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( ४३७ )
तेजित (वि० ) [ तिज् + णिच् + क्त ] 1. पनाया हुआ, तेज किया हुआ 2. उत्तेजित, उद्दीप्त, प्रणोदित । तेजोमय (व० ) [ तेजस् + मयट् ] 1. यशस्वी 2. उज्ज्वल, चमकदार प्रकाशमान - भग० ११।४७ । तेमः [ तिम् + घञ ] गीला या तर होना, आर्द्रता । तेमनम् [ तिम् + ल्युट् ] 1. गीला करना, तर करना 2. आर्द्रता 3. चटनी, मिर्च मसाला (जो भोजन को रुचिकर बनाये) ।
तेवनम् [तेव् + ल्युट् ] 1. खेळ, मनोरंजन, आमोद-प्रमोद 2. विहारभूमि, क्रीडास्थल ।
तेजस ( वि० ) ( स्त्री० -सी) [ तेजस् अण् ] 1. उज्ज्वल, शानदार, प्रकाशमान 2. प्रकाशयुक्त - तेजसस्य धनुषः प्रवृत्तये रघु० ११०४३ 3. धातुमय 4. जोशीला 5. जोजस्वी, ऊर्जस्वी 6. शक्तिशाली, प्रबल, सम् घी । सम० - आवर्तनी कुठाली । तैतिक्ष ( व्या० ) ( स्त्री० -क्षी) [ तितिक्षा + ण ] सहनशील,
तंतिरः [ तैत्तिर पृषो०] तीतर | तैतिल : ( पु० ) 1. गैंडा 2. देवता । तिरः [तित्तिर+अण्] 1. तीतर 2. गैंडा, रम् तीतरों का समूह ।
तैत्तिरीय (पुं० ब० व० ) [ तित्तिरिणा प्रोक्तम् अधीयते - तित्तिरि + छ ] यजुर्वेद की तैत्तिरीय शाखा के अनुयायी,
- यः यजुर्वेद की तैत्तिरीय शाखा ( कृष्ण यजुर्वेद) । तैमिर: [ तिमिर + अण् ] आँखों का एक रोग-धुंधलापन । fee (वि० ) [ तीर्थ + ठञ्ञ] पवित्र, पावन, कः 1. एक
संन्यासी 2. किसी नवीन धार्मिक या दार्शनिक सिद्धांत का प्रतिपादन करने वाला, कम् पवित्र जल (जैसा कि किसी पुण्यतीर्थ से लाया हुआ हो ) ।
तैलम् [ तिलस्य तत्सदृशस्य वा विकारः अण् ] 1. तेल - लभेत सिकतासु तैलमपि यतः पीडयन् भर्तृ० २२५, याज्ञ० ११२८३, रघु० ८ ३८ 2. धूप । सम० - अटी भिरं, वरैया - अभ्यङ्गः शरीर में तेल की मालिश करना --- कल्कजः खली, पणिका, पर्णी 1. चन्दन 2. धूप 3. तारपीन, पिञ्जः सफ़ेद तिल – पिपीलिका छोटी लाल रंग की चिऊँटो, फल: हिंगोट का वृक्ष, भाविनी चमेली, माली दीवे की बत्ती, यन्त्रम् तेली का कोल्हू -- स्फटिक : एक प्रकार की मणि ।
तैलङ्गः एक देश का नाम, वर्तमान कर्नाटक प्रदेश, गाः ( ब० व० ) इस देश के लोग ।
तैलिकः, तैलिन् (पुं० ) [ तैल + ठन्, तैल + इनि] तेली, तेल पेरने वाला ।
तैलिनी [तैलिन् + ङीप् ] दीवे की बत्ती । तैलीनम् [तिलानां भवनं क्षेत्रम् खञ् ] तिलों का खेत । तेषः [तिप्येण नक्षत्रेण युक्ता पौर्णमासी- तिष्य + अण् +
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ङीप् तैषी, सा अस्ति अस्मिन् मासे - तेषी + अण् ] पौष का महीना ।
तोकम् [तु + क] सन्तान, बच्चा । तोककः [तोक + कन्] चातक पक्षी ।
तोडनम् [तुड् + ल्युट् ] 1. टुकड़े २ करना, खण्डशः करना 2. फाड़ना 3. चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना । तोत्रम् [तुद्+ष्ट्रन्] पशुओं को या हाथी को हाँकने का अंकुश ।
तोदः [तुद् + घा] पीडा, वेदना, संताप । तोवनम् [तुद् + ल्युट् ] 1. पीडा, वेदना 2. अंकुश 3. चेहरा, मुँह
तोमरः, -रम् [तुम्पति हिनस्ति तुम्प् + अर्, नि०] 1. लोहे
का डण्डा 2. भाला, नेजा । सम० धरः अग्निदेव । तोयम् [तु + विच्, तवे पूर्व्यं याति - या + क नि० साधुः ] पानी श० ७/१२ । सम० – अधिवासिनी पाटला वृक्ष, आधारः, आशयः सरोवर, कूआँ, जलाशय तोयाधारपथाश्च वल्कलशिखानिष्यन्दरेखाङ्किताः - श० १।१४, - आलय: समुद्र, सागर, - ईशः वरुण का विशेषण ( - शम् ) पूर्वाषाढ़ नक्षत्रपुञ्ज, -- उत्सर्गः जलोन्मोच वर्षा - मेघ ० ३७, कर्मन् ( नपुं० ) 1. अङ्गमार्जन 2. दिवंगत पितरों को जलतर्पण, कृच्छ्रः छम् एक प्रकार की तपश्चर्या जिसमें कुछ निश्चित समय तक जल पीकर ही रहना पड़ता हैं, क्रीडा जलविहार - मेघ० ३३, - गर्भः नारियल, चरः एक जलजन्तु, - डिम्बः, -भः ओला, दः 'बादल - रघु० ६/६५५ विक्रम० १११४, अत्ययः शरद् ऋतु घरः बादल - धिः, -निधिः समुद्र, नीवी पृथ्वी, प्रसावनम् कतकफल, निर्मली, मलम् समुद्रफेन, मुच् (पुं० ) बादल, - यन्त्रम् 1. जल-घड़ी 2. फौवारा, - राज्, - राशि: समुद्र, -- वेला जल का किनारा, समुद्रतट, व्यतिकरः ( नदियों का संगम - रघु० ८/९५- शुक्तिका सीपी, -सपिका, सूचक: मेंढक ।
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तोरणः णम् [तुर् +युच् आधारे ल्युट् वा तारा०] 1. महरा
बदार बनाया हुआ द्वार, सिंह द्वार 2. बहिर्द्वार, प्रवेशद्वार -- गणोनृपाणामथ तोरणाद् बहिः- शि० १२ । १, दूरालक्ष्यं सुरपतिघनुदचारुणा तोरणेन- मेघ० ७५ 3. अस्थायी रूप से बनाया हुआ शोभाद्वार कु० ७१३, रघु० १४१, ७/४, ११५ 4. स्नानागार के निकट का चबूतरा, - णम् गर्दन, कण्ठ ।
तोल:-लम् [ तुल् + घञ्ञ ] 1. तोल या भार जो तराजू
में तोल लिया गया हो 2. सोने चांदी का एक तोला या १२ माशे का भार ।
तोषः [तुष् + घञ ] सन्तोष, परितोष, प्रसन्नता, खुशी । तोषणम् [ तुष + ल्युट् ] 1. सन्तोष, परितोष 2 सन्तोषप्रद परितृप्ति ।
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