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1. पीछे भागना, अनुसरण करना, साथ जाना-- रघु० ३३८, १२६७, १६।२५, शि० १५२ 2. पीछा करना, पैरवी करना, अभि, 1. हमला करना, धावा बोलना, ( शत्रु के सामने ) जाना - गजा इवान्योन्यमभिद्रवन्तः मृच्छ० ५।२१ 2. आ पड़ना 3. ऊपर से चले जाना, उथ 1. हमला करना, आक्रमण करना -२० १५/२३ 2 की ओर भागना, प्र, भाग जाना, प्रत्यावर्तन, दौड़ जाना ( कर्म० या अपा० के साथ) - रणात्प्रद्रवन्ति बलानि - वेणी० ४ भट्टि० १५/७९, प्रति भागना, उड़ना, चले जानाभट्टि० ६।१७, वि, भागना, भाग जाना, प्रत्यावर्तन, प्रेर० ---- भगा देना, विदका देना, तितर बितर कर देना भामि० १।५२ मा० ३ ।
ii ( स्वा० पर० द्रुणोति ) 1. क्षति पहुँचाना, अनिष्ट करना - तं दुद्रावादिणा कपिः भट्टि० १४।८१, ८५ 2. जान 3. पछताना |
दु (पुं० नपुं० ) | द्रु+डु ] 1. लकड़ी 2. लकड़ी का बना
उपकरण (पुं० ) 1. वृक्ष -मनु० ७।१३१2. शाखा । सम० – किलिमं देवदारु वृक्ष, घणः 1. मोगरी, गदा या थापी 2 बढ़ई की हथौड़ी जैसा कोहे का उपकरण 3. कुठार, कुल्हाड़ी 4. ब्रह्मा का विशेपण, ती कुल्हाड़ी, -नख: कांटा, नस ( स ) ( वि० ) बड़ी नाक वाला, -न (ण) हः म्यान, सल्लक: एक वृक्ष पियाल । द्रुण: [ द्रुण् | क ] 1. बिच्छू 2. मधुमक्खी 3. बदमाश -णम् 1. धनुष 2. तलवार । सम० - हः असि कोष, म्यान । द्रुणा [ द्रुण+टाप् ] धनुष की डोरी । दुणि:,, --णी (स्त्री० ) [ द्रुण् +इन्, द्रुणि + ङीष् ] 1. एक छोटा कछुवा या कछुवी 2. डोल 3. कान
खजूरा ।
व्रत (भू० क० कृ० ) [ द्रु + क्त ] 1. आशुगामी, फुर्तीला, तगामी 2. वहा हुआ, भागा हुआ, पलायित 3. पिघला हुआ, तरल, घुला हुआ, दे० 'द्रु', --तः 1. बिच्छू 2. वृक्ष 3. बिल्ली, तम् ( प्रत्य० ) जल्दी से, फुर्ती से, वेग से तुरन्त । सम० पद ( वि०) आशुगामी, विलम्बितम् एक छंद का नाम, दे० परिशिष्ट ।
वृति: ( स्त्री० ) [दु+वितन् ] 1. पिघलना, घुलना, 2. चले जाना. भाग जाना ।
द्रुपदः ( पुं० ) पांचाल देश के एक राजा का नाम ( दुपद के पिता का नाम पृवत था, दुपद और द्रोण दोनों ने द्रोण के पिता भरद्वाज से धनुविद्या सोनी । जव द्रुपद को राजगद्दी मिल गई तो एक बार आर्थिक कठिनाइयों में ग्रस्त होने के कारण द्रोण अपनी छात्रा
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वस्था की मित्रता के आधार पर द्रुपद के पास गया, परन्तु उसने घमंड के कारण द्रोण का अपमान किया। इस कारण द्रोण ने उसे अपने शिष्यों (पाण्डव) द्वारा पकड़वा कर बन्दी बनाया -- फिर उसका आधा राज्य उसे वापस कर दिया। परन्तु यह हार द्रुपद के मन में सदैव करकती रही, और एक ऐसा पुत्र पाने की इच्छा से जो उस हार का बदला ले सके, उसने एक यज्ञ किया । उस यज्ञाग्नि से धृष्टद्युम्न नामक पुत्र तथा द्रौपदी नाम की पुत्री ने जन्म लिया । बाद में इसी पुत्र ने धोखे से द्रोण का सिर काट लिया, दे० 'द्रोण' भी ) ।
ब्रुमः [दुः शाखाऽस्त्यस्य मः ] 1. वृक्ष, यत्र द्रुमा अपि मृगा अपि बन्धवो मे - उत्तर० ३1८2. पारिजात वृक्ष । सम० -- अरिः हाथी, आमय लाख, गोंद, ... आश्रयः छिपकली, ईश्वरः 1. ताड़ का वृक्ष 2. चन्द्रमा 3. परिजात वृक्ष, उत्पलः कर्णिकार वृक्ष, -- नख:, - मर: काँटा, व्याधिः लाख, गोंद, श्रेष्ठः ताड़ का वृक्ष, षण्डम् वृक्षोद्यान, पेड़ों का समह । तुमिणी [दुभ + इनि + ङीप् ] वृक्षों का समूह 1 दुवयः [दु + वय ] माप, मान ।
बुह
(दिवा० पर० दुह्यति, दुग्ध) 1. ईर्ष्या द्वेष करना, क्षति या द्वेष पहुँचाने की चेष्टा करना, द्वेषपूर्वक बदला लेने की इच्छा से षड्यन्त्र रचना ( सम्प्र ० ) यान्वेति मां द्रुति ममेव सात्रेत्युपालम्भि तयालिवर्गः नं० ३७, भट्टि० ४१३९, अभि-, क्षति पहुँचाना, हमला करने का प्रयत्न करना, षड्यन्त्र रचना ( कर्म० के साथ) --मच्छरीरमभिद्रोग्धुं यतते - मुद्रा० १ । द्रुह (वि०) [ह + क्विप्] ( समास के अन्त में प्रयोग )
( कर्तृ० ए० व० - ध्रुक् ग्, ध्रुट्, -ड) क्षति पहुँचाने वाला, चोट पहुँचाने वाला, षड्यन्त्र कारी, शत्रुवत् व्यवहार करने वाली शि० २।३५, मनु० ४/९०, ( स्त्री० ) -- क्षति, हानि । ब्रहः [ द्रुह, + क] 1. पुत्र 2. सरोवर, झील ।
ण, हिण: [ संसारगति हन्ति - दु+ न् + अच्, द्रुह्यति दुष्टेभ्यः, द्रुह |इनन्, णत्वम् ] ब्रह्मा या शिव
का नाम ।
: [g -+- क्विप्, दीर्घः ] सोना ।
दूषण: [ -दुषण:, पृषो० साधुः ] हथौड़ा, लोहे का हथौड़ा, ० '' |
दूण: [ द्रुण, पृषो० साधु०] बिच्छू । द्रोण: [द्रुण + अच् या द्रु+न] 1. चार सौ बाँस लम्बी
झोल, या सरोवर 2. बादल ( विशेष प्रकार का बादल ) जल से भरा बादल ( जिसमें से वर्षा इस प्रकार निकले जैसे डॉल में से पानी ) कोऽयमेवंविधे काले कालपाशस्थिते ययि, अनावृष्टिहते शस्ये द्रोणमेघ इवोदितः,
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