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ज्योतिष - वृष्टिः (स्त्री० ) टूटने वाले तारे, -- सूचकः अयोग्य ज्योतिषी-तिथ्युत्पत्ति न जानन्ति ग्रहाणां नैव साधनम्, परवाक्येन वर्तते ते वै नक्षत्रसूचकाः । या अविदित्व यः शास्त्रं देवज्ञत्वं प्रपद्यते, स पंक्ति दूपकः पापो ज्ञेयो नक्षत्रसूचकः, वराह० २।१७, १८ ।
नक्षत्रन् (पुं० ) [ नक्षत्र + इनि ] 1. चन्द्रमा 2. विष्णु का विशेषण ।
नखः, नखम् [ नह+ख, हकारस्यलोपः ] हाथ या पैर की अंगुली का नाखून, पंजा, नखर नखानां पाण्डित्यं प्रकटयतु कस्मिन्मृगपतिः -- भामि० १२, ३१, १२ १२ 2. बीस की संख्या, - खः भाग, अंश । सम० --अङ्क : खरोंच, नखचिह्न - भामि० २/३२, आघातः खरोंच, नख द्वारा किया गया घाव मा० ५/२३, - आयुधः 1. व्याघ्र 2. सिंह 3. मुर्गा, आशिन् (पुं०) उल्लू, – कुट्टः नाई, -- जाहम् नाखून की जड़ - दारण: बाज, श्येन (णम्) नहरनी, नाखून काटने की कैंची निकृन्तनम्, रजनी नाखून काटने की कैची, नहरना, पदम् - व्रणः नखचिह्न, खरोंच, नखपदसुखान् प्राप्य वर्षाग्रविन्दून् - मेघ० ३५, मुखः धनुष - लेखा 1. नखचिह्न, 2. नाखून रंगना, विष्किरः ( अपने पंजों से फाड़ने वाला) शिकारी पक्षी, शङ्खः छोटा शंख ।
Rava ( fro ) [ नख पच् + खश्, मुम् ] नाखून झुलसाने वाला, शि० ९१८५ ।
नखरः,-रम् [ नख+रा+क ] अंगुली का नाखून, पंजा, नख । सम० आयुधः 1. मात्र 2. सिंह 3. मुर्गा आह्नः करवीर ।
नखानख ( अभ्य० ) [ नखैश्च नश्च प्रहृत्य प्रवृत्तं युद्धम् ० स० ] परस्पर नखाघात द्वारा होने वाला युद्ध, नाखूनों की लड़ाई ।
नाखिन् (वि० ) [ नख + इनि ]1. बड़े 2. नाखूनों वाला, तेज पंजों वाला 2. कंटीला, काँटेदार (पुं०) व्याघ्र या शेर जैसा नवधारी जन्तु ।
गः [ न गच्छति न + गम् + ड 11. पहाड़ - कु० १| | १७, ७२ शि० ६७९ 2. वृक्ष 3. पौधा 4. सूर्य 5. साँप 6. सात की संख्पा । सम० अटन: बंदर - अधिपः, --- अधिराजः इन्द्रः 1. ( पहाड़ों का स्वामी) हिमालय पर्वत 2. सुमेरु पर्वत, अरिः इन्द्र का विशेषण, उच्छ्राय: पहा की ऊँचाई, ओकस ( पुं० ) 1. पक्षी 2. कौवा 3. सिंह 4. शरभ नाम का काल्पनिक पक्षी - ज ( वि०) पहाड़ पर उत्पन्न, पहाड़ी -- भट्टि० १०१९, (ज) हाथी, जानन्दिनी पार्वती का विशेषण - पति 1. हिमालय पहाड़ 2. ( वनस्पतियों का स्वामी) चन्द्रमा, भिद् (पुं० ) 1. कुल्हाड़ा
)
2. इन्द्र का विशेषण, - मूर्धन् (पुं०) पहाड़ की चोटी --करः कार्तिकेय का विशेषण - र० ९२ । नगरम् [ नग इव प्रासादाः सन्त्यत्र बा० र] कस्बा, शहर
( विप० ग्राम ) नगरगमनाय मतिं न करोति श० २ । सम० अधिकृतः, - अधिपः, अध्यक्षः नगर का मुख्य दण्डनायक, मुख्य आरक्षाधिकारी 2. नगर ..पाल, नगर का अधीक्षक, उपान्तः उपनगर नगर के आसपास की आबादी, ओकस् (पुं०) नागरिक, --- काक: 'शहरुआ 'कौवा' एक तिरस्कारयुक्त उक्ति .. घातः हाथी, - जनः 1. नगर के लोग, नागर 2. नागरिक, - - प्रदक्षिण जलूस में मूर्ति को नगर के चारों ओर घुमाना, - प्रान्तः उपनगर - मार्गः प्रवान सड़क, राजपथ, रक्षा नगर का अघीक्षण या शासन, स्थः नगरवासी, नागरिक ।
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नगरी [ नगर + ङीप् ] नगर, । बकः कौवा ।
नान ( वि० ) [ नज् + क्त, तस्य नः] नंगा, विवस्त्र, वस्त्रहीन न नग्न स्नानमाचरेत् मनु० ४।४५, नग्नक्षपणके देशे रजकः किं करिष्यति चाण० ११० 2. बिना जोता हुआ, बिना बसा, सुनसान - ग्नः 1. नंगा भिक्षु 2. क्षपणक 3. पाखंडी 4. सेना के साथ रहने वाला भाट, घूमता हुआ भाट - ना 1 नंगी० निर्लज्ज, (या स्वेच्छाचारिणी) स्त्री 2. रजस्वला होने के पूर्व की आयु वाली लड़की, दस बारह वर्ष को आयु से कम की ( अर्थात् जो इधर उधर नंगी आ जा सके ) । सम० अट:, अटक: 1. जो इधर उधर नंगा घूम सके 2. विशेष रूप से ( दिगंबर संप्रदाय का ) जैन या बौद्ध भिक्षु |
राम० काकः सारस,
aree (त्रि० ) ( स्त्री - ग्नि ) | नग्न + कन् | नंगा,
feata, कः 1 नंगा भिक्षु 2. दिगंबर सम्प्रदाय का) जैन या बौद्ध भिक्षु 3. भाट ।
नट
areer, after [artक ! टाप पक्षेइत्यम् ] 1. नंगी, निर्लज्ज, (या स्वेच्छाचारिणी) स्त्री 2. रजोधर्म होने से पूर्व की अवस्था को लड़की । नग्नकरणम् [अनग्नः नग्नः क्रियते नग्न+च्चि --कृ+ख्य, मुम् ] नंगा करना । भष्णु - भाबुक ( वि० ) कञ्ञ नंगा होने वाला । जंगः न नति गच्छति न । गम् -1 ड] प्रेमी, जार। नचिकेतस (पुं० ) अग्नि का विशेषण | afar (वि०) न चिरम्, न शब्देन समाराः ] दे० अचिर,
[ नग्न + भू इष्णुच्
भग० ५/६ १२।७ ।
नञ
(अव्य०) निषेधात्मक अव्यय 'न' के लिए पारिभाषिक शब्द |
( वा० पर० नदति 'चोट पहुंचाने' के अर्थ में
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