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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दधाति दीपः-भामि० ११७४, रघु० २१७, अमरु । २३।६७, मेघ० ३६, भर्तृ० ३।४६, रघु० ३।१, भट्टि० २।१,४।१६-१८, शि० ९१३,१०८६, कि० ५।५ 8. संभालना, निबाहना, थामे रखना,--गामधास्यत्कथं नागो मृणालमदुभिः फणः--कु० ६।६८ 9. सहारा देना, स्थापित रखना--संपद्विनिमयेनोभौ दधतुर्भुवनद्वयं--रधु० ११२६ 10. पैदा करना, रचना करना, उत्पादन करना, उत्पन्न करना, बनानामुग्धा कुड्मलिताननेन दधती वायु स्थिता तस्य सा-- अमरु ७० 11. सहना, भोगना, ग्रस्त होना-शि० ९।२, ३२.६६ 12. सम्पन्न करना, ['दा' की भांति इस धातु के अर्थ भी दूसरे शब्दों के साथ जुड़ने से विविध प्रकार के हो जाते हैं, उदा० मनःपाः, मतिधा, धियं धा, मन को लगाना, विचारों को लगाना दृढ़ संकल्प करना, पदं धा पग रखना, प्रविष्ट होना, कर्णे करं धा, कान पर हाथ रखना ] अतिसम् - ठगना, धोखा देना ....भगवन् कुसुमायुध लया चन्द्रमसा च विश्वसनीयाभ्यामतिसंधीयते कामिजनसार्थ: ...श० ३, विक्रम० २, अन्तर---, 1. मन में रखना, मानना, ग्रहण रखना-तथा विश्वम्भरे देवि मामंतातुमर्हसि ---रघु० १५४८१, 2. अपने आपको छिपाना, गुप्त रखना, ओझल होना (संप्र० के साथ) -भट्टि० ५।३२, ८1७१, 3. ढकना, छिपाना, दृष्टि से ओझल करना, लपेटना, टांकना (आलं ० भी) पितुरंन्तर्दधे कोटि शीलवृतसमाधिभि:--महा० अनुसम्,---, 1. ढूंढना, पूछताछ करना, अन्वेषण करना, जांचपड़ताल करना 2. सचेत होना, अपने आपको शांत करना 3. उल्लेख करना, संकेत करना, लक्ष्य बनाना 4. योजना बनाना, क्रमबद्ध करना, क्रम में रखना, अपि-(कभी कभी 'अपि' का 'अ' लुप्त हो जाता हैं) । (क) बन्द करना, भेजना----ध्वनति मधुपसमहे श्रवणमपिदधाति-गीत० ५, इसी प्रकार-कर्णी नयने-पिदधाति (ख) ढकना, छिपाना, गुप्त रखना, ---प्रायो मूर्खः परिभवविधौ नाभिमानं पिधत्ते --शृंगार० १७, प्रभावपिहिता--विक्रम० ४।२, शि० ९१७६, भट्टि० ७६९ 2. रोकना, बाधा डाला, प्रतिबंध लगाना - भुजङ्गपिहितद्वारं पातालमधितिप्ठति--रघु० १६८० अभि-, (क) कहना, बोलना, वताना- ० ३१६३, मनु० ११४२, भट्रि० ७७८, भग० १८१६८, (ख) 1. मंकेत करना, व्यक्त करना, मुख्यत: बतलाना प्रस्तुत करना----साक्षात्संकेतितं योऽर्थमभिधत्ते स वाचक: काव्य ० 2. तमाम येनाभिदधाति सत्त्वम् 2. अभिधान होना, पुकारना, अभिसम्-, 1. किसी पर फेंकना, निशाना लगाना, (तीर आदि | का) लक्ष्य बनाना 2. ध्यान में रखना, (मन में) । निशाना बनाना, सोचना-ऋष्यमूकमभिसंधाय --महावी० ५, अभिसंधाय तु फलम् ---भग० १७१२, २५, विक्रम० ४।२८ 3. धोखा देना, ठगना-- जनं विद्वानेकः सकलमभिसंधाय-मा० १११४ 4. अपने पक्ष में कर लेना, मित्र बना लेना, दूसरों का मित्र बन जाना तान्सर्वानभिसंदध्यात् सामादिभिरुपक्रमः --- मनु० ७१५९ (वशीकुर्यात्) 5. प्रतिज्ञा करना, प्रकथन करना 6. जोड़ना, अभ्या-नीचे रखना, नीचे फेंकना, अव-सावधान होना, ध्यान देना, कान देना ... इतोऽवधत्तां देवराज:-- महावी० ६, आ, (प्रायः 'आ०' में) 1. रखना, घरना, ठहरना-जनपदे न गद पदमादधौ-रघु० ९।४, भग० ५।४० श० ४१३ 2. प्रयोग करना, जमाना, किसी की ओर संकेत करना ..प्रतिपात्रमाधीयतां यत्नः--श० १, मय्येव मन आवत्स्व-भग०१२।८, आधीयतां धैर्य थम च धीः -का०६३, 3. लेना, आधिकार में करना, वहन रखना -- गर्भमाधत्त राज्ञी- रघु० २१७५, (गर्भ बहन किया) आधत्ते कनकमयातपत्रलक्ष्मी-कि० ५।३९, (लेती है या धारण करती है) कु. ७।२६, 4. बोझा उठाना, थामना, सहारा देना -- शेषः सदैवाहितभूमिभार:-श० ५।४ 5. पैदा करना, उत्पादन करना, सर्जन करना, उत्तेजित करना (भय या आश्चर्य) छायाश्चरन्ति बहुधा भयमादधाना:- ० ३।२७, कि० ४११२ 6. देना, समर्पित करना रघु० १९८५ 7. नियुक्त करना, स्थिर करना तमेव चाधाय विवाहसाक्ष्ये-रघु० ७।२० 8. संस्कृत करना-कु० ११४७ 9. अनुष्ठान करना, (व्रत आदिका) पालन करना,---आविस, भेद खोलना, प्रकट करना (श्रेण्यसाहित्य में बहुत प्रयोग नहीं) उप---, 1. रखना, उठाना, नीचे रखना, अन्दर रखना---अधिजानु बाहु. मुपधाय शि० ९।५४, हृदि चनामुपधातुमर्हसि -रघु० ८७७, (हृदयस्थित करने के लिए) उपहितं शिशिनागमश्रिया मुकुलजालगशोभत किशुके-रघ० ९।३१, कु० ११४४ 2. निकट रखना,- (घोड़े आदि को) जोतना, महावी० ४५६ 3. पैदा करना, निर्माण करना, उत्पादन करना - मच्छ० ११५३ 4. ऊपर डालना, सौंपना, संभालना, देख रेख में करना ---तदुपहितकुटुंम्बः,-रधु० ७.७१, 5. तकिये के स्थान में प्रयुक्त करना--वामभुजमुपधाय... दश० १११ 6. काम में लगाना, अभ्यर्थना करना, प्रदान करना -क्रिया हि वस्तूपहिता प्रसीदति---रघु० ३।२९ 7. ढकना, छिपाना 8. देना, जताना, समाचार देना, उपा,--...1. निकट रखना, ऊपर रखना 2. पहनना 3. पैदा करना, सर्जन करना, उत्पादन करना -भर्त० ३१८५, तिरस्-, 1. छिपाना, गुप्त रखना, For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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