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पाण
होना 3. विघटन, मृत्यु 4. माया या प्रकृति से मुक्ति प्रान्त-निविष्टं वैश्यशूद्रयोः--गौ० 4. विवाहित पाकर परमात्मा से मिलन, शाश्वत आनन्द-निर्वाण- 5. व्यस्त । मपि मन्येऽहमन्तरायं जयश्रियः--कि० ११६९, | घृत (भू० क० कृ०) [निर+व+क्त] 1. संतृप्त, रघु० १२०१ 5. (बौद्ध-विषयक) सांसारिक संतुष्ट, प्रसन्न, निवृतौ स्व:-श०२१४ 2. निश्चित, जीवन से व्यक्ति का पूर्ण निर्वाण, बौद्धों बेफ़िकर, आराम में 3. विश्रान्त, समाप्त। की मोक्षप्राप्ति 6. पूर्ण और शाश्वत शान्ति, सदा के | निर्वृतिः (स्त्री०) [ निर्+वृ+क्तिन् ] 1. संतृप्ति, लिए विश्राम-कि० १८।३९ 7. पूर्ण संतोष या प्रसन्नता, सुख, आनन्द, व्रजति निर्वतिमेकपदे मन:
आनन्द, ब्रह्मानन्द, परमानन्द- अये लब्धं नेत्रनिर्वाणम् विक्रम० २।९, रघु० ९।३८, १२१६५, श० ७।१९ ------श० ३, मालवि० ३.१, शि० ४।२३, विक्रम शि० ४१६४, १०१२८, कि० ३१८ 2. शान्ति, विश्राम, ३१२१ 8. विश्राम, विराम 9. शून्यता 10. सम्मिलन, विश्रान्ति 3. मुक्ति, निर्वाण-द्वार निर्वतिसानो साहचर्य, संगम 11. हस्तिस्नान-दे० 'अनिर्वाण' विजयते कृष्णेतिवर्णद्वयम्-भामि० ४।१४ 4. संपूर्ति, रघु० १७१ में 12. विज्ञान में शिक्षण । सम० निष्पत्ति 5. स्वतंत्रता 6. अन्तर्धान होना, मृत्यु, --भूयिष्ठ (वि.) प्रायः आंखों से ओझल या लुप्त विनाश । --निर्वाणभूयिष्ठमथास्य वीर्य संधुक्षयंतीव वपुर्गुणेन निर्वत्त (भ० क० कृ०) [निर+त+क्त] निष्पन्न, --कु० ३१५२,--मस्तकः मुक्ति, मोक्ष।
अवाप्त, सम्पन्न। निर्वादः [ निर+वद्--घन ] 1. दोषा रोपण, दुर्वचन | निर्वत्तिः (स्त्री०) [निर+वृत्+क्तिन् ] निष्पन्नता,
2: बदनामी, लोकापवाद, परिवाद-रघु० १४१३४ पूर्णता, सम्पन्नता-मनु० १२।१।। . 3. शास्त्रार्थ का निर्णय 4. वाद का अभाव । निर्वेदः [ निर+विद्+घञ ] 1. घणा, जगप्सा 2. अतिनिर्वापः [निर+व+घा ] दे० 'निर्वपणम्'।
तृप्ति, छक जाना 3. विषाद, निराश, अवसादनिर्वापणम् [निर्+व+णि+ल्युट ] 1. चढ़ावा, परिभवान्निर्वेदमापद्यते--मच्छ० ११४ 4. दीनता
आहति, पिंडदान या श्राद्ध 2. भेंट, दान 3. बुझाना, 5. शोक 6. विरक्ति-भग० २।५२, (एक प्रकार गुल करना 4. उडेलना, बखेरना, (बीज का) बोना की भावना जिससे शान्तरस का उदय होता है5. पुरस्करण, प्रदान 6. निराकरण, उपशमन, शान्ति काव्य-निर्वेदस्थायिभावोऽस्ति शांतोऽपि नवमो रस: ---कर्तव्यानि दुःखितैदुःखनिर्वापणानि--उत्तर. ३ 7. स्वावमान, दीनता (तेंतीस संचारिभावों में से 7. विनाश 8. बध, हत्या 9. ठण्डा करना, विश्रांति एक), तु० रस० में दी गई परिभाषा से, निम्नांकित करना--शरीरनिर्वापणाय--श० ३ 10. प्रशीतल दष्टांत दिया गया है-यदि लक्ष्मण सा मगेक्षणा न और ठंडा उपचार ।
मदीक्षासरणि समेष्यति, अमुना जडजीवितेन में जगता निर्वाला, निर्वासनम् [ निर ।-वस्---घन, निर+व+ वा विफलेन किं फलम् ।
णि ल्यूट ] 1. निकालना, निर्वासन करना, देश. | निवशः [ निर+विश+घा 11. लाभ, प्राप्ति 2. मज़निकाला देना 2. वध, हत्या।
दूरी, भाड़ा, नौकरी 3. भोजन, उपभोग, सेवन निर्वाहः [निर+वह +घञ ] 1. निबाहना, निष्पन्न
4. भुगतान की अदायगी 5. प्रायश्चित्त, परिशोधन करना, संपन्न करना 2. सम्पूर्ति, अन्त 3. अन्ततक
6. विवाह 7. मछित होना, बेहोश होना 8. छिद्र, निबाहना, सहारा देना, दृढ़तापूर्वक डटे रहना, धैर्य- रंध्र। निर्वाहः प्रतिपन्नवस्तुषु सतामेतद्धि गोत्रव्रतम्-मुद्रा० नियंढ (भ० क. कृ.) [निर-वि+बह ---क्त ] २।१८ 4. जीवित रहना 5. पर्याप्ति, यथेष्ट व्यवस्था,
1. पूरा किया गया, समाप्त किया गया 2. उद्गतया अक्षमता 6. वर्णन करना, बयान करना।
उदित, वर्धित, विकसित-मुहर्तनिhढविस्मय-मा० ७, निर्वाहणम् [ निर-+-वह +णि + ल्युट ] दे० 'निर्वहण' । नियूंढसौहृदभरेति~६।१७, (उपचित---जगद्धर) निविण्ण (भू० क० कृ०) [निर+विद-क्ति ] 1. निर्वेद- 3. प्रतिसमर्थित, पूर्णतः प्रदर्शित, सत्यप्रमाणित,
युक्त, खिन्न, मच्छ० १११४ 2. भय या शोक से श्रद्धापूर्वक या अन्त तक पालन किया गया-हा तात अभिभूत 3. शोक से कृश 4. दुरुक्त, पतित 5. किसी जटायो नियंढस्तेऽपत्यस्नेहः-उत्तर० 3. नियंढ: वस्तु से घृणा-मत्स्याशनस्य निर्विण्ण:-पंच० १ संभावनाभारो बुद्धरक्षितया-मा० ८, नियंढे 6. क्षीण, मुाया हुआ 7.विनम्र, विनीत ।
तातस्य कापालिकत्वम-मा० ४१९, १०, महावी० निविष्ट (भू० क० कृ०) [निर+विश्+क्त] ७८ 4. परित्यक्त, छोड़ा हुआ। 1. उपभुक्त, अवाप्त, अनुभत 2. पूर्णतः उप-निळविः (स्त्री०) [निर+वि+बह+क्तिन] 1. अन्त, भुक्त-रघु० १२११, 3. पारिश्रमिक के रूप में । पूर्ति 2. शिखर, उच्चतम बिंदु ।
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