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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हटाना या दूर करना कठिन हो, जिसका मुकाबला । करना कठिन हो, अजेय,--नीतम् कदाचरण, दुर्नीति, दुर्व्यवहार,--नीतिः (स्त्री०) बुरा प्रशासन-भामि० ४१३६,---बल (वि.) 1. कमजोर, बलहीन 2. क्षीणकाय, शक्तिहीन-उत्तर० १२४ 3. स्वल्प, थोड़ा, कम-रघ० ५।१२,--बाल (वि.) गंजे सिर वाला, ----बुद्धि (वि०) 1. बेवकूफ़, मूर्ख, बुद्ध 2. कुमार्गी, दुष्ट मन का, दुष्ट-भग० १२३,-बोध (वि०) जो शीघ्र समझ में न आये, जिसकी तह तक न पहँचा जाय, दुर्गाह्य-निसर्गदुर्बोधमबोधविक्लवाः क्व भूपतीनां चरितं क्व जन्तवः--कि० ११६,-भग (वि०) भाग्यहीन अभागा,-भगा 1. वह पत्नी जिसे उसका पति न चाहता हो 2. बुरे स्वभाव की स्त्री, कलहप्रिय स्त्री,-भर (वि०) जिसे निभाना कठिन हो, बोझा, भार,--भाग्य (वि.) भाग्यहीन, अभागा (---ग्यम्) बुरी किस्मत,--भक्षम् 1. खाद्य सामग्री की कमी, अभाव, अकाल-यन० २।१४७, मनु० ८।२२, हि. ११७३ 2. कमी,-भत्यः बुरा सेवक,-भ्रातु (पुं०) बुरा भाई,–मति (वि.) 1. मूर्ख, दुर्बुद्धि, बेवकूफ़, अज्ञानी, 2. दुष्ट, खोटे हृदय का--मनु० ११॥३०, -मद (वि०) शराबखोर, खूखार या हिंस्र, मदोन्मत्त, दीवाना,-मनस् (वि.) खिन्नमनस्क, हतोत्साह, दुःखी उदास,--मनुष्यः दुर्जन, दुष्ट पुरुष,-मन्त्रः,-मन्त्रितम् बुरी नसीहत, बुरा परामर्श,-मरणम् बुरी मौत, अप्राकृतिक मृत्यु,-मर्याद (वि०) निर्लज्ज, अशिष्ट, -मल्लिका,---मल्ली एक प्रकार का उपरूपक, सुखान्त प्रहसन-सा० द० ५५३,--मित्रः 1. बुरा दोस्त 2. शत्रु,-मुख (वि.) बुरे चेहरे वाला, विकराल, बदसूरत-भर्तृ० १।९० 2. कटुभाषी, अश्लीलभाषी बदज़बान -भर्तृ० २।६९,-मूल्य (वि.) बहुत अधिक मूल्य का महंगा,-मेघस् (वि०) मूर्ख, बेवकूफ़, मन्दबुद्धि, बुद्धू (पुं०) मूढमति, मन्दबुद्धि मनुष्य, बुद्ध -ग्रन्थानधीत्य व्याकर्तुमिति दुर्मेचसोऽप्यलम् --शि. २।२६,-योध-योधन (वि.) अजेय, जो जीता न जा सके, (-नः) धृतराष्ट्र और गान्धारी का ज्येष्ठ पुत्र (दुर्योधन बचपन से ही अपने चचेरे भाई, पाण्डवों से घणा करता था, विशेष कर भीम से। इसलिए पाण्डवों का विनाश करने के लिए उसने यथाशक्ति प्रयत्न किये। जब उसके पिता धतराष्ट्र ने यधिष्ठिर को युवराज बनाने का प्रस्ताव रक्खा, तो दुर्योधन को अच्छा न लगा, क्योंकि धृतराष्ट्र ही उस समय राजा थे, इसलिए दुर्योधन ने अपने अन्धे पिता को इस बात पर राजी कर लिया कि पाण्डवों का निर्वासन कर दिया जाय। वारणावत' उनका भावी निवासस्थल चुना गया---और उनके रहने के लिए एक विशाल | महल बनवाने के बहाने दुर्योधन ने लाख, बेर्जा आदि दहनशील सामग्री से एक भवन इस आशा से बनवाया कि पाण्डव सब उसमें जल कर मर जायेंगे। परन्तु पाण्डवों को दुर्योधन की इस चाल का पता लग गया था, अतः वह सुरक्षित उस भवन से निकल भागे। फिर पाण्डव इन्द्रप्रस्थ में रहने लगे- यहाँ रहते हुए उन्होंने बड़े ठाट बाट के साथ एक राजसूय यज्ञ का आयोजन किया। इस घटना ने दुर्योधन की ईर्ष्या और क्रोधाग्नि को और भी अधिक भड़का दियाक्योंकि दुर्योधन का पाण्डवों को वारणावत में जला कर मारने का षड़यन्त्र पहले ही निष्फल हो चुका था। फलतः दुर्योधन ने अपने पिता को उकसाया कि पांडवों को हस्तिनापुर में आकर जआ खेलने के लिए निमन्त्रण दिया जाय क्योंकि युधिष्ठिर विशेष रूप से जए का शौक़ीन था। इस जूए के खेल में दुर्योधन को अपने मामा शकुनि की सहायता प्राप्त थी। युधिष्ठिर ने जो कुछ भी दाँव पर लगाया-वही हार गया, यहाँ तक कि इस हार से अन्धे होकर उसने अपने आप को, अपने भाइयों को और अन्त में द्रौपदी को भी दाँगपर लगा दिया। और इस प्रकार जुए में सब कुछ हार जाने पर, शर्त के अनुसार यधिष्ठिर को १२ वर्ष का बनवास तथा एक वर्ष का अज्ञातवास बिताने के लिए अपनी पत्नी तथा भाइयों सहित जंगल की ओर जाना पड़ा। परन्तु यह दीर्घकाल भी समाप्त हो गया। बनवास से आकर पाण्डव और कौरवों ने 'भारती' नाम के महायुद्ध की तैयारी की। यह युद्ध १८ दिन रहा और सारे कौरव अपने अधिकांश बन्धुबान्धवों सहित इसी युद्ध में मारे गये। युद्ध के अन्तिम दिन भीम का दुर्योधन से द्वन्द्व युद्ध हुआ और भीम ने अपनी गदा से दुर्योधन को जंघा तोड़ कर उसे मौत के घाट पहुँचाया),-योनि (वि.) नीच जाति में उत्पन्न, अधम कुल का,-लक्ष्य (वि०) जो कठिनाई से देखा जा सके, जो दिखाई न दे, लभ (वि.) 1. जिसका प्राप्त करना कठिन हो, दुष्प्राप्य, दुस्साध्य-रघु० १॥ ६७, १७७०, कु० ४१४०, ५।४६,६१ 2. जिसका ढूंढना कठिन हो, जिसका मिलना दुष्कर हो, विरल -- शुद्धान्तदुर्लभम्-श० १।१६ 3. सर्वोत्तम, श्रेष्ठ, प्रमुख 4. प्रिय, प्यारा 5. मल्यवान् - ललित (वि.) लाड प्यार से बिगड़ा हुआ, अत्यधिक लाड प्यार में पला हुआ, जिसे प्रसन्न करना कठिन है, हा मबङ्कदुर्ललित-वेणी०~-४, विक्रम २।८, मा० ९ 2. (अतः) स्वेच्छाचारी, नटखट, अशिष्ट, उच्छंखल ---स्पृह्यामि खलु दुर्ललितायास्मै-श०७, (-तम्) स्वेच्छाचारिता, अक्खड़पन, लेख्यम् जाली दस्तावेज, -वच (वि.) 1. जिसका वर्णन करना कठिन हो, For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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