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जः
(वि०) दो गौओं से विनिमय किया हुआ, (गुः ) तत्पुरुष समास का एक भेद जिसमें पूर्वपद संख्यावाचक होता है – द्वन्द्वो द्विगुरपि चाहम् - उद्भट, - गुण (वि०) दुगुना, दोहूरा, (द्विगुणीकृ-दो बार हल चलाना, दुगुना करना, बढ़ाना), गुणित (वि०) 1. दुगुना किया हुआ, कि० ५।४६ २. दो तह किया हुआ 3. लपेटा हुआ 4. दुगुना बढ़ाया हुआ, चरण (वि०) दो टाँगों वाला, दो पैरों वाला - द्विवरणपशूनां क्षितिभुजाम्शा० ४११५, चत्वारिश (वि० ) [ द्विचत्वारिशद्वाः ] बयालीसवाँ - चत्वारिशत् (स्त्री०) ( द्वि-द्वाचत्वारिंशत्) बयालीस, दुजन्मा, 1. हिन्दुओं के प्रथम तीन वर्णों में (ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य ) कोई एक दे याज्ञ० १/३९ 2. ब्राह्मण ( जिसपर पवित्रीकारक कृत्य या संस्कारों का अनुष्ठान किया जा चुका है ) -जन्मना जायते शूद्रः संस्काद्विज उच्यते 3 अंडज जंतु जैसे कि पक्षी, साँप, मछलो आदि- स तमानंदमविदत्त द्विजः नै० २१, श० ५।२१, रघु० १२।२२, मुद्रा० १।११, मनु० २।१७ 4. दाँत कीर्ण द्विजानां गणैः भर्ता १११३ | यहाँ 'द्विज' शब्द का अर्थ ब्राह्मण भी है ) अप्रघः ब्राह्मण, अयनो यज्ञोपवीत जिसे हिन्दुओं के प्रथम तीन वर्ण धारण करते हैं, 'आलयः द्विज का घर इन्द्र:,, ईश: 1. चन्द्रमा शि० १२१३ 2. गरुड का विशेषण 3. कपूर, दासः शूद्र, पतिः, 'राजः 1. चन्द्रमा का विशेषण - रघु० ५।२३ 2. गरुड, 3. कपूर, प्रपा 1. आलवाल, थांवला 2. चुबच्चा ( जहाँ पशु पक्षी पानी पीयें, बन्धुः, बुवः 1. जो ब्राह्मण बनने का बहाना करता है 2. जो जन्म से ब्राह्मण हो, कर्म से न हो, तु० ब्रह्मबन्धुः, लिङ्गिन् ( पुं० ) 1. क्षत्रिय 2. झूठा ब्राह्मण, ब्राह्मण वेशधारी, वाहनः विष्णु की उपाधि (गरुडारोही), सेवक शूद्र, जन्मन्, - जाति: (पुं०) 1. हिन्दुओं के प्रथम तीन वर्णों में से किसी एक वर्ण का मनु० २।२४ 2. ब्राह्मण - कि० ११३९, कु० ५/४० 3. पक्षी पंछी 4. दाँत, - - जातीय ( वि० ) हिन्दुओं के प्रथम तीन वर्णों में से किसी एक वर्ण का, -जिह्नः 1. साँप - शि० १/६३, रघु० ११/६४, १४ ४१, भामि० १२० 2. संसूचक, मिथ्यानिन्दक, चुगलखोर 3. कपटी पुरुष, त्र ( वि० ) ( ब० द० ) दो तीन - रघु० ५।२५, भर्तृ० २।१२१, त्रिश ( द्वात्रिंश) 1. बत्तीसवाँ 2. बत्तीस से युक्त, त्रिंशत् (द्वात्रिंशत्) बत्तीस लक्षण ३२ शुभलक्षणों से युक्त, - दण्डि ( अव्य० ) । डंडे से डंडा बत् (वि०) दो दाँत रखने वाला, बश (वि०) ( ब० व० ) बीस, -- बश (वि० ) ( द्वादश) 1. बीसव, मनु० २।३६
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2. बारह से युक्त, -वशन् (द्वादशन् ) ( वि०, ब० To ) बारह, अंशुः 1. बृहस्पति ग्रह तथा 2. देवों के गुरु बृहस्पति का विशेषण, 'अक्षः करः 'लोचन: कार्तिकेय का विशेषण, अंगुल १२ अंगुल का माप,
अह 1. बारह दिन का समय- मनु० ५।८३, ११।६८ 2. १२ दिन तक चलने वाला या १२ दिन में पूर्ण होने वाला यज्ञ, आत्मन् (पुं०) सूर्य, 'आवित्याः ( ब० ० ) बारह सूर्य दे० आदित्य, आयुस् (पुं० ) कुत्ता, सहल (वि०) १२००० से युक्त, बशी ( द्वादशी ) चाँद्र मास के पक्ष की १२वीं तिथि, -देवतम् विशाखानाम नक्षत्र, देहः गणेश का विशेषण, धातुः गणेश का विशेषण, नग्नकः वह मनुष्य जिसकी सुन्नत हो चुकी हो, नवत ( द्विद्वानयतः ) बानवेव, नवतिः (द्वि-अनवतिः) बानवे, --प: हाथी, 'आस्य: गणेश का विशेषण, - पक्षः 1. पंछी 2. महीना - पञ्चाश (द्वि- द्वापञ्चाश) (वि०) बावनवाँ -- पञ्चाशत् ( द्वि-द्वापञ्चाशत् ) ( स्त्री ० ) बावन, - पथम् दो मार्ग, पदः, दुपाया, मनुष्य, पदिका, - पदी 1. दुपाया मनुष्य 2. पक्षी, देवता, – पाद्यः, -- पाद्यम् दुहरा जुर्माना, -- पायिन् (१०) हाथी - बिंदु: विसर्ग: (:)) - भुजः कोण, - भूम (वि० ) ( महल की भांति ) दो मंजिला, - मातृ, मातृजः 1. गणेश तथा 2. जरासंध का विशेषण, - मात्रः दीर्घ स्वर ( दो मात्राओं बाला ), -- मार्गी पगडंडी, -मुखा जोंक, रः 1. भौरा - तु० द्विरेफ 2. बर्बर, रवः हाथी- रघु० ४१४, मेघ० ५%, 'अन्तकः, 'अरातिः, अशनः सिंह, -रसनः साँप, -रात्रम् दो रातें - रूप (वि०) 1. दो रूपों का, 2. दो रंग का, द्विदलीय, रेतस् (पुं० ) खच्चर, - रेफः भौंरा ('भ्रमर' इसमें दो 'र' हैं) कु० १ २७, ३।२७, ३६, वचनम् ( व्या० में ) द्विवचन, - वज्रकः १६ कोणों का खोखा या पावों का घर,
-वाहिका बहंगी, विश (द्वाविंश) (वि०) बाइसर्वां, -- विशतिः (द्वाविंशतिः ) ( स्त्री० ) बाईस, - विष (वि०) दो प्रकार का, दो तरह का, भनु० ७। १६२ - वेरा खड़खड़ा, खच्चरों से खींची जाने वाली हल्की गाड़ी, शतम् 1. दो सौ 2. एक सौ दो, शत्य ( वि०) दो सौ में खरीदा हुआ या दो सौ के मूल्य का, शफ (वि०) दो फटे खुर वाला (फ) कोई भी फटे दो खुर वाला जानवर, शीर्षः अग्नि का विशेषण, -- षष् (वि० ) ( ब० व० ) दो बार छः, बारह, -- बष्ट (डिवष्ट, द्वाषष्ट) बासठवीं, षष्टिः ( स्त्री० ) ( द्विषष्टिः, द्वाषष्टिः ) बासठ, -सप्त (द्विद्वासप्तत) (वि०) बहत्तरवां, -सप्ततिः ( स्त्री० ) ( द्वि + द्वासप्ततिः) बहत्तर -सप्ताहः
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