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( ४८८ )
धनुष, धनुष्यमोघं समधत्त बाणम् कु० ३।६६, इस प्रकार इन्द्रधनुः आदि (बहुव्रीहि समास के अन्त में 'धनुस्' के स्थान में 'धन्वन्' आदेश हो जाता हैरघु० २८ ) 2. चार हाथ के बराबर लंबाई की माप - याज्ञ० २।१६७, मनु० ८।२३७ 3. वृत्त की चाप 4. धन राशि 5. मरुस्थल तु० धन्वन् । सम० कर ( वि० -- धनुष्कर ) धनुष से सुसज्जित (र: ) धनुष - बनान वाला काण्डम् (धन, कांडम् ) धनुष और बाण -- खण्डम् (धनुः खंडम् ) धनुष का भाग- मैघ ०१५, - गुणः (धनुर्गणः) धनुष की डोरी, --ग्रहः (धनुर्ग्रह) धनुर्धारी, ज्या ( धनुर्ज्या ) धनुष की डोरी -अनवरतधनुर्ज्यास्फालनक्रूरपूर्वम् - श० २१४, द्रुमः ( धनर्दुमः) बाँस --धरः भृत् (पुं०) (धनुर्धरः आदि) धनुर्धारी -- रघु० २।११, २९, ३३१,३८,३९, ९।११, १२ ९७, १६।७७, - - पाणि ( वि०) धनुष्पाणि) धनुष से सुसज्जित, हाथ में धनुष लिये हुए, मार्गः (धनुर्मार्गः ) धनुष की भांति टेढ़ी रेखा, वक्र, -- विद्या (धनुविद्या ) धनुविज्ञान, वृक्ष:, (धनुर्वृक्षः) 1. बाँस, 2. अश्वत्थ का वृक्ष, वेदः (धनुर्वेदः) चार उपवेदों में से एक धनुर्वेद, धनुविज्ञान |
धनू ( स्त्री० ) [ धन् + ऊ ] धनुष, कमान । धन्य ( वि० ) [ धन् + यत् ] 1. धन प्रदान करने वाला,
-- मनु० ३।१०६,४१९ 2. दौलतमंद, धनी, मालदार 3. सौभाग्यशाली, भाग्यवान् महाभाग, ऐश्वर्यशाली -- धन्यं जीवनमस्य मार्गसरसः- भामि० १११६, धन्या केयं स्थिता ते शिरसि - मुद्रा० १1१4. श्रेष्ठ, उत्तम, गुणवान् न्यः भाग्यवान् या सौभाग्यशाली, किस्मत वाला व्यक्ति -- धन्यास्तदङ्गरजसा मलिनीभवति -- श० ७ १७, भर्तृ० ११४१, धन्यः कोऽपि न विक्रियां कलयते प्राप्ते नवे यौवने - १।७२ 2. काफिर, नास्तिक 3. जादू या 1. धात्री 2. धनिया, -- न्यम् दौलत, कोष । सम० - - वादः 1. साधुवाद देने के लिए बोला जाने वाला शब्द, साधुवाद 2. प्रशंसा, स्तुति, वाहवाह । धन्यंमन्य ( वि० ) ( धन्य + मन् - - - खश्, मुम् ] अपने आपको भाग्यशाली मानने वाला । धन्यकम् [ धन्य + आकन्, नि० ] 2. धनिया ।
1. धनिये का पौधा
धन्वम् [ धन् + वन् ] धनुष ( श्रेण्य साहित्य में विरल प्रयोग ) । सम० -- धिः धनुष रखने की पेटी । धन्वत् (पुं०, ननुं० ) [ धन्व् +कनिन् ] 1. सूखी जमीन,
मरुभूमि, परत की भूमि एवं धन्वनि चंपकस्य सकले संहारहेतावपि भामि० १३१2. समुद्रतट, कड़ी भूमि । सम० दुर्गम् गढ़ ( जो चारों ओर फैली मरुभूमि के कारण अगम्य हो ) मनु० ७ ७० ।
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धन्वन्तरम् (नपुं०) चार हाथ के बराबर दूरी की माप, तु० 'दंड' |
धन्वन्तरि [ धनुः चिकित्साशास्त्रं तस्यान्तमृच्छति - धनु +
अन्त + ऋ + इ ] देवताओं के वैद्य का नाम, ( कहते हैं कि धन्वंतरि समुद्रमंथन के फलस्वरूप, अमृत हाथ मैं लिए हुए समुद्र से निकले थे तु० चतुर्दशरत्न । धन्विन् ( वि० ) ( स्त्री०-नी ) [ अन्त्र चापोऽस्त्यस्य इनि ]
धनुष से सुसज्जित, (पुं० ) 1. धनुर्वारी के मम धन्विनोऽन्ये कु० ३।१०, उत्यर्थः स च धन्विनां यदिषयः सिध्यन्ति लक्ष्ये चले - श० २/४ 2. अर्जुन 3. शिव और 4. विष्णु का विशेषण 5 धनु राशि । धन्विनः [ धन्व् +इनन् ] सूअर । धम ( वि० ) ( स्त्री० मा, मी) [ धम् + अच् ] ( प्रायः
समास के अन्त में) 1. धोकने वाला - अग्निन्धम, नाजिम 2. पिघलाने वाला, गलाने वाला, - मः 1. चन्द्रमा 2. कृष्ण की उपाधि 3 मृत्यु के देवता यम, और 4. ब्रह्मा का विशेषण । धमकः [ घम् + ल् ] लुहार ।
areमा ( स्त्री० ) अनुकरणमूलक शब्द जो धौंकनी या बिगल की ध्वनि को व्यक्त करता है ।
धमन ( वि० ) [ धम् + ल्युट् ] 1. धौंकने वाला 2. क्रूर, - नः एक प्रकार का नरकुल ।
धमनिः, नी [ धम् +अनि, धमनि + ङीष् ] 1. नरकुल, न 2. शरीर की नाड़ी, शिरा 3. गला, गर्दन | धमिः [ धम् + इ ] फूंक मारना । धम्मलः, धम्मिलः, धम्मिल्लः [ धम्+ विच्, मिल | क्
पृ० ] स्त्री के सिर का मोंढीदार अलंकृत जूड़ा जिसमें मोती और फूल लगे हों आकुलाकुलगलद्धम्मिल्ल गीत० उरसि निपतितानां स्रस्तधम्मल्लकानाम् (वधूनाम् ) भर्तृ० १:४९, शृंगार० १ । धय ( वि० ) ( घे+श ] ( प्रायः समास के अन्त में ) पीने
वाला चूसने वाला जैसा कि 'स्तनंधय' में ।
धर ( वि० ) ( स्त्री० - रा, रो) [ धृ-+-अच् ] ( प्रायः समास के अन्त में ) पकड़ने वाला ले जाने वाला, संभालने वाला, पहनने वाला, रखने वाला, कब्जे में करने वाला, संपन्न, प्ररक्षा करने वाला, निरीक्षण करने ला जैसा कि अक्षघर, अंशुवर, गदाधर, गंगाधर, महीवर, असृग्वर, दिपांवरवर आदि, र: 1. पहाड़ - उत्कन्धरं द्रष्टुमवेदन शौरिमु- कन्धरं दारुक इत्युवाच शि० ४।१८ 2 रूई का ढेर 3. ओछा, छिछोरा 4. कच्छपराज अर्थात् कूर्मा- बतार भगवान् विष्णु 5. एक वस्तु का नाम । धरण (वि० ) ( स्त्री० णी ) । वृ । ल्युट् । व्यन वाघ, प्ररक्षण करने वाला, संभालने वाला आदि णः 1. टीला ( जो पुल का काम दे रहा हो ), पर्वतपार्श्व
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