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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ५१२ करदे थे, इनकी इस तपस्या से इन्द्र भयभीत हुआ, फलतः उसने इनको तपस्या में विघ्न डालने के लिए कई देव कन्याओं को भेजा । परन्तु नारायण ने अपनी जंवा पर रक्खे एक फूल से सौंदर्य में इनसे बढ़ चढ़कर 'उर्वशी' नाम को एक अप्सरा को उत्पन्न करके इन स्वर्गदेवियों को लज्जित कर दिया, तु० स्थाने खलु नारायगषि विलोभयंत्यस्तसंभवामिमां दृष्ट्वा त्रीडिताः सर्वा अप्सरस इति विक्रम० १), -- पशुः पशु जैसा मनुष्य, मानव रूप में पशु पुंगवः श्रेष्ठ, उत्तमपुरुष, मानिका, मानिनी, -मालिनी मनुष्य जैसी स्त्री जिसके दाढ़ी हो, मर्दानी औरत, मेधः नरयज्ञ, यंत्रम् धूपघड़ी, यानम् - रथः वाहनम् मनुष्य द्वारा खींची जाने वालो गाड़ी -लोक: 1. मनुष्यों का संसार, पृथ्वी, पार्थिव संसार 2. मानवता, वाहनः कुबेर का विशेण-बु० ९/११, वीरः पराक्रमी मनुष्य शूरवीर, व्याघ्रः - शार्दूलः प्रमुत्र पुरुष, श्रृंगम् ' मनुष्य का सींग, असंभावना शेर के मुँह बकरे के धड़ और साँप की पूंछ वाला बकरा अर्थात् बन्ध्यापुत्र, सताहीनता, संसर्गः मानव-समाज, सिंहः, हरिः 'नरसिंह' विष्णु का चौथा अवतार, तु० तत्रकरकमलवरे नव मद्भुतवं दलितहरण्यकशिपुतनुभृंगम्, केशव घृतनरहरिरूप जय जगदीश हरे - गोत० १. स्कंधः मनुष्यों को टोली । तरकः, --कम् [तृणाति क्लेशं प्रापयति-नृ + त्रुन् ] दोजख पुन प्रदेश ( प्लूटो के राज्य के अनुरूप स्वात, नरक गिननियों में २१ माने जाते हैं जहाँ को विविध प्रकार की यातनायें दी जाती है), ---क एक राक्षस का नाम, प्राग्ज्योतिष का राजा ( एक वृत्त के अनुसार तरक एक बार अदिति के कर्णाभूषण उडाना, तब देवताओं को प्रार्थना सुनकर कृष्ण ने उसको एक ही पछाड़ में मार गिराया और वह आभूषण प्राप्त किया। एक दूसरे वृस के अनुसार नरक ने हाथी का रूप धारण किया और वह कर्मा की पुत्री को उठा कर ले गया तथा उसके साथ बलात्कार किया। उसने गंधर्वों, देवों, और को लड़कियों तथा अप्सराओं को उठाया और इस हजार से अधिक युवतियों को अपने अन्तःपुर में रक्ता । कृष्ण ने जब नरक को मार दिवा यह सब युवतियाँ कृष्ण के अन्तःपुर में हा तरित कर दी गईं। यह राक्षस भूमि उत्पन होने के कारण भी कहलाता है) । सन० अंतकः, --- अरिs - जि (पुं०) कृष्ण के विशेषण, आमयः 1. मृत्यु के पश्चात आत्मा 2. भूत प्रेत कुंड क का गढ़ा जहाँ दुष्टों को नाना प्रकार को यातनायें दो Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ) जाती हैं- इस प्रकार के, ८६ स्थान गिनाये गये हैं), -स्था वैतरणी नदी । नरंगम्, नरांगः [ नृ + अंगच् नर + अंग् + अण् ] पुरुष की जननेन्द्रिय, लिङ्ग । | नरधिः [ नराः धीयन्तेऽस्मिन्नर + धा + कि, पो० मुम् ] सांसारिक जीवन या अस्तित्व । तरी [ नर + ङीप् ] नारी, स्त्री - भामि० ३ । १६ । नरकुटकम् ] नरस्य कुटमित्र, पृषो० ] नाक, नासिका । नर्तः [ नृत् + अच्] ] नाचना, नाच । नर्तकः [ नृतु + ध्वन् ] 1. नाचने वाला, नृत्यशिक्षक 2. अभिनेता, नट, मूकनाटक का पात्र 3. भाट, चारण 4. हाथी 5. राजा 6. मोर की 1. नाचने वाली स्त्री, नटी, अभिनेत्री रंगस्य दर्शयित्वा निवर्तते नर्तकों यथा नृत्यात्- सां० का० ५९, क्रि० १० ४१, ० १९।१४, १९ 2. हथिनो 3. मोरनी । नर्तनः । नृत् + ल्युट् ] नाचने वाला, नन् हावभाव प्रद शित करना, नाचता नाच । सभ० गृहम्, शाला नाचघर, – प्रियः शिव का विशेषण । नति (वि० ) [नृतु + णिच् +क्ति ] नाचा हुआ, नचाया हुआ । नर्द ( वा० पर० नईति नदित) गरजना, दहाड़ना, शब्द करना अदषुः कपिव्याघ्राः भट्टि० १५/३५, १४१४०, १५।२८, १७।४० 2 जाना, गतिशील होना । नर्द ( वि० ) [ नर्द + अच् ] गरज दहाड़ । नर्ददम् [ नई + ल्युट् ] 1. गरजना, दहाड़ना 2. प्रशंसा का प्रचार करना, ॐबे स्वर में कीर्तिनान करना । नदितः [ नई + क्त ] एक प्रकार का पासा, पासे का हाथ दिर्ग:कटन वामिच्छ २१८, -तम् आवाज, दहाड़, गरज । नर्मटः [ नर्मन् + अटन्, पृषो० ] 1. ठोकरावर्तनका टुकड़ा 2. सूर्य । नम: | जर्मन + अठत् ] 1. भांड 2 लम्पट दुश्चरित्र, स्वेच्छाचारी 3. क्रोडा, मनोरंजन, विनोद 4 मैथुन, संभोग 5. ठोड़ी 6. चूक । न ( नपुं० [न +मति 11. क्रोडा, विनोद, विलास आनोद, प्रमोद, कामकेलि केलिविहार जितरुमले विमले परिकर्तन नर्म जलकमलकं मुखे - पीत० १२ ( कौतुकजनक ); बु० १९।२८ 2 परिहास, हँसी दिल्लगी, ठड्डा, रसिकोक्ति -नप्रायाभिः कथाभिः का० ७०, परिहासपूर्ण, सरस । सप० - कील: पति, गर्भ (वि०) रसिक ठिठोलिया, विनोदी ( : ) गुप्तत्रेो द (वि०) आह्लादकारी, आनन्ददायक (दः) विद्रूपक ( नर्मसचिव), दाि पर्वत से निकलने वाली एक नदी जो संवात की खाड़ो For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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