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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ४८७ ) ध (वि.) [धा+] (समास के अन्त में), रखने वाला, | श१९ 2. मालदार, धनाढ्य,--अधिन् (वि०) धने संभालने वाला,-थ: 1. ब्रह्मा का विशेषण 2. कुबेर च्छुक, लालची, कंजूस, - आदय (वि.) मालदार, 3. भलाई, नेकी, आचार, गुण,-धम् धन दौलत, धनी, दौलत मंद,-आधारः खजाना,-शिः, ईश्वरः संपत्ति। 1. कोषाध्यक्ष 2. कुबेर का विशेषण,-उध्मन् (पुं०) धक क्रोधोद्गार-उत्तर० ४।२४। घन की गर्मी-तु० अर्थोष्मन्,--एषिन् (पुं०) साहूधक्क (चुरा० उभ०-धक्कयति-ते) ध्वस्त करना, नष्ट । कार जो अपना रुपया मांगे, केलिः कुबेर का विशेषण, करना। ---- क्षयः धन की हानि, . घनक्षये वर्धति जाठराग्नि:घटः [ध+अट् +अच्, शक० पररुपम्] 1. तराजू, तराजू। पंच० २।१७८,---गर्व,-गवित (वि०) रुपये का के पलड़े 2. तराजू द्वारा कठोर परीक्षा 3. तुला घमंडी, जातम् --सब प्रकार की मूल्यवान् संपत्ति, राशि। समस्त द्रव्य,-1: 1. उदार या दानशील व्यक्ति घटकः [घट+के+क] ४२ गुंजा या रत्तियों के समान 2. कुबेर का विशेषण-रघु० ९।२५, १७१८० एक प्रकार का तोल विशेष । 3. अग्नि का नाम, °अनुजः रावण का विशेषण-रषु० टिका, घटी [घटी+कन्+टाप, ह्रस्वः; धन्+अ+ १२०५२, ८८,-वंड: अर्थदंड, जुर्माना,---दायिन् डीष, नि० नस्य ट:] 1. पुराना कपड़ा या चिथड़ा (पुं०) आग,—पतिः कुबेर का विशेषण-तत्रागार 2. लंगोटी धनपतिगृहानुतरेणास्मदीयम् --मेघ० ७५,७,-पाल: धटिन् (पुं०) [घट+इनि] 1. शिव का विशेषण 2. तुला 1. कोषाध्यक्ष 2. कुबेर का विशेषण,-पिशाचिका, राशि,-नी घटी। पिशाची धन का राक्षस, धन की तुष्णा, लालच, धम् (भ्वा० पर०-घणति) शब्द करना। लोलुपता,--प्रयोगः सूद खोरी,-मब (वि) धन का धतूरः, धतूरकः,-का [घयति धातन धे+उरच पृषो०, घमंडी,-मूलम् मूलधन, पूंजी,-लोभः तृष्णा, लिप्सा, पत्तूर+कन्, स्त्रियां टाप् च धतूरे का पौधा । --व्ययः 1. खर्च 2. अपव्यय,- स्थानम् खजाना, हर धन् (भ्वा० पर०-धनति) शब्द करना । 1. उत्तराधिकारी 2. चोर 3. एक प्रकार का सुगंध द्रव्य। धनम् [घन्+अच्] 1. संपत्ति, दौलत, धन, निधि, रुपया (सोना, आदि चल संपत्ति)-धनं तावदसुलभम् - धनकः, बनाया [धनस्य कामः--धन-कन्] तृष्णा, हि०१, (आलं. भी) जैसा कि तपोधन, विद्याधन लालच, लालसा ! आदि में 2. (क) मूल्यवान् संपत्ति, कोई प्रियतम धनञ्जयः [धन+जि+खच, मुम्] 1. अर्जुन का नाम या स्निग्धतम पदार्थ, प्रियतम निधि-कष्टं जनः । (नाम की व्युत्पत्ति-सञ्जिनपदान् जित्वा वित्तमाकुलधनैरनुरजनीयः-उत्तर०१।१४, गुरोरपीदं धन- दाय केवलम्. मध्ये धनस्य तिष्ठामि तेनाहमा माहिताग्नेः-रघु० २।४४, मानधनम्, अभिमान धनञ्जयम्--महा. 2. अग्नि का विशेषण । आदि (ख) मूल्यवान् वस्तु- मनु० ८/२०१, २०२ धनवत् (वि०) [धन+मतुप] धनी, दौलतमंद । 3. पूंजी (विप० वृद्धि या व्याज) 4. लूट का माल | धनिकः [धनमादेयत्वेनास्ति अस्य-ठन्] 1. धनवान् या अपहृत वस्तु, ऊपरी आय 5. मल्लयुद्ध में विजेता दौलतमंद पुरुष 2. महाजन, साहकार-दापयेद्धनिको प्राप्त होने वाला पुरस्कार, खेल में जीता हुआ कस्यार्थम् --मनु० ८।५१, याज्ञ० २१५५, 3. पति पारितोषिक 6. पुरस्कार प्राप्त करने के लिए प्रति 4. ईमानदार व्यापारी 5. 'प्रियंगु' वृक्ष । अनिन (वि.) (स्त्री-नी) धन+इनि] धनी, मालदार, अवशिष्ट 9. (गणि० में) जोड़ की राशि (विप० दौलतमंद (पुं०) 1. दौलतमंद 2. साहूकार-याश० ऋण)। सम-अधिकारः संपत्ति में अधिकार, १८,४१, मनु० ८।६१ । उत्तराधिकार में संपत्ति पाने का हक़,—अधिकारिन्, धनिष्ठ (वि०) [घन+इष्ठन्, घनिन् की उ० अ०] .-अधिकृतः 1. कोषाध्यक्ष 2. उत्तराधिकारी-अधि- अत्यंत धनी,-ठा तेइसवा नक्षत्र, (इसमें चार नक्षत्रों गोप्त,--अधिपः-- अधिपतिः, - अध्यक्षः 1. कुबेर का का पुंज है)। विशेषण–कि ०५:१६ 2. कोषाध्यक्ष, --अपहारः | धनी धनीका [धनमस्ति अस्या:--धन्+अच्-+डी ] 1. अर्थदंड 2. लूट खसोट का माल,--अचित (वि.) तरुणी, जवान स्त्री। धन के उपहारों से सम्मानित, मुल्यवान उपहारों से धनुः [धन्- --उ ] धनुष, (संभवतः 'धनुर' का ही रूप) संतुष्ट किया गया,--मानधना धनाचिता:-कि० धनुस् (वि.) [धन्+उसि] 1. धनुष से सुसज्जित (नपुं०)। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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