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'प्र' के पश्चात् 'न' को 'ण' हो जाता है) 1. नाचना, | नत (भू०क०कु०) [नम् --क्त] झुका हुआ, प्रणत, झुकने यदि मनसा नटनीयम् .....गीत०४ 2. अभिनय करना वाला, रुझान वाला 2. डुबा हआ, अवसन्न 3. कुटिल, 3. (धोखे से चालाकी से) क्षति पहुँचाना, प्रेर०- टेढ़ा--तम् याम्योत्तर रेखा (मध्यं दिन रेखा) से नाटयति-ते 1. अभिनय करना, हाव भाव व्यक्त किसी ग्रह की दूरी। सम०-अंशः शिरोबिंदू की करना, (नाटकों में) नाटक के रूप में वर्णन करना, दूरी-अंग (वि० ) 1. झुके हुए शरीर वाला शरसंधानं नाटयति ---श० १ 2. अनुकरण करना, 2. झकने वाला 3. प्रणत (गी) 1. झुके हुए अंगों नकल करना-स्फटिककटकभूमिर्नाटयत्येष शैलः... वाली स्त्री 2. स्त्री-नासिक (वि०) चपटी नाक अधिगतधवलिम्नः शुलपाणेरभिख्याम् ...श० ४।६५, | वाला,-भ्रः टेढ़ी भौहों वाली स्त्री। (विशे० 'नाना' अर्थ को प्रकट करने के लिए 'नट' | नतिः (स्त्री०) [नम्+क्तिन् ] 1. झुकाव, झुकना, धातु का 'नटयति' रूप बनता है-भर्त० ३।१२६), प्रणमन 2. वक्रता, कुटिलता 3. अभिवादन करने के ii (चुरा० उभ० नाटयति-ते 1. गिर पड़ना, गिरना लिए शरीर का झुकाना, प्रणति, शालीनता 4. (ज्यो० 2. चमकना 3. क्षति पहुँचाना।
में) भोगांश में स्थानभ्रंश । नटः [नट् + अच्] 1. नाचने वाला---न नटा न विटा न नद (भ्वा० पर० नदति, नदिन) 1. शब्द करना, कलकल गायकाः -भर्त० ३।२७ 2. अभिनेता-कुर्वन्नयं प्रहस
ध्वनि करना, (वादल की भांति) गरजना--वामनस्य नट: कृतोऽसि-भर्त० ३११२६, ११२, 3. पतित श्चायं नदति मधुरं चातकस्ते सगंध:-मेघ० ९, क्षत्रिय का पुत्र 4. अशोक वृक्ष 5. एक प्रकार का नदत्याकाशगंगायाः स्रोतस्युडामदिग्गजे-रघु० ११७८, नर कुल। सम०--अंतिका लज्जा, ह्री,-ईश्वरः
शि० ५।६१, भट्टि० २।४ 2. बोलना, चिल्लाना, शिव का विशेषण --चर्या नाटक के पात्र का अभि
पुकारना, दहाड़ना (प्रायः शब्द, स्वन नाद कर्म के नय, - भूषणः, ----मंडनम् हरताल---रंग: नाट्य रंग
साथ) ननाद बलयन्नाद, शब्दं घोरतरं नदन्ति---महा० मंच, वरः 'प्रधान नट' सूत्रधार..--संज्ञकम् हरताल
3. थरथराता-२० नादयति-ते 1. कोलाहल से (कः) अभिनेता, नट ।
भर देना, कोलाहलमय करना 2. शब्द करवाना, नटनम् [नट । ल्युट | 1. नाचना, नाच 2. अभिनय करना, उद्-दहाड़ना, ज़ोर से पुकारना, (बैल की भांति) हावभाव प्रकट करना, नाटकीय चित्रण ।
रांभना, कु० ११५६, नि---, शब्द करना, चिल्लानानटी [नट+डीप्] 1. अभिनेत्री 2. मुख्य नटी (सूत्रधार रघु० ५।७५, मालवि० ५।१०, भट्टि०६।११७, प्र
की पत्नी) 3. वेश्या, रंडी। सम०-सुतः नर्तकी (प्रणदति) ध्वनि करना, गूजना, प्रतिध्वनि करना का पुत्र।
-- ऋव्यादाः प्राणदन् घोराः महा० शिवा: प्रणदंति नटचा नट-+-य-टाप अभिनेताओं की मंडली!
आदि प्रति--, गंजना, प्रतिध्वनि करना, प्रेर....... नडः,-डम् [नल् +अच, लस्य डत्वम् नरकुल का एक कोलाहल से भरना, गुंजायमान करना - शा० २।२६,
भेद। सम०---अगारम्, आगारम् नरकुलों का ऋतु० ३।१४, वि---, ध्वनि करना, गूंजना- भग० बना झोंपड़ा-प्राय (वि०) जहाँ नरकुल बहुत ११२, प्रेर०—कंदन करवाना या गीत गवानाहोते हों बनम् नरकुलों का जंगल-संहतिः (स्त्री०) अंबुदैः शिखिगणो विनाद्यते-घट० १०॥ नरकुलों का संग्रह।
नदः [नद्+अच् ] 1. दरिया, बड़ी नदी (जैसी कि नडश (वि.) (स्त्री०-शी) [नड-श सरकंडों से ढका
सिंधु) शि० ६६, (यहाँ मल्लि० की टिप्पणहुआ।
प्राकस्रोतसो नद्यः प्रत्यक्स्रोतसो नदा नर्मदां विनेत्याहः) नडिनी | नड -।-इनि डीप] 1 सरकंडों का ढेर 1. सर
2. नदी, प्रवहणी, नाला-कि० ५।२७ 3. समुद्र । कंडों का बना हुआ मूढ़ा या शय्या, वह नदी जहाँ सम -राजः समुद्र । सरकंड़ों के पौधे बहुतायत से हों।
नदथः [नद्अथुच् ] 1. शोर, दहाड़ 2. बैल की दहाड़। नडिल, (वि०), नड़वत (वि.) (स्त्री०-ती) नड:- नदी (नद+डी] दरिया, प्रवहणी, सरिता-रविधीतजला
इलच, ड्वतुप् वा सरकंडे जहाँ पर बहुतायत से हों, तपात्यये पुनरोधेन हि युज्यते नदी-कु० ४।४४। चा जो सरकंडों से ढका हुआ हो, सरकंडों से यात सम०--ईन:-ईशः, कान्तः समुद्र,----कुलप्रियः एक स्थान ।
प्रकार का नरकुल-ज (वि.) जलोत्पन्न (ज:) नड्या निड्+य-टाप] सरकंडों का ढेर ।
भीष्म का विशेषण (जम) कमल ---तरस्थानम् उतरने नड्वल (वि.) [नड । ड्वलच] सरकंड़ों से व्याप्त-लम का स्थान, घाट-दोहः भाड़ा, उतराई, किराया,
सरकंडों का ढेर या शय्या, यो नड्वलानीव गजः ....धरः शिव का विशेषण, - पतिः 1. समुद्र 2. वरुण परेषां बलान्यमदनान्नलिनाभवक्त्राः--रघु० १८१५। J का विशेषण, पूरः उमड़ा हुआ दरिया,---भवम
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