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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ४६६ ) अवर्णनीय 2. वह बात जिसका बतलाना उचित न हो | दुरोवरः [दुष्टमासमन्तात् उदरं यस्य ब० स०] 1. जूआरी, 3. अनुचित बोलने वाला, गाली देने वाला, (-चम्) द्यूतकार 2. पासा, जूआ 3. बाजी, दाँव,--रम् जूआ गाली, फटकार, दुर्वचन,--वचस(नपुं०) गाली, झिड़क, खेलना, पासे से खेलना--दुरोदरच्छाजितां समीहते --वर्ण (वि०) बुरे रंग का, (-र्णम) चाँदी,-वसतिः नयेन जेतुं जगतीं सुयोधनः-कि० १७, रघु० ९/७ । (स्त्री०) पीडाजनक निवासस्थान-रघु० ८।९४,--वह दुल (चुरा० उभ०-दोलयति-ते, दोलित) झूलना इधर(वि०) भारी, जिसे ढोना कठिन हो--उत्तर० २११०, उधर हिलना-जुलना, इधर उधर घुमाना, झुलाना कु. १।१०,-वाच्य (वि०) 1. जिसका कहना या --कटिं चेहोलयेदाशु-रति०, दोलयन द्वाविवाक्षौ-भर्त. उच्चारण करना कठिन हो 2. कुभाषी, बदज़बान ३१३९ 2. हिलाकर ऊपर को करना, ऊपर फेंकना 3. कठोर, क्रूर, (च्यम्) 1. झिड़की, दुर्वचन 2. बद- -दोलयति धूलि वायु:---शब्द० । नामी, लोकापवाद,- बादः अपवाद, अपयश, कुख्याति, | बुलिः (स्त्री०) [दुल+कि छोटा कछुवा, या कछुवी। --वार,-वारण (वि०) जिसका मुकाबला न किया दुष् (दिवा० पर०-दुष्यति, दुष्ट) 1. बुरा या भ्रष्ट हो जा सके, असह्य-रघु० १४१८७, कु०२।२१, वासना जाना, दूषित होना, घाटा उठाना 2. मलिन होना, 1. ओछी कामना, बुरी इच्छा-भामि० १८६ असती होना (स्त्री का), कलंकित होना, अपवित्र होना, 2. कपोलकल्पना,-वासस् (वि.) 1. बुरा वस्त्र विगड़ना, पंच० ११६६, मनु० ७५२४, ९।३१८, १०॥ धारण किये हुए 2. नंगा (0) 3. एक बड़ा क्रोधी १०२ 3. पाप करना, गलती करना, गलती होना, ऋषि, अत्रि और अनसूया का पुत्र इसे प्रसन्न करना । 4. असती होना, अभक्त या श्रद्धाहीन होना--प्रेरक अत्यन्त कठिन था, बहुत से स्त्री पुरुयों को उसने --दूषयति (परन्तु-दूषयति-दोषयति यदि अर्थ है अपमान तथा मुसीबत सहन करने के लिए शाप दिया। 'दूषित करना, भ्रष्ट करना) 1. भ्रष्ट करना, बिगाजमदग्नि के क्रोध की भाँति, इसका क्रोध भी प्रायः ड़ना, नष्ट कराना, क्षतिग्रस्त करना, विनष्ट करना, एक लोकोक्ति बन गया,-विगाह --विगाह्य (वि०) दूषित करना, धब्बा लगाना, कलंकित करना, विषाक्त जिसमें प्रवेश करना कठिन, हो, जिसका अवगाहन करना, अपवित्र करना--(शा० तथा आलं० से)-न मुश्किल हो, अगाध, ..विचिन्त्य (वि०) अचिन्तनीय, भीतो मरणादस्मि केवलं दूषितं यशः----मच्छ० १०॥ अतयं,-विदग्ध अकुशल, नौसिखुवा, बेवकूफ़, मन्द- २७, पुरा दूषयति स्थलीम्--रघु० १२१३०, ८१६८, बुद्धि, मूर्ख 2. बिल्कुल अनाड़ी 3. थोड़े से ज्ञान से ही १०१४७, १२१४, मनु० ५।१, १०४, ७.१९५, याज्ञ० फूला हुआ, गर्वित, झूठा घमण्ड करने वाला-वृथाशस्त्र १११८९, अमरु ७० ---न त्वेनं दूषयिष्यामि शस्त्रग्रहग्रहणदुर्विदग्ध-वेणी० ३, ज्ञानलवदुर्विदग्धं ब्रह्मापि, महाव्रतम् - महावी० ३।२८,--दूषित नहीं करूँगा, नरं न रंजयति --भर्त० २१३,-विध (वि०) 1. कमीना, उल्लंघन नहीं करूंगा, तोडूंगा नहीं आदि 2. चरित्र अधम, नीच 2. दुष्ट, दुश्चरित्र 3. गरीब, दरिद्र भ्रष्ट करना, उत्साह भंग करना 3. उल्लंघन करना, ---विदधाते रुचिगर्वदुर्विध-० २।३३ 4. मन्दबुद्धि, अवज्ञा करना--मनु० ८।३६४, ३६८ 4. निराकरण मूर्ख, बेवकूफ़,--विनयः औद्धत्य, उद्दण्डता,--विनीत करना, हटा देना, रद्द कर देना 5. दोष लगाना, निन्दा (वि०) 1. (क) बुरी तरह से शिक्षित, अशिष्ट, करना, दोष निकालना, किसी के विषय में बुरा कहना असभ्य, दुष्ट-शासितरि दुविनीतानाम्-श० ११२५, दोषारोपण करना-दूषितः सर्वलोकेषु निषादत्वं गमि(ख) अक्खड़, नटखट, उपद्रवी 2. हठीला, दुराग्रही प्यति-रामा०, याज्ञ. ११६६ 6. मिलावट करना -विपाकः 1. दुष्परिणाम, बुरा नतीजा-उत्तर० 7. मिथ्या या बनावटी करना 8. निराकरण करना, ११४०, महावी० ६७ 2. पूर्व जन्म के या इस जन्म खण्डन करना, प्र--, 1. भ्रष्ट होना, बिगड़ना, के किये हुए कर्मों का बुरा परिणाम,-विलसितम् विषाक्त होना-याज्ञ० ३.१९ 2. पाप करना, गलती स्वेच्छाचार, अक्खड़पन, नटखटपना,--वृत्त (वि०) करना, श्रद्धाहीन या असती (अभक्त) होना-भग० 1. दुश्चरित्र, दुष्ट, असभ्य 2. बदमास, (तम्) दुरा- ११४०, मनु० ९।७४,(प्रेर०)1. बिगाड़ना, भ्रष्ट करना, चरण, अशिष्ट व्यवहार,-वृष्टिः (स्त्री०) थोड़ी | गदला करना, धब्बे लगाना 2. दोष लगाना, निन्दा बारिश, अनावृष्टि, व्यवहारः गलत निर्णय (विधि में) करना, दोष निकालना सम्... दूषित या कलंकित होना ---ात (वि०) नियमों का पालन न करने वाला, जो | --(प्रेर०) 1. दूषित करना भ्रष्ट करना, गदला आज्ञाकारी न हो,- हुतम् वह यज्ञ जो बुरी रीति से | करना, धब्बे लगाना 2. उल्लंघन करना 3. दोषारोपण किया गया है, हृद् (वि०) दुष्ट हृदय का, तुच्छ | करना, निन्दा करना, दोष निकालना। विचारों वाला, शत्रु (पुं०) वैरी, हृदय (वि.) | तुष्ट (भू० क० कृ०) [दूषु + क्त] 1. बिगड़ा हुआ, खराब दुरात्मा, दिल का खोटा, दुष्ट । हुआ, क्षतिग्रस्त, बाँद 2. दूषित, बब्चे लगा हुआ, For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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