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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ४८९ ) 2. संसार 3. सूर्य 4. स्त्री की छाती 5. चावल, अनाज हिमालय ( पहाड़ों का राजा ), णम् 1. सहारा देना, निर्वाह कराना, संभालना - सारंधरित्री धरणक्षमं च - कु० १०१७, धरणिधरणकिणचकगरिष्ठे गीत० १ 2. कब्जे में करना, लाना, उपलब्ध करना 3. थूनी, टेक, सहारा 4. सुरक्षा 5. दस पल के वजन का बट्टा । धरणिः णो ( स्त्रो) [धु + अनि, धरणि + ङीष् ] पृथ्वी लुठति धरणिशयने बहु विलपति तव नाम -- गीत० ५ 2. भूमि, मिट्टी 3. छत का शहतीर 4. नाड़ी, शिरा । सम० - ईश्वरः 1 राजा 2. विष्णु का या 3. शिव का विशेषण, कीलकः पहाड़, जः, - पुत्रः सुतः 2. मंगल के विशेषण 2. 'नरक' राक्षस के विशेषण, ज, पुत्री - सुता जनक की पुत्री सीता ( पृथ्वी से उत्पन्न होने के कारण ) का विशेषण --- घर: 1. शेष या 2. विष्णु का विशेषण 3. पहाड़ 4. कछवा 5. राजा 6. हाथी (जो, कहते हैं, कि पृथ्वी को संभाले हुए है), धृत् (पुं० ) 1. पहाड़ 2. विष्णु या 3. शेष का विशेषण । धरा [ धृ - अच्+टाप् ] 1. पृथ्वी धरा धारापातर्मशिरीभिद्यत इव तच्छ० ५१२२ 2. शिरा 3. गूदा 4. गर्भाशय या यांनि । सम० -अधिपः - राजा, अमर:, - देवः सुर: ब्राह्मण, आत्मज:, - पुत्रः सूनुः 1. मंगल ग्रह के विशेषण 2. नरक राक्षस के विशेषण, आत्मजा सीता का विशेषण, - उद्धारः पृथ्वी का छुटकारा, - घर: 1. पहाड़ 2. विष्णु या कृष्ण का विशेषण 3. शेष का विशेषण, पति 1. राजा 2. विष्णु का विशेषण, - भुज् (पुं०) राजा, ---भृत् (पुं०) पहाड़ । धरित्री [ धृ + इ + ङीष् ] 1. पृथ्वी, श० २०१४, रघु० १४।५४ कु० १२, १७2. भूमि, मिट्टी । धरिमण् (पुं० ) [ धृ + इमनिच् ] तराजू, तराजू के पलड़े । धर: [ वस्तुर पृषो० साधुः ] धतूरे का पौधा । धृ + ] 1. घर 2. थूनी, टेक 3. यज्ञ, 4. सद्गुण, मलाई, नैतिक गुण । धर्मः [ते लोकोऽनेन धरति लोकं वा धृ + मन् 1. कर्तत्र, जाति, सम्प्रदाय आदि के प्रचलित आचार का पालन 2. कानून, प्रचलन, दस्तूर, प्रथा, अध्यादेश, जनुनिधि 3. धार्मिक या नैतिक गुण, भलाई, नेकी, अच्छे काम (मानव अस्तित्व के चार पुरुषार्थो में से एक) कु०५/३८. दे० 'त्रिवर्ग' भी, एक एव निहि० १६५ 4. कर्तव्या वास्त्रविहित आवरण क्रम, पष्ठांशवृतेपि धर्म एषः श० ५१४, मनु० १।११४ 5. अधिकार, न्याय, ६२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir औचित्य या न्यायसाम्य, निष्पक्षता, 6. पवित्रता, औचित्य, शालीनता 7. नैतिकता, नीतिशास्त्र, 8. प्रकृति, स्वभाव, चरित्र - मा० १६, प्राणि, जीव 9. मूल गुण, विशेषता, लाक्षणिक गुण ( विशिष्ट ) विशेषता वदन्ति वयवर्ण्यानां धर्मैक्यं दीपकं बुधाः - चन्द्रा० ५०४५ 10 रीति, समरूपता, समानता 11. यज्ञ 12. सत्संग, भद्रपुरुषों की संगति 13. भक्ति, धार्मिक भावमग्नता 14. रीति प्रणाली 15. उपनिषद् 16. ज्येष्ठ पांडव युविष्ठिर 17. मृत्यु का देवता यम । सम० -- अङ्गः, --गा सारस, अधमा (पुं० द्वि० ० ) सत्य और असत्य, कर्तव्य और अकर्तव्य, 'विद् (पुं०) मीमांसक जो कर्म के सही या गलत मार्ग को जानता है, - अधिकरणम् 1. विधि का प्रशासन 2. न्यायालय – अधिकरणिन् (पुं० ) न्यायाधीश, दण्डनायक, अधिकार: 1. धार्मिक कृत्यों का अधीक्षण श० १ 2. न्याय - प्रशासन 3. न्यायाधीश का पद, --अधिष्ठानम् न्यायालय, ---- अध्यक्ष : 1. न्यायाधीश 2. विष्णु का विशेषण, -- अनुष्ठानम् धर्म के अनुसार आचरण, अच्छा आंचरण, नैतिक चालचलन, अपेत ( वि० ) जो धर्म विरुद्ध हो, दुराचारी, अनीतिकर, अधार्मिक ( तम् ) दुर्व्यसन, अनैतिकता, अन्याय, अरण्यम् तपोवन, वन जिसमें संन्यासी रहते हों धर्मारण्यं प्रविशति गजः --- श० १1३३. अलीक (वि०) झूठे चरित्र वाला - आगम: धर्मशास्त्र, विधि-ग्रन्थ आचार्य: 1. धर्मशिक्षक 2. धर्मशास्त्र या कानून का अध्यापक, -- आत्मज: युधिष्ठिर का विशेषण, आत्मन् (वि०) न्यायशील, भला, पुण्यात्मा, सद्गुणी, आसनम् न्याय का सिंहासन, न्याय की गद्दी, न्यायाधिकरण--- न संभावितमद्य धर्मासनमध्यासितुम् — श० ६, धर्मासनाद्विशति वासगृहं नरेन्द्रः उत्तर० ११७, इन्द्रः युधिष्ठिर का विशेषण, - ईश: यम का विशेषण - उत्तर (वि०) अतिधार्मिक, जो न्याय धर्म का प्रवान पक्षपाती हो, निष्पक्ष और न्यायपरायण - धर्मोत्तरं मध्यममाश्रयन्ते - रघु० १३/७ -- उपदेश: 1. धर्म या कर्तव्य की शिक्षा, धार्मिक या नैतिक शिक्षण 2. धर्मशास्त्रकर्मन् ( नपुं० ) कार्यम्, क्रिया, कर्तव्य कर्म, नीति का आचरण, धर्मपालन, धार्मिककृत्य या संसार 2, सदाचरण, कथादरिद्रः कलियुग, -- कायः बुद्ध का विशेषण, कील: अनुदान, राजकीय लेख या शासन, केतुः बुद्ध का विशेषण-कोशः षः धर्मसंहिता, धर्मशास्त्र - धर्मकोषस्य गुप्तयेमनु० ११११ - क्षेत्रम् 1. सान्तवर्ष ( धर्म की भूमि ) 2. दिल्ली के निकट का मैदान, कुरुक्षेत्र ( यहां ही कौरव पांडवों का महायुद्ध हुआ था) - धर्मक्षेत्रे कुरु For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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