________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(
५२२ )
अन्तिम 'म' का लोप करके, इसे समास के प्रथमखण्ड । जालसाजी, घोखा--अनिकृतिनिपूणं ते चेष्टितं मानके रूप में भी बहुधा प्रयुक्त किया जाता है निकाम- शौण्ड ---वेणी० ५।२१, कि० ११४५ 3. तिरस्कार,
निरंकुश:--गीत० ७, कु० ५।२३, शि० ४।५४ । अपराध, अपमान-मुद्रा० ४।११ 4. गाली, झिड़की निकायः [नि+चि--घा, कुत्वम् ] 1. ढेर, संघटन, 5. अस्वीकृति, निराकरण 6. गरीबी, दरिद्रता ।
श्रेणी, समुच्चय, झुण्ड, समूह, महावी० ११५० सम-प्रज्ञ (वि०) दुष्ट, दुर्मना। 2. सत्संग या विद्वत्सभा, विद्यालय धार्मिक परिषद् निकंतन (वि.)-नी) [मि+कृत्+ल्युटी काट डालना, 3. घर, आवास, निवास-स्थल-कशीनिकायः आदि नष्ट करना, विरहिनिकेतनं कृतमुखाकृति केतकिदंतुरि
4. शरीर 5. उद्देश्य, चांदमारी, निशाना 6. परमात्मा। ताशे (वसंते)-गीत० ११-मम् काटना, काट निकाय्यः [नि+चि+ण्यत्, नि०] निवास, आवास, डालना, नष्ट करना 2. काटने का उपकरण, एकेन
घर--न प्रणाय्यो जनः कच्चिन्तिकाय्यं तेऽधितिष्ठति- नखकंतनेन सर्व कार्णायसं विज्ञातं स्यात्-शारी। भट्टि०६।६६ ।
निकृष्ट (वि.) [नि- कृष्+क्त ] 1. नीच, अधम, निकारः [नि++घञ्] 1. अनाज फटकना 2. ऊपर
कमीना 2. जातिबहिष्कृत, घृणित 3. गंवारू, देहाती। उठाना 3. वध, हत्या 4. अनादर, ताबेदारी | निकेतः [निकेतति निवसति अस्मिन् -- नि+कित्+घा] 5. अवज्ञा, क्षति, अनिष्ट, अपराध'; तीणो निकारा
घर, आवास, भवन, आलय-श्रितगोकर्णनिकेतमीर्णवः---वेणी० ६।४३, ४४१६ 6. गाली, बुरा भला
श्वरम् - रघु० ८।३३, १४१५८, भग० १२०१९, कु. कहना, अवमान 7. दुष्टता, द्वेष 8. विरोध, वचन
५।२५, मनु० ६।२३, शि० ५।२६ । विरोध।
निकेतनः [ निकित + ल्युट ] प्याज--नम भवन, घर, निकारणम् [नि++णिच् + ल्युट् ] वध, हत्या।
आलय, सिंजानां मंजुमंजीर प्रतिवेश निकेतनम् - गोत० निकाशः,-सः [नि+काश् (स्)+घञ ] 1. दर्शन, ११, मनु० ६।२६,११।१२८, कि० १।१६ ।
दृष्टि 2. क्षितिज 3. सामीप्य, पड़ौस 4. समानता, निकोचनम् [नि+कुच-+ ल्युट् ] सिकुड़न, सिमटन ।
समरूपता (समास के अन्त में) मा० ५।१३ । निक्वणः, निक्वाणः [नि+क्यण् - अप, घञ वा ] निकाषः [नि कंप+घञ ] खुरचना, रगड़ना-कि० 1. संगीतस्वर 2. ध्वनि, स्वर ।
निक्षा [ निश् +अ+टाप् | जू का अंडा, लीख ('लिक्षा' निकुंचनः [नि+-कुंच+ल्युट [ एक तोल जो ११४ कुदव का अशुद्ध रूप)।
के बराबर है (आउ तोले के बराबर तोल)। निक्षिप्त (भू० क० कृ०) [नि---क्षिप्+क्त ] 1. फेंका निकुंजः,-जम् [नि+कु+जन्+ड, पृषो०] लतामण्डप, हुआ, डाला हुआ, रक्खा हुआ 2. जमा किया हुआ,
लतागृह, कुंज पर्णशाला -यमुनातीरवानीरनिकुंजे न्यस्त, धरोहर के रूप में रक्खा हुआ 3. भेजा हुआ,
मंदमास्थितम्---गीत०४।२,११, ऋतु० ११२३ ।। पहुँचाया हुआ 4. अस्वीकृत, परित्यक्त। निकुम्भः [नि-कुम्भ-+-अच् ] 1. शिव के एक अनुचर निक्षेप | नि--क्षिप+घञ ] 1. फेंकना, डालना (कर्म०
का नाम - रघु० २।३५ 2. सुन्द और उपसुन्द के के साथ), अलं मान्याना व्याख्यानेष कटाक्षनिक्षेपेणपिता का नाम ।
सा० द० २ 2. धरोहर, न्यास, अमानत -पंच० निकुरं (5) बम् [नि+कुर+अम्बच्, उम्बच् वा ] झुंड, | १३१४, मनु० ८।४ 3. किसी के भरोसे पर या
संग्रह, पुंज, समुच्चय--लतानिकुळंबम्-गीत० ११, । क्षतिपूर्ति के निमित्त, विना मोहर लगाये रक्खी हुई किरण आन० २०, चिकुर° ४३ । ।
जमा, खुली धरोहर- समक्षं तु निक्षेपणं निक्षेपः निकुलीनिका [नि+कुलोन+कन्+टाप, इत्वम् ] अपने ---- याज्ञ० २१६६ पर मिता० 4. भेजना 5. फेंक देना,
कुल की विशेष कला, खांदानी हुनर, जो जन्म से परित्याग करना 6. मिटाना, सुखाना। मनुष्य को उत्तराधिकार में प्राप्त होती है, किसी । निक्षेपणम् [ नि+-क्षिप् + ल्युट ] 1. डालना, पैरों के नीचे
घराने की परंपरागत विशेष कला या दस्तकारी। रखना कु० १।३३ 2. किसी वस्तु को रखने का निकृत (भू० क. कृ०) [नि+कृ+क्त ] 1. विजित, उपाय ।
निरुत्साहित, दीन 2. तिरस्कृत, क्षुब्ध--उत्तर० ६.१४ निखननम् [ नि+खन्+ ल्युट् ] खोदना, गाड़ना- जैसा 3. प्रवंचित, धोखा खाया हुआ 4. हटाया हुआ कि स्थूणानिखननन्याय । 5. कष्टग्रस्त, क्षतिग्रस्त 6. दुष्ट, बेईमान 7. अधम, निखर्व (वि.) [नितरां खर्वः प्रा० स०] ठिंगना- धम नीच, कमीना।
दस हजार करोड़। निकृतिः (वि.) नि--कृ--क्तिन अधम, बेईमान, दाट निखात (भू० क० कृ०) [नि+खन --क्त| 1. खोदा
(स्त्री०--तिः) 1. अधमपना, दुष्टता 2. वेईमानी, हुआ, खोदकर निकाला हुआ 2. जमाया हुआ, (खूटे
For Private and Personal Use Only