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( ४८२ )
मृच्छ० १०॥२६ 3. पहाड़ी कौवा, मरदारखोर कौवा | आघात या आक्रमण करने की चेष्टा, क्षति, उपद्रव, 4. बिच्छू. 5. वृक्ष 6. सफेद फूलों वाला वृक्ष 7. कौरव ईर्ष्या-अद्रोहशपथं कृत्वा- पंच०२।३५, भग० ११३७, पाण्डवों का गुरु (द्रोण भरद्वाज ऋषि का पुत्र था, मनु० २।१६१ ७।४८, ९।१७ 2. धोखा, विश्वासघात इसका यह नाम इसलिए पड़ा कि घृताची नामक 3. अन्याय, दोष 4. विद्रोह । सम०---अटः 1. पाखंडी, अप्सरा को देखते ही जब उनका वीर्यपात हआ तो धर्त, छद्मवेषी 2. शिकारी 3. झूठा मनुष्य,-चिन्तनम् उन्होंने उसको एक द्रोण में सुरक्षित रक्खा। जन्म से ईर्ष्यायक्त विचार, अपकार चिन्ता, हानि पहुँचाने का ब्राह्मण होने पर भी द्रोण ने परशुराम से शस्त्रास्त्र. इरादा,- बुद्धि (वि०) उपद्रव करने पर उतारू या विज्ञान की शिक्षा प्राप्त की। बाद में धनुविद्या और दूषित व्यवहार पर तुला हुआ (स्त्री० --द्धिः) दुष्ट शस्त्र चालन द्रोण ने कौरव पाण्डवों को सिखलाया।। प्रयोजन, दुराशय । जिस समय महाभारत का युद्ध हुआ तो वह कौरव द्रौणायनः,---निः,--ौणिः [द्रोण+फा, फित्र वा, द्रोण पक्ष की ओर से लड़ा, और जब भीष्म घायल होकर +इञ] अश्वत्थामा का विशेषण-यद्रामेण कृतं 'शरशय्या पर लेट गये तो कौरवसेना की बागडोर तदेव कुरुते द्रौणायनि: क्रोधनः-वेणी० ३।३१।। द्रोण ने संभाली तथा चार दिन तक युद्ध करके पाण्डव द्रौपदी [द्रपद+अण+डी] पांचालराज द्रुपद की पुत्री पक्ष के हजारों योद्धाओं को मौत के घाट उतारा । का नाम (स्वयम्बर में अर्जुन ने इसे प्राप्त किया। युद्ध के पन्द्रहवें दिन रात को भी संग्राम होता रहा जब उन्होंने घर आकर अपनी माता कुन्ती को कहा और फिर सोलहवें दिन प्रातःकाल कृष्ण के सुझाव पर कि आज हमने बड़ी अच्छी वस्तु प्राप्त की है। तब भीम ने द्रोण को सुना कर कहा कि अश्वत्थामा मारा माता ने कहा कि सब आपस में बाँट लो। क्योंकि गया (तथ्य यह था कि अश्वत्थामा नाम का हाथी कुन्ती के मुख से निकलो बात कभी झूठी नहीं हो युद्ध में काम आया था) इस पर विश्वास न कर इस सकती अतः वह पाँचों भाइयों की पत्नी बनी। जब तथ्य की यथार्थता जानने के लिए उसने सत्यवादी युधिष्ठिर जुए में अपने राज्य को हार गया, द्रौपदी युधिष्ठिर से पूछा। युधिष्ठिर ने भी, कृष्ण के परा- को हार गया, यहाँ तक कि अपने आग को भी हार मर्शानुसार, बात को छलपूर्वक टाल दिया। उन्होंने गया तो दुःशासन ने और दुर्योधन की पत्नी ने उसका 'अश्वत्थामा' शब्द को ऊँचे स्वर से उच्चारण किया बड़ा अपमान किया। परन्तु इस प्रकार के अपमान तथा 'गज' शब्द को धीमे स्वर से-दे० वेणी० ३१९, को द्रौपदी ने असाधारण सहिष्णुता के साथ सहन अपने एकमात्र पुत्र की मृत्यु का समाचार सच समझ किया। और जब कभी, कई अवसरों पर उसकी कर अत्यन्त शोकग्रस्त हो बूढ़ा पिता मछित हो गया। तथा उसके पतियों को परीक्षा ली गई तो उसने उनके उसी समय धृष्टद्युम्न ने (जिसने द्रोण को मारने की मान की रक्षा की (जैसा कि उस समय जब दुर्वासा प्रतिज्ञा की थी) उस अवसर से लाभ उठाकर द्रोण ऋषि ने अपने साठ हजार शिष्यों के लिए रात को का सिर काट डाला ।--णः,-णम् एक विशेष तोल भोजन माँगा)। अन्त में एक दिन उसकी सहिष्णुता का बट्टा, या तो एक आढक या चार आढक, अथवा समाप्त हो गई और उसने अपने पतियों को बड़े ताने खारी का १/१६ भाग, या ३२ अथवा ६४ सेर,-णम् के साथ उसी लहजे में कहा जिसमें कि वह अपने 1. काष्ठ पात्र, प्याला, कठौती 2. लकड़ी की कृण्ड या शत्रुओं से प्राप्त क्षति और अपमान का कड़वा बूंट पी खोर। सम०---आचार्यः दे० ऊ० द्रोण,-काकः पहाड़ी रहे थे...दे० कि० ११२९-४६,----इसी के फलस्वरूप कौवा,-क्षीरा,-घा, दुग्धा,- दुघा एक द्रोण दूध पाण्डवों न युद्ध करने का दृढ़ संकल्प किया। यह उन देने वाली गाय,--मुखम् ४०० गाँव की राजधानी, पांच सती स्त्रियों में से हैं जो प्रातः स्मरणीय समझी मुख्य नगर।
जाती है--दे० अहल्या)। प्रोणिः,-णी (स्त्री०) [+नि, द्रोणि+डी] 1. लकड़ी द्वोपवैयः [ द्रौपदी+ढक] द्रौपदी का पुत्र-भग० ११६।१८।
का बना एक अण्डाकार पात्र जिसमें पानी रखते हैं. | द्वन्द्वः [द्वौ सहाभिव्यक्ती-द्वि शब्दस्य द्वित्वम्, पूर्वपदअथवा पानी जिससे बाहर निकालते हैं, डोल, चिलमची स्य अम्भावः, उत्तरपदस्य नपुंसकत्वम्, नि०] घड़ियाल कुप्पी 2. जलाधार 3. काट की खोर 4. दो शूर्प या जिस पर प्रहार करके घंटों की सूचना दी जाती है, १२६ सेर के बराबर धारिता की माप 5. दो पहाड़ों -दुम् 1. जोड़ा, जन्तु युगल, (मनुष्ययुगल भी) 2. स्त्रीके बीच की पाटीद, बृह-द्रोणीशलकान्तारप्रदेशमधिति- पुरुष, नर-मादा.... द्वन्द्वानि भावं क्रियया विववः-कू० ष्ठतो माधवस्यान्तिके प्रयामि-मा० ९, हिमवद् ३।३५, मेघ० ४६, न चेदिदं द्वन्द्वमयोजयिष्यत्-कु. द्रोणी। सम० --बलः केतक का पौधा ।।
७।६६, रघ० ११४०, श० २।१४, ७२७ 3. दो द्रोहः [वह+घञ] 1. किसी के विरुद्ध षड्यन्त्र रचना, वस्तुओं का जोड़ा, दो विरोधी अवस्थाओं या गुणों का
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