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दोहवः, --दम् [ दोहमाकर्ष ददाति-दाक ] गर्भवती। किस्मती,--याज्ञ० २२८३।
स्त्री की प्रबल रुचि - प्रजावती दोहदशंसिनी ते -रध्रु० दौत्रिम् | दुर्भात+अण् ] भाइयों का आपसी कलह । १४।४५, उपेत्य का दोहददुःखशीलतां यदेव वबे तद- दौर्मनस्यम् | दुर्मनस-व्यञ ] 1. बुरा स्वभाव, 2. मानपश्यदाहृतम--३१६, ७. 2. गर्भावस्था 3. कलो सिक पीड़ा, कष्ट, खेद, बिषाद 3. निराशा। आने के समय पौधों की इच्छा (उदाहरणतः अशोक दौर्मन्यम् [ दुर्मन्त्र+व्या ] अनिष्टकारी उपदेश, बुरी चाहता है कि तरुणियाँ उसे ठोकर मारें, बकुल सलाह-दौमन्त्र्यान्नृपतिविनश्यति-भत ०२।४२ । चाहता है कि उसके ऊपर मदिरा के कुल्ले किये जायें) ! दौर्वचस्यम् [ दुर्वचस्+यन दुर्वचन, अपभाषण । -महीरुहा दोहदसेकशक्तेराकालिकं कोरकमुगिरन्ति- दौर्ह दम्, दौहृवम् [ दुहृद+अण् ] 1. मन की दुरवस्था, नै० ३।२१, रघु० ८।६२, मेघ० ७८, दे० प्रियंग शत्रुता (इस अर्थ में 'दौहद' भी) 2. गर्भावस्था 4. उत्कट अभिलाप-प्रवर्तितमहासमरदोहदाः नरपतयः । —सुदक्षिणा दौर्ह दलक्षणं दधौ-रघु ० ३.१ 3. गर्भ-वेणी० ४ 5. सामान्यतः कामना, इच्छा। सम० वती की प्रबल लालसा 4. इच्छा। ----लक्षणम् 1. भ्रूण, गर्भ (दौह दलक्षण) 2. जीवन दौ« दयम् [ दुई दय--अण् ] मन को दुरवस्था, शत्रुता । की एक अवस्था से दूसरी में प्रवेश।
दौल्मिः [ दुल्म-इञ ] इन्द्र का विशेषण । दोहदवती [ दोहद+मतुप-डीप , वत्वम् ] गर्भवती स्त्री दौवारिकः (स्त्री०--को) [ द्वार+ठक, औ आगम] जिसे किसी वस्तु की इच्छा हो।
द्वारपाल, पहरेदार---रघु ० ६१५९।। दोहन (वि०) [दुह.+ल्युट्] 1. दोहने वाला 2. अभीष्ट दौश्चर्यम् [ दुश्चर+प्पा ] 1. दुराचरण, दुष्टता,
पदार्थों को देनेवाला, --नम् 1. दोहना2. दूध की | दुष्कृत्य । बाल्टी, नी दूध की बाल्टी।
दौष्कुल (वि०) (स्त्री०---ली), दौष्कुलेय (वि.) (स्त्री० दोहल: [ दोह+ला+क] दे० दोहद, वथा वहसि दोह- --यी) [ दुष्कुलं अस्य ब० स०, स्वार्थे अण् , दुष्टं __लम् (अने० पा०) ललितकामिसाधारणम्-मालवि० कुलम् प्रा० स०-दुष्कुल-Fठक ] नीच कुल में ३।१६।
उत्पन्न, नीच घराने में उत्पन्न । दोहली [ दोहल |-डी ] अशोकवृक्ष ।
दौष्ठवम् [ दुः+स्था-कु-दुष्ट तस्य भावः -- अण् ] दोह्य (वि०) [ दुह +ण्यत् ] दुहने योग्य, दुहे जाने | बुराई, दुष्टता। योग्य,ह्यम् दूध ।
दौष्यं (ज्म) न्तिः [ दुष्य (प्म) न्त-+इच ] दुष्यंत का दौः शील्यम् [ दुःशील+या ] बुरा स्वभाव, दुष्टता, पुत्र---दौष्यन्तिमप्रतिरथं तनयं निवेश्य-श० ४।२० । दुर्भावना।
दौहित्रः [ दुहित+अञ ] दोहता, पुत्री का पुत्र----मनु० दौः साधिक: [ दुःसाथ +ठक 1 1. द्वारपाल, डचोढीवान ३।१४८ ९।१३१,...त्रम् तिल । 2. गाँव का अधीक्षक ।
दौहित्रायणः [ दौहित्र+फक ] दोहते का पुत्र।। दौक (ग) लः | दुकल+अण | रेशमी आवरण से ढका दौहित्री [ दौहित्र+ङीप् ] दोहती, पुत्री की पुत्री । हुआ रथ, --लम् बढ़िया रेशमी वस्त्र ।
दौहृदिनी [ दौहृद् + इनि+डीप् ] गर्भवती स्त्री। दौत्यम् [ दूत-Fध्यञ् ] संदेश, दूत का कार्य । | यु (अदा० पर०-द्यौति) अग्रसर होना, मुकाबला करना दौरात्म्यम् [ दुरात्मन्--ष्यञ् ] 1. दुष्टता, दुष्ट स्वभाव, हमला करना, आक्रमण करना--भटि० ६।११८,
दुर्भावना रघु० १५१७२ 2. दुर्जनता--गुणानामेव १४।१०४।
दौरात्म्याद् धुरि धुर्यो नियुज्यते -काव्य०१०।। यु (नपुं०) [ दिव+उन् , कित् ] 1. दिन 2. आकाश दौर्गत्यम् | दुर्गत+ध्यन ] 1. गरीबी, कमी, अभाव- 3. उजाला 4. स्वर्ग (-पुं०) आग ( पद अर्थात् पंच० २०९२ 2. दरिद्रता, दुःख ।।
व्यंजनादि विभक्तियों के आने पर 'दिव' (स्त्री०) के दौध्यिम् [ दुर्गन्ध+व्या ] बुरी या अरुचिकर गंध। । स्थान में 'धु' आदेश होता है, या समासों में द्यु का दौर्जन्यम् [ दुर्जन-ध्या | दुष्टता, दुर्भावना ।।
प्रयोग होता है)। सम०-- गः पक्षी, ---चरः दोर्जीवित्यम् | दुर्जीवित-या ] कष्टमय जीवन, विपद- 1. ग्रह, 2. पक्षी, जयः स्वर्ग प्राप्त करना, -धुनि: ग्रस्त जीवन ।
(स्त्री०), -नदी स्वर्गगा, --निवासः देवता, सुरं दौर्बल्यम् [ दुर्बल+ध्या ] नपुंसकता, दुर्बलता, कमजोरी, शोकाग्निनाऽगात् धुनिवासभूयम्-भट्टि० २१, निर्बलता-मनु०८1१७१, भग०२३।
-पतिः 1. सूर्य 2. इन्द्र का विशेषण,-मणिः सूर्य, दौर्भागिनेयः [ दुर्भगा+ढक , इनङ ] अभागी स्त्री (जिसे --लोकः स्वर्ग, --षद् , --सद् (पुं०) 1. सुर, उसका पति न चाहे) का पुत्र ।
देवता,-शि० ११४३ 2. ग्रह,--सरित् (स्त्री०) दौर्भाग्यम् [ दुर्भग-प्यन उभयपदवृद्धिः ] दुर्भाग्य, वद- गंगा।
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