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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org - ( ४४७ ) कारों में से एक, अवधान ( वि०) सावधान, आत्रेयः एक ऋषि अत्रि और अनसूया का पुत्र, जो ब्रह्मा विष्णु और महेश का अवतार माना जाता है, आवर ( वि० ) 1. आदर प्रदर्शित करने वाला, सम्मानपूर्ण 2. सन्मान प्राप्त शुल्का दुलहिन जिसको दहेज दिया गया है 1 - - - हस्त (वि०) जिसने दूसरे की सहायता के लिए हाथ बढ़ाया है, हाथ का सहारा पाये हुए शम्भुना दत्तहस्ता - मेघ० ६०, शम्भु की भुजा पर टेक लगाये हुए-स कामरूपेश्वरदत्तहस्तः- रघु० ७ १७, (आलं) साहाय्यवान्, समर्थित, साहाय्यित, सहायता-प्राप्त-- देवेनेत्थं दत्तहस्तावलम्बे - रत्ना० ११८, वात्या खेदं कृशाङ्ग्याः सुचिरमवयवैर्दत्तहस्ता करोति - वेणी० २।२१ । दत्तकः [ दत्त + कन् ] गोद लिया हुआ पुत्र याज्ञ० २। १३०, दे० 'दत्त' ऊपर । दद् (स्वा० आ० ददते) देना, प्रदान करना । बद ( वि० ) [ दा० + श ] देने वाला, प्रदान करने वाला । वदनम् [ दद् + ल्युट ] उपहार, दान । दष् (भ्वा० आ० दधते ) 1. पकड़ना 2. धारण करना, पास रखना 3. उपहार देना । दधि ( नपुं० ) [ दध् + इन्] 1 जमा हुआ दूध, दही, क्षीरं भावेन परिणमते - शारी० दध्योदनः आदि 2. तारपीन 3. वस्त्र । सम० अन्नम्, ओवनम् दही मिला हुआ भात, - - ' उत्तरम्, उत्तरकम्, गम्- दही की मलाई, तोड़, उब:, - उदकः जमे हुए दूध का सागर, - कूचिका जमे हुए और उबले हुए दूध का मिश्रण, -- चारः रई -जम् ताजा मक्खन, - फल: कैथ, - मण्डः, वारि (नपुं०) दही का तोड़-मन्थनम् दही का मथना, -- शोणः बन्दर, सक्तु ( पुं० ब० व० ) दही मिला हुआ सत्तू, सारः, स्नेहः ताजा मक्खन, स्वेदः after दही । [ दधि + स्था + क पृषो० ] कैथ, कपित्थ । atta: ( jo) me faख्यात ऋषि, जिसने अपने शरीर की देवताओं को दे दी थीं और स्वयं मरने के लिए उद्यत हो गया था। इन हड्डियों से देवताओं के शिल्पी ने एक वज्र बनाया और इन्द्र ने इसी वस्त्र के द्वारा वृत्र तथा अन्यान्य राक्षसों को परास्त किया । सम० अस्थि ( नपुं० ) 1. इन्द्र का वज्र 2. हीरा । नुः (स्त्री०) दक्ष की एक कन्या जो कश्यप को व्याही गई थी। यही दानवों की माता थी। सम० – जः, पुत्रः, - संभव:, सूनुः, एक राक्षस, अरिः - द्विष् (पुं०) देवता । दन्तः [ दम् + तन् ] 1. दांत, हाथी का दांत, विषदंत ( साँप या अन्य विषैले जन्तुओं का ), वदसि यदि किंचिदपि दन्तरुचिकौमुदी हरति दरतिमिरमतिघोरम् Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - गीत० १०, सर्पदंत, वराह आदि 2. हाथी का दांत, गजदंत पांचालिका मा० १०१५ 3. बाण की नोक 4. पर्वत की चोटी 5. लताकुंज, पर्णशाला । सम - अग्रम् दांत की नोक, अन्तरं दांतों के बीच का स्थान, -- उब: दातों का निकलना, -उलूखलिकः खलिन् (पुं०) जो अपने दांतों को ऊखल की भांति प्रयुक्त करते हैं, (खाने वाले धान्य को अपने दांतों के बीच में रखकर पीसने वाले), एक प्रकार के साधु संन्यासी, तु० मनु० ६ । १७, कर्षणः नींबू का वृक्ष - कार: हाथीदांत का काम करने वाला कलाकार, काष्ठम् दतौन-कूरः लड़ाई, ग्राहिन् (वि०) दाँतों को क्षति पहुँचाने वाला, दाँतों को खराब करने वाला, -घर्षः दाँतों का किचकिचाना, दाँत पोसना, चाल: दाँतों का ढीलापन, - छदः होठ, -- वारंवारमुदारशीत्कृतकृतो दन्तच्छदान् पीडयन् - भर्तृ० १४३, ऋतु० ४११२, जात (वि०) ( वह बच्चा ) जिसके दाँत निकल आये हों, दाँत निकलने का समय, जाहम् दाँत की जड़, धावनम् 1. दाँतों को धोना, साफ करना 2. दतौन ( - नः ) खैर का वृक्ष, मौलसिरी का पेड़, पत्रम् एक प्रकार का कर्णाभूषण-रघु० ६।१७, कु० ७/२३, ( प्रायः कादम्बरी में प्रयुक्त), पत्रकम् 1. कान का आभूषण 2. कुन्द फूल, पत्रिका 1. कान का आभूषण शि० १६० 2. कुन्द, पवनम् 1. दतौन 2. दाँतों का धोना साफ करना, पास: दाँतों का गिरना, पाली 1. दाँत की नोक 2. मसूड़ा, पुष्पम् 1. कुन्द फूल 2. कतक फल, निर्मली, - प्रक्षालनम् दाँतों का धोना, - भाग: हाथी के सिर का अगला भाग (जहाँ दांत बाहर निकले होते हैं), मलम् दाँतों का मैल, मांस, -- मूलम् - वल्कम् मसूड़ा, मूलीया: ( ब० व०) दन्त्य वर्ण अर्थात् लृ त् थ् द् ध् न् ल् और स्, -- रोगः दाँत की पीड़ा, वस्त्रम् - वासः (नपुं०) होठ - तुलां यदारोहति दन्तवाससा - कु० ५/३४, शि० १० ८६, वीज, - बीज:, - - वीजक:, - बीजक: अनार का पेड़, वीणा 1. एक प्रकार का बाजा, सारंगी 2 दाँत कटकटाना -- दन्तवीणां वादयन् - पंच० १ - बंदर्भ: बाह्यक्षति के द्वारा दाँतों का टूटना, व्यसनम् दाँत का टूटना - शठ (वि०) खट्टा, चरपरा ( - ठः) नींबू का पेड़, -शर्करा दाँतों के ऊपर मेल की पपड़ी, शाण: दाँतों पर लगाने का दन्तमंजन, दन्तशोधन मिस्सी, शूल, लम् दाँत की पीड़ा, – शोधनि: ( स्त्री०) दांत कुरेलनी,- शोफ: मसूड़ों की सूजन, संघर्ष: दाँतों का रगड़ना, - हर्षः दाँतों में (ठंडा पानी) लगना, – हर्षक: नींबू का पेड़ । वन्तकः [ दन्त + कन् ] 1. चोटी, शिखर 2. खूंटी, पलहण्डी । वन्तावन्ति ( अव्य० ) [ दन्तैश्च दन्तश्च प्रहृत्य प्रवृत्तं युद्धम् For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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