानि नियच्छनीति - ० ६२४ । सः [नि-वस ---घञ ] 1. रहना, बसना, निवास For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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