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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ४०२ ) मन बन्धन युक्त, बेड़ी पड़ा हुआ, प्रत्यय ( वि०) जिसके | 'में विश्वास उत्पन्न हो गया हो, - मन्मथ ( वि० ) प्रेम में आसक्त, मात्र ( वि०) तुरंत का उत्पन्न, सद्योजात, रूप ( वि०) सुन्दर, उज्ज्वल, (पम्) सोना - अप्याकरसमुत्पन्ना मणिजातिरसंस्कृता, जातरूपेण कल्याणि न हि संयोग मर्हति - मालवि० ५।१८, नं० ११२९ - वेदः (पुं० ) अग्नि का विशेषण - कु० २।४६, शि० २५१, रघु० १२ १०४, १५।७२ । जातक (बि० ) [ जात + कन् ] जन्सा हुआ, उत्पन्न, कः 1. नवजात शिशु 2. भिक्षु, कम् 1. जातकर्म संस्कार 2. जन्म विषयक फलित ज्योतिष की गणना 3. एक जैसी वस्तुओं का संग्रह | जातिः (स्त्री० ) [जन् + क्तिन् ] 1. जन्म, उत्पत्ति - मनु० २०१४८ 2. जन्म के अनुसार अस्तित्व का रूप 3. गोत्र, परिवार, वंश 4. जाति, कबीला या वर्ग ( जनसमुदाय) अरे मूढ जात्या चेदवध्योऽहम् एषा सा जातिः परित्यक्ता-वेणी० ३ ( हिन्दुओं की प्राथमिक जातियाँ केवल चार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र हैं) 5. श्रेणी, वर्ग, प्रकार, नस्ल -- पशुजाति, पुष्पजाति आदि 6. किसी एक वर्ग के विशेष गुण जो उसे और दूसरे वर्गों से पृथक करें, किसी एक नस्ल के लक्षण जो मूल तत्त्वों को बतलाएँ जैसे कि गाय और घोड़ों का 'गोत्व' 'अश्वत्व' – दे० गुण क्रिया और द्रव्य - शि० २।४७, तु० काव्य २ 7. अंगीठी 8. जायफल 9. चमेली का फूल या पौधा - पुष्पाणां प्रकरः स्मितेन रचितो नो कुन्दजात्यादिभिः - अमरु १०, ( इन दो अर्थों में 'जाती' ऐसा भी लिखा जाता है ) 10. ( न्या० में) व्यर्थं उत्तर 11. ( संगीत में) भारतीय स्वरग्राम के सात स्वर 12. छन्दों की एक श्रेणी - दे० परिशिष्ट । सम० - अन्ध (वि०) जन्मान्ध - भर्तृ० ११९०, - कोशः, षः षम्, जायफल, कोशी, षी जावित्री, धर्मः 1. किसी जाति के कर्तव्य, आचार 2. किसी जाति की सामान्य सम्पत्ति, - ध्वंसः जाति या उसके विशेषाधिकारों की हानि, -पत्री जावित्री, जायफल का ऊपरी छिल्का, ब्राह्मण: केवल जन्म से ब्राह्मण, गुण कर्म, तप और स्वाध्याय से हीन, अज्ञानी ब्राह्मण (तपः श्रुतं च योनिश्च त्रयं ब्राह्मण्यकारणम्, तपः श्रुताभ्यां यो हीनो जातिब्राह्मण एव सः --- शब्दार्थचिन्तामणि, भ्रंशः जातिच्यति - मनु० ९ ६७, भ्रष्ट (वि०) जातिच्युत, जातिबहिष्कृत, मात्रम् 1. 'केवल जन्म' केवल जन्म के कारण जीवन में प्राप्त पद 2. केवल जाति ( तत्सम्बन्धी कर्तव्यों के पालन का अभाव ) -मनु० ८ २०, १२११४, लक्षणम् जातिसूचक भेद, जातिसूचक विशेषताएँ, - वाचक ( वि०) नस्ल को बतलाने Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वाला ( शब्द ) - गौरश्वः पुरुषो हस्ती, वैरम् जातिगत द्वेष, स्वाभाविक शत्रुता, - वंरिन् (पुं०) स्वाभाविक शत्रु, शब्दः नस्ल या जाति बतलाने वाला नाम, जातिबोधक शब्द, जातिवाचक संज्ञा गौः, अश्व:, पुरुषः, हस्ती आदि, संकरः दो जातियों का मिश्रण, दोगलापन, सम्पन्न ( वि०) अच्छे घराने का, कुलीन, ---सारम् जायफल, स्मर ( वि० ) जिसे अपने पूर्व जन्म का वृत्तान्त याद हो जातिस्मरो मुनिरस्मि जात्या का० ३५५, स्वभावः जातिगत स्वभाव या लक्षण, हीन ( वि०) नीच जाति का जाति - बहिष्कृत | जातिमत् (वि० ) [ जाति + मतुप् ] उत्तम कुल में उत्पन्न, ऊँचे घराने में जन्मा । जातु ( अव्य० ) [ जन् + क्तुन् पृषो० साधुः | निम्नांकित अर्थों को प्रकट करने वाला अव्यय - 1. कभी, सर्वथा, किसी समय, संभवतः --- किं तेन जातु जातेन मातुयौं वनहारिणा पंच० १०२६, न जातु कामः कामानामुपभोगेन शाम्यति मनु० २/९४, कु० ५/५५ 2. कदाचित्, कभी रघु० १९१७ 3. एकबार एक समय, किसी दिन 4. विधिलिङ् में प्रयुक्त होने पर इसका अर्थ हो जाता है "अनुमति न देना, सहन न कर सकना " - जातु तत्र भवान्वषलं याजयेन्नावकल्पयामि ( न मर्पयामि) सिद्धा० 5. लट् लकार में प्रयुक्त होकर यह ' निन्दा ( ग ) ' प्रकट करता है - जातु तत्र भवान् वृषलं याजयति तदेव । जातुधानः [ जातु गर्हितं धानं सन्निधानं यस्य ब०स०] राक्षस, पिशाच । जातुष (वि०) (स्त्री०-बी) [ जतु + अण्, बुक् ] 1. लाख से बना हुआ, या लाख से ढका हुआ 2. चिपचिपा, चिपकने वाला | जात्य ( वि० ) [ जाति + यत् ] 1. एक ही परिवार का, सम्बन्धी 2. उत्तम, उत्तमकुलोद्भव, सत्कुलोत्पन्न, - जात्यस्तेनाभिजातेन शूरः शीर्यवता कुशः -- रघु० १७/४ 3. मनोहर, सुन्दर, सुखद । जानकी [ जनक + अण् + ङीप् ] जनक की पुत्री सीता, राम की भार्या । जानपद: [ जनपद + अण् ] 1. देहाती, गंवार, ग्रामीण, किसान (विप० पौर) 2. देश 3. विषय, दा सर्वप्रिय उक्ति । जानि (बत्रीहि समास में 'जाया शब्द' के स्थान में आदेश ) जानु ( नपुं० ) [ जन् + ण् ] घुटना- जानुभ्यामवनिं गत्वा, पृथ्वीपर घुटनों के बल चल कर या घुटने टेक कर । सम० - दहन ( वि०) घुटनों तक ऊँचा, घुटनों तक गहरा, फलकम्, - - मण्डलम् घुटने की पाली, --- सन्धिः घुटने का जोड़ | For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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