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धुकः द्य+कन उल्लू। सम० ... अरिः कौवा। द्योतः [द्युत्+घा] 1. प्रकाश, ज्योति, उजाला जैसा कि द्युत (भ्वा० आ० --द्योतते, द्युतित या द्योतित-इच्छा० खद्योत' में 2. धूप 3. गर्मी।
दिद्युतिषते, दिद्योतिषते) चमकना, उजला होना, द्योतक (दि०) [द्युत् । वुल] 1. चमकने वाला 2. प्रकाशजगमगाना-दिद्युते च यथा रवि: -भट्रि० १४।१०४, मय 3. व्याख्या करने वाला, व्यक्त करने वाला, बत६।२६, ७।१०७, ८1८९, पर द्योतयति 1. प्रकाश लाने वाला। करना, देदीप्यमान करना--भट्टि० ८।४६ कु०६।४ द्योतिस (नपुं०) [द्यत+इसुन] 1. प्रकाश, उजाला, चमक 2. स्पष्ट करना, व्याख्या करना, समझाना 3. अभि- 2. तारा । सम० ---इङ्गणः (द्योतिरिणः) जुगनू । व्यक्त करना, अर्थ प्रकट करना, अभि -, प्रेर० - द्रडक्षणम् [द्रांक्षन्ति अनेन-द्राक्ष--ल्युट् पृषो० ह्रस्वः] भार प्रकाश करना.....रघु० ६।३४, उद्-, प्रकाश करना, का माप या बट्टा, एक तोला । दीपक जलाना, सजाना, सुभूषित करना-रघु० १०॥ द्रढयति (ना० धा० पर०) 1. दृढ़ करना, जकड़ना, कसना ८०, वि.---,चमकना, उज्ज्वल होना-व्यद्योतिष्ट । (शा०) यथा ---जटाजूट ग्रन्थि द्रढयति 2. समर्थन
सभावेद्यामसौ नरशिखित्रयी--शि० २।३, १।२०।। करना, पुष्ट करना, अनुमोदन करना--निवेश: शैलानां द्युतिः (स्त्री०) [द्युत्-+इन्] 1. दीप्ति, उजाला, कान्ति,
तदिदमिति बुद्धि द्रइयति-उत्तर० २।२७, विशुद्धरुसौन्दर्य-कानः काञ्चनसंसर्गाद्धत्ते मारकतीं द्युतिम्-हि०
त्कर्षस्त्वयि तु मम भक्ति द्रढयति-४।११।। प्र० ४१, मा० २।१०, रघु० ३।६४ 2. प्रकाश, प्रकाश | द्रढिमन् (पुं०) [दृढ+ इमनिच्] 1. कसाव दृढ़ता–बधान की किरण--भर्तृ० ११६१ 3. महिमा, गौरव मनु द्रागेव द्रढिमरमणीयं परिकरम् गंगा० ४७ 2. पुष्टि, ११८७।
समर्थन--उक्तस्यार्थस्य द्रहिम्ने-शंकर 3. प्रकथन, युतित (वि०) [द्युत्+क्त प्रकाशित, चमकदार, उजाला। पुष्टीकरण 4. गुरुता। द्युम्नम् [द्युम्ना +क] 1. आभा, यश, कान्ति 2. बल, द्रप्सम् ('द्रप्स्यम्') [दप्यन्ति अनेन दृप्+स, र आदेशः] सामर्थ्य, शक्ति 3. वैभव, सम्पत्ति 4. प्रोत्साहन ।
जमे हुए दूध का घोल, पतला दही । धुवन् (पुं०) [धु कनिन् सूर्य।
द्रम् (भ्वा० पर० .... द्रमति ) इधर-उधर जाना, दौड़ना, द्युतः, तम् [दिव+क्त, ऊम् | 1. खेलना, जुआ खेलना, | इधर उधर भागना--भट्टि० १४।७० ।
पासे से खेलना.... द्यूतं हि नाम पुरुषस्यासिंहासनं द्रम्मम् [ग्रीक शब्द से व्युत्पन्न] 'द्रम' नाम एक प्रकार का राज्यम् ---मच्छ० २, द्रव्यं लब्धं द्यूतेनैव, दारा मित्र सिक्का । द्यनेनैव, दत्तं भुक्तं द्यूतेनैव, सर्व नष्टं घुतेनैव-२।७, द्रव (वि.) [द्र+अप्] 1. (घोड़े की भांति) दौड़ने अप्राणिभिर्यत्कियते तल्लोके द्यूतमुच्यते--मनु० ९। वाला 2. चूने वाला, रिसने वाला, गीला, टपकने वाला २२३ 2. जीता हुआ पुरस्कार । सम-अधिकारिन् -आक्षिप्य काचिद् द्रवरागमेव (पादम्)-रघु० (पुं०) द्यूतगृह का स्वामी, जूआ खिलाने वाला, ....करः ७१७ 3. बहने वाला, पनीला 4. तरल (विप० कठिन) .. कृत् जुआ खेलने वाला, जुआरी--अयं द्यूतकर: ---कु० २।११ 5. पिघला हुआ, तरल बनाया हुआ, सभिोन खलीक्रियते--मच्छ० २,-कारः, कारक: -व: 1. जाना, इधर-उधर घूमना, गमन 2. गिरना, 1. जुआघर का रखने वाला 2. जुआरी,- क्रीड़ा पासों टपकना, रिसना, निःस्रवण 3. भगदड़, प्रत्यावर्तन से खेलना, जुआ खेलना,--पूर्णिमा,--पौणिमा आश्विन 4. खेल, विनोद, क्रीडा 5. तरलता, द्रवीकरण 6. तरल मास की पूणिमा, (इस समय जन साधारण लक्ष्मी पदार्थ, प्रवाही 7. रस, सत 8. काढ़ा 9. चाल, वेग देवी के सम्मान में खेलों का उत्सव मनाते हैं),--बीजम् (ब्रवीकृ-पिघलाना, तरल करना, द्रवीभू-पिघलना, कौड़ी (खेलने के काम आने वाली),-वृत्तिः 1. पेशे- पसीजना जैसे दया से---- द्रवीभवति मे मनः, महावी. वर जुआरी 2. जूआघर का रखवाला, सभा,-समाजः ७।३४, द्रवीभूतं प्रेम्णा तव हृदयमस्मिन्क्षण इव-उत्तर 1. जुआखाना 2. जुआरियों का समूह ।
३।१३, द्रवीभूतं मन्ये पतति जलरूपेण गगनम्--मृच्छ० छ (वा० पर० द्यायति) 1. घृणा करना, तिरस्कार युक्त ५।२५.) । सम-आधारः 1. छोटा बर्तन या पात्र व्यवहार करना 2. विरूप करना।
2. चुल्ल,—जः राब,- द्रव्यम् तरल पदार्थ,-रसा यो (स्त्री०) [कर्तृ० ए० व० द्यौः] [द्युत् + डो] स्वर्ग, 1. लाख 2. गोंद ।
वैकुण्ठ, आकाश -द्योभूमिरापो हृदयं यमश्च-पंच० द्रवन्ती [दु-+शत + डीप ] नदी, दरिया। १६१८२, श०२।१४, (द्वन्द्व समास में 'द्यो' को बदल द्रविडः (१०) 1. दक्षिण के घाट पर स्थित एक देश-अस्ति कर द्यावा' हो जाता है-उदा० द्यावापृथिव्यौ, द्यावा द्रविडेषु काञ्ची नाम नगरी-दश० १३० 2. उस देश का भूमी ( ---युलोक और भूलोक) । गम-भूमिः पक्षी, निवासी -जग्वविधार्मिकरयेच्छया निसृष्टः .. का. - सद् (धौषद्) देवता।
२२९ 3. एक नीच जाति--तु० मनु० १०१२२ ।
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