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जापः [ जप्+घञ्ञ ] 1. प्रार्थना जपना, कान में कहना, गुनगुनाना 2. जप की हुई प्रार्थना या मन्त्र | जाबाल: [ जबाल + अण् ] रेवड़, बकरों का समूह । जामदग्न्यः [ जमदग्नि । यज्ञ ] परशराम, जमदग्नि का
पुत्र ।
जामा | जम् + अण् वा० स्त्रीत्वम् ] 1. पुत्री 2. स्नुषा, पुत्रवधू !
जामातृ ( १० ) [ जायां माति मिनोति मिमीते वा नि० ] 1. दामाद - जामातृयज्ञेन वयं निरुद्धा: - उत्तर० १११, जामाता दशमो ग्रहः सुभा० 2. स्वामी मालिक 3. सूरजमुखी फूल ।
जामिः (स्त्री० ) [ जम् +इन् नि० बृद्धिः ] 1. बहन, पुत्री 3. पुत्रबधू 4. नजदीकी संबंधिनी ( सन्निहितसपिङ स्त्री-कुल्लूक ) मनु० ३।५७, ५८ 5. गुणवती सती साध्वी स्त्री । जामित्रम् [जायामित्रम् ] जन्मकुंडली में लग्न से सातवां घर, तिथी च जामित्रगुणान्वितायाम् कु० ७ १, ( जामित्र लग्नात्सप्तमं स्थानम - मल्लि०) वि०-कुछ लोग इस शब्द को 'जाया' से व्युत्पन्न मानते हैं क्योंकि फलित ज्योतिष में 'जामित्र' का चिह्न पत्नी के भावी सौभाग्य का सूचक [ जायामित्रम् ] है परन्तु इस शब्द का स्पष्ट सम्बन्ध ग्रीक शब्द ( Diametron ) से है ।
जामेय: [ जाम्या भगिन्या अपत्यम् - ञ्ञ ] भानजा, बन का पुत्र ।
जाम्बवम् [ जम्ब्वाः फलम् अण् तस्य बा० न लुप्-तारा० ] 1. सोना 2. जम्बुवृक्ष का फल, जामन ।
जाम्बवत् (पुं० ) [ जाम्ब + मतुप् ] रीछों का राजा जिसने
लंका पर आक्रमण के समय राम की सहायता की। यह अपनी चिकित्सा संबन्धी कुशलता के लिए भी प्रसिद्ध था ( यह जांबवान् संभवतः कृष्ण के समय तक जीवित रहा, क्योंकि उस समय स्यमन्तक मणि के लिए कृष्ण और जाम्बवान् में युद्ध हुआ । इस स्यमन्तक मणि को जांबवान् ने सत्राजित् के भाई प्रसेन से प्राप्त किया था। युद्ध में कृष्ण ने जांबवान् को पछाड़ दिया । परास्त होकर जांबवान् ने स्यमन्तक मणि के साथ अपनी पुत्री जांबवती को भी कृष्ण के अर्पण कर दिया )
जम्बीरम् (लम् ) [ जंबीर + अण्, पक्षे रलयोरभेदः ] चकोतरा ।
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जाम्बूनदम् [ जम्बूनद + अण् ] 1. सोना- रघु० १८०४४ 2. एक सोने का आभूषण — कृतरुचश्च जाम्बूनदै: - शि० ४।६६ 3. धूतरे का पौधा । जया [जन् + यक् + टापु, आत्व ] पत्नी, ( शब्द की व्युत्पत्ति मनु० ९१८ के अनुसार पतिर्भार्या संप्रविश्य
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गर्भो भूत्वेह जायते, जायायास्तद्धि जायात्वं यदस्यां जायते पुनः- दे० रघु० २।१ पर मल्लि०) बहुव्रीहि के उत्तर पद में 'जाया' का बदलकर 'जानि' हो जाता है यथा 'सीताजानि' सीता जिसकी पत्नी है, इसी प्रकार युवजानिः, वामार्धजानिः । सम० - अनुजीविन् ( पुं० ) - आजीव: 1. अभिनेता, नट 2. वेश्या का पति 3. मोहताज, दरिद्र, पती ( द्वि० व०) पति और पत्नी ( इसके दूसरे रूप हैं- दंपती, जंपती)
जायिन् ( वि० ) ( स्त्री० वाला, दमन करने वाला (पुं० ) जाति की एक ताल ।
जा: [ जि + उण् ] 1. औषधि 2. वैद्य । जारः [ जीर्यति अनेन स्त्रियाः सतीत्वम् ज् + घञ्ञ, जरयतीति जार: निरु० ] उपपति, प्रेमी, आशिक रथकारः स्वकां भार्या सजारां शिरसावहत् - पंच० ४।५४ | सम० - ज:, - जन्मन्, जातः दोगला, हरामी, भरा व्यभिचारिणी स्त्री ।
जारिणी [ जार + इनि + ङीप् ] व्यभिचारिणी स्त्री । जालम् [ जल् + ण ] 1. फंदा, पाश 2. जाला, मकड़ी का
जाला 3. कवच, तार की जालियों का बना शिरस्त्राण 4. अक्षिकारंध्र, गवाक्ष, झिलमिली, खिड़की जालान्तरप्रेषितदृष्टिरन्या - रघु० ७/९, धूपैर्जालविनिः सृतैर्वलभयः संदिग्धपारावताः विक्रम० ३१२, कु० ७/६० 5. संग्रह, संघात, राशि, ढेर- चितासन्ततितन्तुजाल निबिडस्यूतेव मा० ५/१०, कु० ७१८९, शि० ४,४६, अमरु ५८ 6. जादू 7. भ्रम, घोखा 8. अनखिला फूल । सम० --- अक्षः झरोखा, खिड़की, - कर्मन् ( नपुं० ) मछली पकड़ने का धंधा, मछली पकड़ना, कारक: 1. जाल निर्माता 2. मकड़ी, गोणिका एक प्रकार की मंथानी, पाद् - पादः कलहंस, प्रायः कवच, जिरहबख्तर ।
नी) [ जि + णिनि ] जीतने ( संगीत में) ध्रुपद
जालकम् [ जालमिव कार्याति +कै+क ] 1. फन्दा 2. सम
च्चय, संग्रह----बद्धं कर्णशिरीषरोधि वदने धर्माम्भसां जालकम् - श० ११३०, रघु० ९।६८. 3. गवाक्ष, खिड़की 4. कली, अनखिला फूल --- अभिनवजलकर्मालतीनाम् - मेघ० ९८, इसी प्रकार - यूथिकाजालकानि -- २६ 5. ( बालों में पहना जाने वाला) एक प्रकार का आभूषण - तिलकजालक जाल कमौक्तिकैः – रघु० ९१४४ ( आभरणविशेषः) 6. घोंसला 7. भ्रम, घोखा । सम० - मालिन् ( बि० ) अवगुण्ठित । जालकिन् (पुं० ) [ जालक + इनि | बादल । जालकिनी [ जालकिन् + ङीप् | भेड़ । जालिक: [ जाल + ठन् ] 1. मछवाहा 2. बहेलिया, चिड़ीमार 3. मकड़ी 4. प्रान्त का राज्यपाल या मुख्य शासक 5. बदमास, ठग, का 1. जाली 2. जञ्जीरों का बना
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