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( ५३८ )
करने के पश्चात् माये हए फल-निर्माल्यरथ | ५५, (यहां मल्लिनाथ इसका अर्थ लिखते हैं - "मत्त
ननृतेऽवधीरितानाम्-शि०८।६० 4. अवशेष । वारणाख्यः उपाश्रयः" और वैजयन्ती का उद्धरण निर्मितिः (स्त्री०) [निर+मा+क्तिन्] उत्पादन, सृजन, देते हैं, संभवत: इसका नाम इसके हाथी के रूप की
निर्माण, कलात्मक वस्तु की रचना-नवरसरुचिरां समामता के कारण पड़ा है) चारूतोरणनिर्यहा निर्मितिमादधती भारती कवेर्जयति ।
...---रामा० 2. शिरोभूषण, चड़ामणि, मुकूट 3. दीवार निर्मुक्त (भू० क० कृ०) [निर्+मुच्+क्त] 1. छोड़ा में लगी खुटी 4. दरवाजा, फाटक 5. सत्त्व, काढ़ा।
हुआ, मुक्त किया हुआ, स्वतंत्र किया हुआ-रघु० | निलञ्चनम् [ निर्+लुञ्च+ल्युट् ] उखाड़ना, फाड़ना, १९४६ 2. सांसारिक अनुरागों से मुक्त 3. वियुक्त, । छीलना। अलग किया हुआ,-क्त: साँप जिसने हाल ही में | निलुंठनम् [ निर्+लुण्ठ+ ल्युट् ] 1. लूटना, लूटखसोट अपनी केंचुली छोड़ी हो।
2. फाड़ डालना। निर्मूलनम् [ निर्+मूल+णिच् + ल्युट् ] उच्छेदन, जड़ से निर्लेखनम् [निर्--लिख + ल्युट् ] 1. खुरचना, खरोंचना,
उखाड़ फेंकना, उन्मूलन (आलं. भी) कर्मनिर्मूलन- । नोचना 2. खुरचनी, रांपी। क्षम:- भर्तृ ० ३।७२ ।
निर्वयनी [ निर्-+ली+ ल्युट्, पृषो० साधुः ] सांप को निर्मष्ट (भू० क० कृ०) [निर्--मृज्+क्त ] पोंछा गया, केंचुली। धोया गया, रगड़ा गया-निर्मुष्टरागोऽधरः-सा० निर्वचनम [ निर+वच-+-ल्यट ] 1. उक्ति, उच्चारण
2. लोकप्रसिद्ध उक्ति. लोकोक्ति 3. व्यत्पत्तिसहित, निर्मोकः [निर्+मुच्+घञ ] 1. मुक्त करना, स्वतंत्र व्युत्पत्ति 4. शब्दावली, शब्दसूची।
करना 2. खाल, चमड़ी, विशेष रूप से केंचुली-रघु० | निपणम् [ निर्+व+ल्युट ] 1. उडेल देना, भेंट करना १६।१७, शि० २०१४७ 3. कवच, जिरहबख्त 4. 2. विशेष रूप से पितरों को पिंडदान, तर्पण-मनु० आकाश, अन्तरिक्ष ।
३१२४८, २६० 3. उपहार प्रदान करना 4. पुरस्कार, निर्मोक्षः [ निर्+-मोक्ष +घञ ] मुक्ति, छुटकारा-रघु० दान । १०।२।
निवर्णनम् [ निर+वर्ण+ल्युट ] 1. नजर डालना, देखना निर्मोचनम् [ निर्+मुच्+ ल्युट ] मुक्ति, छुटकारा । दृष्टि 2 चिह्न लगाना, ध्यान पूर्वक अवलोकन करना । निर्याणम् [ निर ---या+ल्युट् ] 1. निष्क्रमण, बाहर जाना, निर्वर्तक (वि.) (स्त्री०-टिका) [निर्-+-वृत्-|-णिच
प्रस्थान करना, बिदायगी 2. अन्तर्धान, ओझल 3. --वुल ] पूरा करने वाला, निष्पन्न करने वाला, मरण, मृत्यु 4. चिन्तन मुक्ति, परमानंद 5. हाथी की समाप्त करने वाला, कार्यान्वित करने वाला, सम्पन्न
आँख का बाहरी किनारा-बारणं निर्याणभागेऽभिघ्नन करने वाला । ---दश० ९७, निर्याणनियंदसृजं चलितं निषादी-- शि०
| निर्वर्तनम् [ निर्-- वृत्---णिच् + ल्युट् ] निष्पत्ति, पूति, ५१४१ 6. पशुओं के पैर बाधने की रस्सी, पैकड़ा
कार्यान्वित । -----निर्याणहस्तस्य पुरो दुधुक्षतः -शि० १२।४१ ।।
निर्वहणम् [निर् + दह -- ल्युट् ] 1. अन्त, पूर्ति--शि० निर्यातनम् [निर+यत्+णि+ल्युट ] 1. वापिस
१४।६३ 2. निर्वाह करना, अन्त तक निबाहना, करना, लौटाना, अर्पण करना, (धरोहर) प्रत्यर्पण
जीवित रखना.....मानस्य निर्वहणम्-अमरू 3. ध्वंस, करना 2. ऋणपरिशोध 3. उपहार, दान 4. प्रतिहिंसा,
सर्वनाश. (नाटकों में) उपक्रांति, वह अन्तिम बदला (जैसा कि 'वैर निर्यातन') 5. वध, हत्या। अवस्था जब कि महान परिवर्तन का अन्तिम क्षण हो, निर्यातिः (स्त्री०) [निर+या+क्तिन् ] 1. निकलना, नाटक या उपन्यास आदि का उपसंहार---तत्कि
प्रस्थान 2. इस जीवन से बिदा लेना, मरण, मृत्यु । निमित्तं कुरु-विकृतनाटकस्येव अन्यन्मुखेऽन्यनिर्वहणे निर्यामः [ निर+यम् +णिच् +घञ ] मल्लाह, कर्णधार -मुद्रा०६। या चालक, नाविक, नाव खेने वाला।
निर्वाण (भू० क. कृ.) [ निर्+वा-|-क्त ] 1. फूंक निर्यासः , सम् [निर+यस-+घञ ] वृक्षों या पौधों मार कर बुझाया हुआ, (आग या दीपक की भांति)
का निःश्रवण, गोद, रस, राल ---शालनिर्यासगंधिभिः बुझाया गया--निर्वाण-वैरदहनाः प्रशमादरीणाम् ---रघु० ११३८, मनु० ५।६ 2. अर्क, सार, काढ़ा -वेणी० ११७, कु० २।२३ 2. खोया हुआ, लुप्त 3. कोई गाढ़ा तरल पदार्थ ।।
3. मत, मरा हुआ. जीवन से मुक्त 5. (सूर्य की नियुहः [ निर+उह+क; पृषो० साधुः] 1. कंगुरा, भांति) अस्त 6. शान्त, चुपचा: 7. डूबा हुआ, णम्
मीनार, बुर्ज या कलश (जो स्तम्भ या दरवाजों पर 1. बुझाना-१।१३१, शनिर्वाणमाप्नोनि गिरिधान बनाया जाता है) वितदिनियूहविटंकनीड:---शि० ३।। इवानल:---महा० 2. दृष्टि से ओझल होना, लोप
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