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निखिल
की भांति) खोदकर गाड़ा हुआ, अन्दर गड़ाया हुआ- डकारा हुआ 2. पूर्ण रूप से निगला हुआ, या लय शल्यं निखातमुदहारयतामरस्तः -रघु० ९१७८ किया हुआ, छिपा हुआ, गुप्त, अतएव आपूरणीय .. अष्टादशद्वीपनिखातयूपः --- ६।३८, गाढं निखात इव मे उपमानेनांतनिगोर्णस्योपमेयस्य यदध्यवसानं सका--- हृदये कटाक्षः-मा० १२९ 3. गाड़ा हुआ, दफ़नाया काव्य० १०॥ हआ।
निगूढ (वि०) नि+गुह+क्त] 1. छिपाया हुआ, गुप्त नवत्तं खिलं शेषो यस्मात ब० स०] "-शि० १३।४०, 1. रहस्य, निजी-तुम् (अव्य०) संपूर्ण, पूरा, समस्त, सब-प्रत्यक्षं ते निखिलमचिराद चुपचाप, निजी ढंग से ।। भ्रात रुक्तं मया यत्--मेघ ० ९४ ।
निगूहनम् [नि+गुह + ल्युट] दुराना, छिपाना ! निगड (वि.) [नि+गल+अच् लस्य डः] बेड़ी से बंधा निग्रंथनम् [नि+ग्रंथ् + ल्युट्] वध, हत्या ! हुजा, शृंखलित, वृद्धस्य निगडस्य च-मनु० ४।२१०, |
निग्रहः [नि+ग्रह,+अप्] 1. रोक रखना, नियंत्रित ---,-म 1. हाथी के पैरों के लिए लोहे की
करना, दमन करना, वश में करना-जैसा कि जंजीर, बद्धापराणि परितो निगडान्यलावीत्-शि० 'इन्द्रियनिग्रह' में-मनु० ६.९२, याज्ञ. १२२२२ ५।४८, भामि० ४।२० 2. हथकड़ी, बेड़ी।
भर्तृ० १६६६, भग० ६।३४ 2. दबाना, रोकना, निगडित (वि.) [निगड-+-इतच्] हथकड़ी से बंधा हुआ, कुचलना- मनु० ६७१ 3. दौड़ कर पकड़ लेना, बेड़ी से जकड़ा हुआ, शृंखलित, बांधा हुआ।
अधिकार में कर लेना, गिरफ्तार करना---त्वन्निग्रहे निगणः [निगरण, पृषो० साधुः] यज्ञाग्नि को धूआँ !
तु वरगात्रिन मे प्रयत्न:-मुच्छ० श२२, शि० २।८८ निगदः, निगादः नि+गद् +अप, घा वा] 1. सस्वर 4. कैद करना, कारागार में डालना 5. पराजय,
पाठ, स्तुति पाठ 2. ऊँचे स्वर से बोली गई प्रार्थना पछाड़ देना, परास्त करना 6. हटा देना, नष्ट करना, 3. भाषण, प्रवचन 4. अर्थ सीखना -यदधीतमविज्ञातं दूर करना---रघु० ९।२५, १५।६, कु० ५।५३ निगदेनैव शब्द्यते--निरु० 5. उल्लेख, उल्लेखीकरण - 7. रोगों की रोकथाम, चिकित्सा 8. दण्ड, सजा इति निगदेनैव व्याख्यातम् !
(विप० अनुग्रह) निग्रहानुग्रहस्य कर्ता-पंच० १, निगवितम् [नि-गद्+क्त] प्रवचन, भाषण !
निग्रहोऽप्ययमनुग्रहीकृतः-रघु० १११९०, ५५, १२॥ निगमः [नि+गम+घञ वेद, वेद का मल पाठ-साढ ५२, ६३ 9. डांट, फटकार, गहा 10. अरुचि, नाप
साढ्वा साढेति निगमे---पा० ६३।११३, ७।२।६४ संदगी, जुगुप्सा 11. (न्या० में) तर्कगत दोष, त्रुटि, वैदिक उद्धरण, वेद का वाक्य तथापि च निगमो अनुमान-प्रक्रिया में भूल (जिसके कारण हेतुवादी भवति (निरुक्त में बहुधा प्रयुक्त) 3. सहायक ग्रंथ, परास्त हो जाता है) तु० मुद्रा० ५।१० 12. मूठ उपवेद, वेद भाष्य, मन० ४११९ तथा उसका कुल्ल . 13. सीमा, हृद। भाप्य 4. वेद का विधि वाक्य, ऋषियों के वचन | निग्रहण ( वि० ) [ नि-+-ग्रह- ल्युट ] पीछे कर 5. (शब्द का मूल स्रोत) धातु 6. निश्चय, विश्वास देने वाला, दबाने वाला-णम् 1. दमन करना, 7. तर्क 8. व्यवसाय, व्यापार 9. मंडी, मेला दबाना 2. पक- ड़ना, कैद करना 3. सज़ा, दण्ड 10. चलते फिरते सौदागरों को मण्डली 11. मार्ग, 4. पराजय । मण्डी का मार्ग 12. नगर ।
निग्राहः [नि+ग्रह +घञ्] 1. दण्ड 2. कोसना---जैसा निगमनम् [नि+गम् + ल्युट] 1. वेद का उद्धरण, या
कि निग्राहस्ते भूयात्' (भगवान्, तुम्हें शापग्रस्त करे) उद्धत शध्द 2. (त० में) अनुमान-प्रक्रिया में
भट्रि० ७१४३ में। उपसंहार, (पंचावयवी भारतीय अनुमान-प्रक्रिया निघ (वि.) [नि+हन, नि०] जितना चौड़ा उतना ही में पाँचवाँ अवयव), घटाना ।
लम्बा ,-घः 1. गेंद 2. पाप। निगरः, निग़ारः [नि-ग+अप, घा वा] निगलना, निघंटुः [नि+घण्ट्+कु] 1. शब्दावली 2. विशेष रूप डकारना ।
से वैदिक शब्दावली जिसकी व्याख्या यास्क ने अपने निगरणम् [ नि--ग+ल्यद ] 1 निगलना, डकारना निरुक्त में की है।
2. (आलं०) ग्रहण कर लेना, पूर्ण रूप से लय कर | निघर्षः निघर्षणम् [नि+घृष्-+-घन, ल्यट वा] रगडना देना--ण: 1. गला 2. यज्ञाग्नि का धूआँ ।
घर्षण करना, कि० २०५१। निग (गा) ल: [-निगरं, निगार, रलयोरभेदः] 1. निग- | निघसः [नि+अद्+अप, घसादेशः 1. खाना, भोजन ___लना, डकारना 2. घोड़े का गला या गर्दन वत् करना 2. भोजन । (०) घोड़ा।
निधातः [नि+हन्+घञ्] 1. अभिघात, प्रहार--रघु० निगीर्ण (भू०क००) [नि--ग+क्त] 1. निगला हुआ, । १११७८ 2. स्वर का दमन करना या अभाव ।
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