________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
दिवाभ्रवृन्दम्-रघु० १३।७६ घन इव तरलबलाके । तरः [त+उन् ] वृक्ष-नवसंरोहणशिथिलस्तरुरिव सुकरः ----गीत० ५, शि० १०।४०, श० ११२६ 2. चंचल, समुद्धर्तुम्-मालवि० १८। सम०-ख, उम्, अस्थिर, चपल-वैरायितारस्तरला: स्वयं मत्सरिणः -षण्डः,-डम् वृक्षों का झुण्ड या समह,-जीवनम् परे--शि० २१११५, अमर २७ 3. शानदार, चमक- वृक्ष की जड़,-तलम् वृक्ष के तने के पास का स्थान, दार, चटकीला 4. द्रवरूप 5. कामक, स्वेच्छाचारी, वृक्ष की जड़,-नखः कांटा,-मृगः बन्दर,-रागः ---ल: 1. हार की मध्यवर्ती मणि-मक्तामयोऽप्यतरल- 1. कली या फूल 2. कोमल अंकुर अंखुवा,-राजः मध्य:-वासव० ३५, हारांस्तारांस्तरलगुटिकान् (मल्लि. ताल का पेड़,-रहा पेड़ पर ही उत्पन्न होने वाला नाथ के मतानुसार यह मेघदूत का प्रक्षेपक है) 2. हार पौधा,--विलासिनी नव मल्लिका लता,-शायिन् 3. समतल सतह 4. तली, गहराई 5. हीरा 6. लोहा, (पुं०) पक्षी। --ला मांड।
तरुण (वि.) [त-+ उनन् ] 1. चढ़ती जवानी वाला, जवान तरलयति (ना० धा० पर०) कंपन उत्पन्न करना, लहराना,
पुरुष युवक 2. (क) बच्चा, नवजात, सुकुमार, कोमल इधर-उधर हिलना-जुलना----अमरु ८७ ।
-भर्तृ० ३।४९ (ख) नवोदित, (सूर्य की भांति) तरलायते (ना. धा० आ०) कांपना, हिलना, इधर-उधर जो आकाश में ऊँचा न हो, कु. ३।५४ 3. नूतन, चलना-फिरना।
ताजा-तरुणं दधि-चाण० ६४, तरुणं सर्षपशाके तरलायितः [तरल-क्यच् + क्त ] बड़ी लहर, कल्लोल ।
नवौदनं पिच्छिलानि च दधीनि, अल्पव्ययेन सुन्वरि तरलित (वि.) [तरल+ इतच् ] हिलता हुआ, थरथराता
ग्राम्यजनो मिष्टमश्नाति । ई०१ 4. जिन्दादिल, हुआ, आंदोलित होता हुआ-'तुङ्गतरङ्ग-गीत०११,
विशद,-णः युवा पुरुष, जवान-पञ्च ०१।११, भामि० हारा ।
२१६२, णो युवती या जवान स्त्री-वृद्धस्य तरुणी तरवारिः [तरं समागत विपक्षबलं वारयति-तर+4+ | विषम् -चाण० ९८ । सम-ज्वरः एक सप्ताह णिच् +इन् ] तलवार ।
रहने वाला बुखार,-वधि (नपुं०) पांच दिन का तरस् (नपुं०) त !-असुन् ] 1. चाल, वेग 2. बीर्य,
जमाया हुआ दूध,—पीतिका मैनसिल। शक्ति, ऊर्जा-कैलाशनाथं तरसा जिगीषुः-रघु०५।२८, तरुश (वि.) [तरु+श] वृक्षों से भरा हुआ। १११७७, शि० ९।७२ 3. तट, पार करने का स्थान
तर्क (चुरा० उभ० --तर्कयति-ते, तकित) 1. कल्पना 4. घड़नई, बेड़ा।
करना, अटकल करना, शंका करना, विश्वास करना, तरसम् [त+असच् ] आमिष, मांस ।
अन्दाज लगाना, अनुमान करना-वं तावत्कतमा तरसान: [त+आनच् , सुट् ] नाव ।
तर्कयसि-श० ६, मेघ० ९६ 2. तर्क करना, विचातरस्विन् (वि०) (स्त्री०-नी) 1. तेज, फुर्तीला 2. मज़- रना, विमर्श करना 3. खयाल करना, मान लेना
वत, शक्तिशाली, साहसी, ताक़तवर--रघु० ९२३, (द्विकर्मक) 4. सोचना, इरादा कराना, अभिप्राय ११।८९, १६।७७, (पुं०) हलकारा, आशुगामी दूत रखना, विचार में रहना ---(पात) त्वं चेदच्छस्फटिक
2. शरवीर 3. हवा, वायु 4. गरुड का विशेषण । विशदं तर्कयस्तिर्यगम्भ:-मेघ० ५३ 5. निश्चय करना, तराधुः, तरालुः [ तराय तरणाय अन्धुरिव, तराय अलति 6. चमकना 7. बोलना, प्र---,1. तर्क करना, विचार
प्राप्नोति तर+अल+उण् ] एक बड़ी चपटी तली विमर्श करना 2. सोचना, विश्वास करना, खयाल की नाव।
करना,कल्पना करना-भट्टि० २।९, वि०-~-1. अटतरिः,री (स्त्री०) [तरति अनया+त+इ, तरि+ कल करना, अन्दाज करना 2. सोचना, कल्पना,
ङोष | 1. नाव -जीर्णा तरिः सरिदतीवगभीरनीरा --- विश्वास करना 3. विचार विमर्श करना, तर्क उद्भट, शि० ३७६ 2. कपड़े रखने का सन्दूक 3. कपड़े करना। का छोर या मगजी (किनारा) 1. सम-रयः चप्पू, तर्कः [तर्क+अच् ] 1. कल्पना, अन्दाज, अटकल-प्रसन्नस्ते डाड।
तर्कः, विक्रम २ 2. तर्कना, अटकलबाजी, चर्चा, तरिकः, तरिकिन् (पु०) [तर+छन्, तरिक+ इनि] दुरूह तर्कना-कुतः पुनरस्मिन्नवधारिते आगमार्थे तर्क मल्लाह।
निमित्तस्याक्षेपस्यावकाशः, इदानीं तर्कनिमित्त आक्षेपः तरिका, तरिणी, तरित्रम, तरित्री, [तरिक-टाप, तर परिहियते-शारी०, तर्कोऽप्रतिष्ठः स्मृतयो विभिन्नाः
+-इनि डीप, तु+ष्ट्रन् तरित्र+ङीप्] नाव -महा०, मनु०१२।१०६ 3. सन्देह 4.न्याय, तर्कशास्त्र किश्ती।
-यत्काव्यं मधुवर्षि धर्षितपरास्तष यस्योक्तयः-२० तरीषः । त । ईषण ] 1. बेडा, नाय 2. समुद्र 3. सक्षम २२११५५, तर्कशास्त्रम्, तर्क दीपिका 5. (न्याय० में)
व्यक्ति 4. स्वर्ग 5. कार्य, धन्धा, व्यवसाय, पेशा। उपहासास्पद होना, वह परिणाम जो पूर्व कथित तथ्यों
For Private and Personal Use Only