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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ४६७ ) उल्लंघन किया हुआ, कलुषित 3. मलिन, भ्रष्ट । 4. पापासक्त, बदमाश-दुष्टवषः 5. दोषी, अपराधी 6. नीच, अधम 7. दोषयुक्त, सदोष जैसा कि तर्क० में हेतु 8. पीड़ाकर, निकम्मा। सम० ----आत्मन्, -आशय (वि०) खोटे मन वाला, दुष्ट हृदय वाला, -गजः बदमाश हाथी,-चेतस्,-धी,--बुद्धि (वि०) खोटे मन का, दुर्भाक्नापूर्ण, दुःशील,--वृषः मजबूत परन्तु अड़ियल बैल, (जो गाड़ी न खींचे) बैल। दुष्टिः (स्त्री०) [दुष+क्तिन] भ्रष्टाचार, खोट । दुष्टु (अव्य०) [दुर+स्था+कि] 1. खराब, बुरा 2. अनु चित रूप से, अशुद्ध रूप से, गलती से । वुष्यन्तः (पु.) चन्द्रवंश में उत्पन्न एक राजा, पुरु की सन्तान, शकुन्तला का पति, भरत का पिता (जंगल में शिकार खेलता हुआ, एक बार दुष्यन्त, हरिण का पीछा करता हुआ कण्व के आश्रम की ओर निकल गया। वहाँ कण्व की गोद ली हुई पुत्री शकुन्तला ने उसका स्वागत-सत्कार किया। शकुन्तला के अलौकिक सौन्दर्य से राजा दुष्यन्त उस पर मोहित हो गया—उसने उसको अपनी रानी बनाने के लिए राजी कर लिया और फलतः गान्धर्व विवाह कर लिया। कुछ समय शकुन्तला के साथ बिता कर राजा अपनी राजधानी को लौटा। कुछ महीनों के पश्चात् शकुन्तला ने एक पुत्र को जन्म दिया। कण्व ने यह उचित समझा कि शकुन्तला को उसके पति के घर भेज दिया जाय । जब शकुन्तला दुष्यन्त के पास गई और उसके सामने खड़ी हुई तो दुष्यन्त ने लोकनिन्दा के डर से कहा कि विवाह करने की बात तो दूर रही मैंने तो तुम्हें कभी देखा तक नहीं, परन्तु उसी समय उसे स्वर्गीय । वाणी ने बतलाया कि शकुन्तला उसकी वैध पत्नी है। फलतः उसने शकुन्तला को पुत्र समेत स्वीकार कर उसे अपनी पटरानी बनाया। वह राजा रानी वृद्धावस्था तक सुखपूर्वक रहे, और फिर अपने पुत्र भरत को राज्य देकर जंगल की ओर चल दिये। दूप्यन्त और शकुन्तला का उपयुक्त वर्णन महाभारत में दिया हुआ है, कालिदास द्वारा वणित कहानी कई महत्त्व पूर्ण बातों में इससे भिन्न है-दे० 'शकुन्तला')। दुस [ दु+सुक ] 'बुरा, खराब, दुष्ट, घटिया, कठिन या । मुश्किल आदि अर्थों को प्रकट करने के लिए मंशा शब्दों से पूर्व (कभी २ धातुओं के पूर्व भी) लगाया जाने वाला उपसर्ग। (विशे० स्वर और व्यंजनों से पूर्व दुस् का स् बदल कर र हो जाता है, ऊपम वर्गों के पूर्व विसर्ग, च और छ से पूर्व श तथा क और प् से पूर्व षु हो जाता है)। सम-कर (वि.) 1. दुष्ट, बुरी तरह से करने वाला 2. करने में कठिन, कठोर । या मुश्किल वक्तुं सुकरं कर्तु दुष्करम्—करने की अपेक्षा कहना आसान है,---अमरु ४१, मृच्छ० ३।१, मनु०७।५५, (--रम) 1. कठिन या पीड़ाकर कार्य, कठिनाई 2. पर्यावरण, अन्तरिक्ष,--कर्मन (पं०) कोई भी बुरा काम, पाप, जुर्म,-- कालः 1. बुरा समय -मुद्रा० ७५ 2. प्रलयकाल 3. शिव का विशेषण, -कुलम् बुरा या नीच घराना---(आददीत) स्त्रीरत्न दुष्कुलादपि ---मनु० २।२३८, कुलीन (वि०) नीच जाति में उत्पन्न,-कृत् (पुं०) दुष्टपुरुप, कृतम्,-कृतिः (स्त्री०) पाप, दुष्कृत्य-उभे सुकृतदुप्कृते ---भग० २। ५०,-क्रम (वि०) ऋमहीन, अस्तव्यस्त, अव्यवस्थित, -चर (वि०) 1. जिसका पूरा करना कठिन हो, मुश्किल --रघु० ८७९, कु०७।६५ 2. अगम्य, दुर्गम 3. बुरा करने वाला, दुर्व्यवहार करने वाला, (-रः) 1. रीछ 2. द्विकोपीय शंख या सीपी, चारिन् (वि०) कठोर तपस्या करने वाला,-चरित (वि०) दुष्ट, दुराचरण करने वाला, परित्यक्त (तम्) दुराचरण, बुरा चालचलन, चिकित्स्य (वि०) जिसका इलाज करना कठिन हो, असाध्य,--च्यवनः इन्द्र का विशेषण, ... च्यायः शिव का विशेषण,--तर (वि०) (दुष्टर या दुस्तर) 1. जिसका पार करना कठिन हो-रघु० ११२, मनु० ४।२४२, पंच० १११११ 2. जिसका दमन करना कठिन हो, अपराजेय, अजेय,---तर्कः मिथ्या तर्कना. -पच (दुष्पच) (वि.) जिसका हजम होना कठिन हो,-पतनम् 1. बुरी तरह से गिरना 2. दुर्वचन, अपशब्द,-परिग्रह (वि.) जिसका पकड़ना, ग्रहण करना या लेना कठिन हो, (-हः) बुरी पत्नी,—पूर (वि.) जिसका पूरा करना, या जिसको सन्तुष्ट करना कठिन हो,-प्रकाश (वि०) अप्रसिद्ध, अन्धकारमय, मिल, ..प्रकृति (वि.) बुरे स्वभाव का, नीच प्रकृति का, ....प्रजस् (वि.) बुरी सन्तान वाला,--प्रज्ञ (दुष्प्रज्ञ) (वि०) कमजोर मन का, दुर्बुद्धि,---प्रधर्ष,-प्रधृष्य (वि.) जिस पर प्रहार न किया जा सके, दे० 'दुर्धर्ष' -- रघु०२।२७,----प्रवादः बदनामी, कलंक, अपकीर्ति, --प्रवृत्तिः (स्त्री०) बुरा समाचार, कुख्याति -रघु० १२१५१,–प्रसह (दुष्प्रसह) (वि.) 1. जिसका प्रतिरोध न किया जा सके, भयानक 2. असह्य-मालवि. ५।१०,--प्राप,—प्रापण (वि०) अप्राप्य, दुष्प्राप्य ----- रघु० ११४८, भग०६।३६,-कुनम् बुरा सगुन, अपशकुन,-शला धृतराष्ट्र की इकलौती पुत्री जो जयद्रथ को ब्याही गई थी,---शासन (वि०) जिसका प्रबन्ध करना या शासन करना कठिन हो, अविनेय, (नः) धृतराष्ट्र के १०० पुत्रों में से एक (यह बहादुर योद्धा था, परन्तु दुष्ट और दुर्दान्त । जब युधिष्ठिर द्रौपदी को दाँव पर लगा कर हार गया तो दुःशासन For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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