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तह (बघा० पर०, चुरा० उभ० -तृणेढि, तयति-ते, तृढ, स्वीकृत करना, प्रदान करना, अभिदान करना, अर्पित
इच्छा० तितक्षति, तितुंहिषति) क्षति पहुंचाना, आघात करना, कृपा करना, अनुग्रह करना-.-भगवान्मारीचस्ते पहुँचाना, मार डालना, प्रहार करना-न तृणेझीति | दर्शनं वितरति-श०७, वितरति गुरुः प्राज्ञे विद्या लोकोऽयं वित्त मां निष्पराक्रमम्-भट्टि० ६।३९ (तानि) यथैव तथा जडे-उत्तर० २।४, निवासहेतोरुटज वितेरुः तृणेदु रामः सह लक्ष्मणेन १२१९ ।
----रघु० १४१८१, मा० ११३ 3. पैदा करना, उत्पादन त (म्वा० पर०–तरति, तीर्ण) 1. पार पहुंच जाना, पार
करना-ज्योत्स्नाशङ्कामिह वितरति हंसश्रेणी--कि० करना-केनोडपेन परलोकनदीं तरिष्ये-मच्छ०८।२३,
५।३१, गीत०१ 4. ले जाना, व्यति-पार करना, स तीर्खा कपिशाम् --रघु० ४१३८,मनु० ४१७७ 2. पार
पूरा करना, जीत लेना, सम्--,1. पार करना पहुँचाना, (मार्ग) तय करना, कु. ७४८ मेघ० १८ |
2. तैरना, बहना 3. पूरा करना, जीत लेना, अन्त 3. बहना, तैरना-शिला तरिष्यत्यदके न पर्णम्--भट्टि०
तक जाना। १२१७७ 4. पूर्ण करना, जीत लेना, पार करना, विजयी तेजनम् [तिज्+ल्युट ] 1. बांस 2. पैना करना, तेज़ करना हो जाना धीरा-हि तरन्त्यापदम्---का० १७५, कृच्छ्रम् 3. जलाना 4. प्रदीप्त करना 5. चमकाना 6. सरकंडा, महत्तीर्णः-रघु० १४१६, भग० १८१५८, मनु० १११३४ नरकुल 7. बाण की नोक, शस्त्र की धार । 5. किनारे तक जाना, पारंगत होना- रघु० ३१३० तेजल: [तिज्+णिच्+कलच् ] एक प्रकार का तीतर । 6. पूरा करना, सम्पन्न करना (प्रतिज्ञा का) पालन
तेजस् (नपुं० [ति+असुन्] 1. तेजी 2. (चाकू की) करना-देवात्तीर्णप्रतिज्ञः-मुद्रा० ४।१२ 7. बचाया
पनी धार 3. अग्नि शिखा की चोटी, आग की लपट जाना, बच निकलना,-गावो वर्षभयात्तीर्णा वयं तीर्णा
की नोक 4. गर्मी, चमक, दीप्ति 5. प्रभा, प्रकाश, महाभयात् हरि०, कर्मवा०-तीर्यते, पार किया जाना,
ज्योति, कांति-रधु० ४।१, भग० ७।९, १०१३० (प्रेर० तारयति-ते 1. ले जाना, आगे बढ़ाना 2. पहुँ
6. गर्मी या प्रकाश, सृष्टि के पांच मूलतत्त्वों में से चाना 3. बचाना, उद्धार करना, मुक्त करना; इच्छा०
एक-अग्नि (अन्य चार ये हैं--पृथिवी, अप, वायु और -तितीर्षति, तितरिषति, तितरीषति) पार करने की
आकाश) 7. शरीर की कांति, सौंदर्य-रघु० ३.१५ इच्छा करना-दोा तितीर्षति. तरङ्गवतीभुगजङ्गम्
8. तेजस्विता--श० २।१४, उत्तर०६।१४ १. ताक़त, -काव्य० १०, अति-1. पार पहुँचना, जीत लेना,
शक्ति, सामर्थ्य, साहस, बल, शौर्य, तेज-तेजस्तेजसि विजयी होना-भग०१३।२५, हि०४, अव--1. उत
शाम्यतु-उत्तर० ५ 10. तेजस्वी-तेजसां हि न वयः रना, अवतरित होना-रथादवततार च--रघु०११५४, समीक्ष्यते-रघु० ११११ 11. आत्मबल, ओज या ऊर्जा १३।६८, मेघ० ५० 2. बहना, में गिरना-सागरं 12. चरित्रबल, ओजस्विता 13. तेजोयुक्त कान्ति, बर्जयित्वा कुत्र वा महानद्यवतरति-श०३ 3. प्रविष्ट महिमा, प्रतिष्ठा, प्रभुता, गौरव-तेजोविशेषानुमितां होना, घुसना, आना-मालवि० १२२, शि० ९।३२ (राजलक्ष्मी) दधानः-रघु० २१७ 14. वीर्य, बीज, 4. पूर्ण करना, दमन करना, पार करना 5. (किसी शक्र--स्याद्रक्षणीयं यदि में न तेजः-रघु० १४।६५, देवता का) मनुष्य के रूप में इस धरती पर अवतार रघु० २।७५, दुष्यन्तेनाहितं तेजो दधानां भूतये भुवः लेना-तु० अवतार, प्रेर०–लाना, जाकर लाना, -श० ४।१ 15. वस्तु की मूल-प्रकृति 16. अर्क, सत लगाना-रघु० ११३४, उ- 1. (पानी में से) 17. आत्मिकशक्ति, नैतिक शक्ति, जादू की शक्ति बाहर निकलना, (जहाज से) उतरना, निकलना-रधु० 18. आग 19. मज्जा 20 पित्त 21. घोड़े का वेग २०१७, शि०८।६३ 2. पार जाना, पार पहुंचना 22. ताजा मक्खन 23. सोना। सम०-कर (वि०) उदतारिषुरम्भोधिम्-भट्टि. १५।३३, १०, रघु० 1. कान्तिवर्धक 2. वीर्यवर्धक, शक्तिप्रद-भङ्गः १२।७१, १६॥३३, मेघ० ४७ 3. दमन करना, जीतना, 1. अपमान, प्रतिष्ठा का नाश 2. अवसाद, हतोत्सापार करना-व्यसनमहार्णवादुत्तीर्णम् -मृच्छ० १०॥४९
हता,-मण्डलम् प्रकाश का परिवेश,-मतिः सूर्य,-रूपः इसी प्रकार-रोगोत्तीर्ण, निस-,1. पार पहुंचना
परमात्मा ब्रह्म। ...-भर्तृ० १४ 2. पूरा करना, सम्पन्न करना, निष्पन्न | तेजस्वत् तेजोवत् (व०) [ तेजस्+मतुप, मस्य वः] करना 3. पार करना, पूरा करना, जीतना-रघु० 1. उज्ज्वल, चमकीला, शानदार 2. तेज, तीखा 3. वीर, ३७ 4. पूरा करना, अन्त तक जाना- रघु० १४।२१, शौर्यशाली 4. ऊर्जस्वी।। प्र.-पार पहुँचना, प्रेर. ठगना, धोखा देना-मां तेजस्विन् (वि.) (स्त्री०-नी) तेजस्+विनि] 1. चमकतथा प्रतायं-श. ५, कित्वेवं कविभिः प्रतारितमना- दार, उज्ज्वल 2. शक्तिशाली, शौर्यसम्पत्र, बलवान्स्तत्वं विजानन्नपि-मर्तृ० ११७८, वि-1. पार कि० १६६१६ 3. गौरवशाली, महानुभाव 4. प्रसिद्ध, जाना, पार करना, परे जाना-रषु. ६७७ 2. देना, विक्यात 5. प्रचंड 6. अभिमानी 7. विधिसम्मत ।
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