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-सहायः धार्मिक कर्तव्यों के पालन करने में सहायक, साथी या साझीदार |
धर्मतः (अव्य० ) [ धर्म - + तसिल् ] 1. धर्म के अनुसार, नियमानुकूल, सही तरीके से, धर्म पूर्वक, न्याय के अनुरूप 2. भलाई से, नेकी के साथ 3. भलाई या नेको के उद्देश्य से ।
धर्मयु ( वि० ) [ धर्म यु]1. सद्गुणसंपन्न, न्यायशील, पुण्यात्मा, नेक |
धमिन् ( वि० ) [ धर्म + इनि ] 1. सद्गुणों से युक्त, न्यायशील, पुण्यात्मा 2. अपने कर्तव्य को जानने वाला 3. कानून का पालन करने वाला 4. ( समास के अंत में) किसी वस्तु के गुणों से युक्त, प्रकृति का, विशिष्ट गुणों से युक्त, - षट्सुताः द्विजधर्मिणः - मनु० १०। १४, कल्पवृक्षफलम कांक्षितम्- रघु० १११५०, ( पुं० ) विष्णु का विशेषण ।
धर्मपुत्र: (पुं०) अभिनेता, नाटक का पात्र, खिलाड़ी । धर्म्य ( वि० ) ( धर्म + यत् ] 1. धर्मसम्मात कर्तव्य संगत
कानूनी रूप से सही, बंध - मनु० ३३२२, २५, २६ 2. धर्मयुक्त ( कार्य ) - कु० ६ । १३ 3. न्यायोचित, भला, उपयुक्त धर्म्याद्धियुद्धाच्छ्रे योऽन्यत् क्षत्रियस्य न विद्यते - भग० २।३१, ९२, याज्ञ० ३।४४4. वैध, यथारीति 5. विशेष गुणों से युक्त - यथा 'तद्धर्म्यम्' । धर्षः [ धुष् + घञ् ] 1. धृष्टता, अविनय अहंकार, ढिठाई 2. घमंड, अभिमान 3. अधीरता 4. संयम 5. बलात्कार, ( स्त्री का ) सतीत्व हरण 6. क्षति बुराई, अवज्ञा 7. हीजड़ा । सम० कारिणी बलात्कार द्वारा जिसका सतीत्वहरण हो चुका हो ।
ai ( वि० ) [ घृष् + ण्वुल् ] 1. हमला करने वाला, आक्रमणकारी, प्रहार करने वाला 2. बलात्कार करने वाला, सतीत्वहरण करनेवाला 3. अधीर, -कः 1. सतीत्वहर्ता, व्यभिचारी, बलात्कारी 2. अभिनेता, नर्तक । घर्षणम् - णा [ घृष् + ल्युट् ] 1. धृष्टता, अविनय 2. अवज्ञा,
मानहानि 3. आक्रमण, अत्याचार, सतीत्वहरण, बलात्कार नारी 4. स्त्रीसंभोग 5. तिरस्कार, निरादर 6. दुर्वचन । धर्षणिः, -णी [ धूप + अनि, धर्षणि + ङीष् ] असती, स्वैरिणी, कुलटा स्त्री |
षित ( वि० ) [ धृष् + क्त ] 1. जिसका चरित्र भ्रष्ट किया गया है, अत्याचार पीडित, जिसके साथ बलाकार हो चुका है 2. विजित, पराभूत, परास्त- नं० २२।१५५ 3. जिसके साथ दुर्व्यवहार किया गया है, जिसे गाली दी गई है, तिरस्कृत, तम् 1. औद्धत्य, घमंड 2. सहवास, मैथुन, - ता कुलटा, असती स्त्री । धषिन् ( वि० ) [ धृष् + णिनि ]1. घमंडी, उद्धत, उद्दंड
2. आक्रमण करने वाला, सतीत्वहरण करने वाला,
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बलात्कार करने वाला 3. तिरस्कार करने वाला, दुर्व्यवहार करने वाला 4. बेधड़क, दिलेर 5. स्त्री सहवास करने वाला - णी कुलटा, या असती नारी । ध: [ धु + अप् ] 1. हिल- जुल, कम्पन 2. मनुष्य 3. पतियथा 'विधवा' में 4. मालिक, स्वामी 5. बदमाश, ठग 6. एक प्रकार का वृक्ष 'धी' |
धवलः [ धवं कम्पं लाति - ला + क तारा० ] 1. श्वेत,
- धवलातपत्रम् धवलं गृहम् 2. सुन्दर 3. स्वच्छ, विशुद्ध, - - ल: 1. श्वेत रंग 2. अत्युत्तम बेल 3. चीन, कपूर 4. 'धव' नाम का वृक्ष, लम् सफ़ेद कागज़ -ला सफ़ेद गाय, घोली गाय । सम० उत्पलम् श्वेत कुमुद ( चन्द्रोदय होने पर इस का खिलना प्रसिद्ध है ) -- गिरिः हिमालय पहाड़ की सबसे ऊँची चोटी, गृहम् चूने से पुता घर, महल, पक्षः 1. हंस 2. चान्द्रमास का शुक्लपक्ष, मृत्तिका चाक-मिट्टी । धवलत ( वि० ) [ धवल + इतच् सफ़ेद किया हुआ,
श्वेत बना हुआ ।
धवलम ( नपुं० ) [ धवल + इमनिच् ]1. सफ़ेदी, सफ़ेद रंग 2. पांडुता पीलापन - इयं भूतिर्नाङ्गे प्रियविरहजन्मा घवलिमा - सुभा० ।
safar [ धू + इत्र ] मृगचर्म से बना पंखा ।
था ( जुहो० उभ० दधाति धत्ते, हित, कर्मवा० धीयते, प्रेर० वापयति-ते, इच्छा० धित्सति - ते ) 1. रखना, धरना, जड़ना, लिटा देना, भर्ती करना, तह जमाना -- विज्ञातदोषेषु दधाति दण्डम् महा०, निःशंक धीयते (अने० पा० 'दीयते' के स्थान पर) लोकैः पश्य भस्मये पदम् - हि० २।१७३ 2. जमाना, ( मन और विचारों को ) लगाना, ( संप्र० या अधि० के साथ )
धत्ते चक्षुर्मुकुलिनि रणत्कोकिले बालचूते-- मा० ३।१२, दधुः कुमारानुगमे मनांसि भट्टि० ३।११, २७: मनु० १२/२३3 प्रदान करना, अनुदान देना, देना, अर्पित करना, उपहार देना, (संप्र० संब० या अधि० के साथ) धु लक्ष्मीमथ मयि भृशं घेहि देव प्रसीद मा० १३, यद्यस्य सोऽदधात्सर्गे तत्तस्य स्वयमाविशत् - मनु० १२९4 पकड़ना, रखना - तानपि दघासि मातः- भामि० ११६८, श० ४। १ 5 पकड़ना, हस्तगत करना - भट्टि० १/२६, ४२६, कि० १३५४ 6. पहनना, धारणा करना, वहन करना-- गुरूणि वासांसि विहाय तूर्णं तनूनि घत्ते जनः काममदालसाङ्ग - ऋतु० ६ १३, १६, धत्ते भरं कुसुमपत्र फलॉवलीनाम् - भामि० ११९४, दघतो मङ्गलक्षौमेरघु० १२८, ९ ४०, भट्टि० १८1५४ 7. धारण करना, लेना, रखना, दिखलाना, प्रदर्शन करना, कब्जे में करना ( प्रायः आ० ) - काचः काञ्चनसंसर्गाद्धत्ते मारकती द्युतिम् - हि० प्र० ४१, शिरसि मसीपटलं
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