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बाकन् वा
( ४०० ) पानी का नदी में गिरना,-नीलिः काई, सेवार,-पट- । जलाका, जलालुका, जलिका, जलुका, जलका [जले आकालम् बादल,--पतिः 1. समुद्र 2. वरुण का विशेषण, यति प्रकाशते-जल+आ+के+क+टाप, जले
-पथः जलयात्रा-रघु० १७१८१, -पारावतः जल- अलति गच्छति-जल+अल+उक+टाप, जल-ठन् कपोत,--पित्तम् आग,- पुष्पम् पानी में होने वाला टाप, जलम् ओको यस्य पृषो०] जोंक। फूल, कमल आदि, पूरः 1. जल की बाढ़ 2. पानी की | जलेजम्, जलेजातम् [जले+जन्+ड, क्त वा सप्तम्या नदी,-पृष्ठजा काई, सेवार,-प्रदानम् मृतक पितरों । अलुक ] कमल।। को जल तर्पण,-प्रलयः जल के द्वारा विनाश,-प्रान्तः जलेशयःजले---शी-अच, सप्तम्या अलुक ] 1. मछली नदी का किनारा,-प्रायम् जलबहुलप्रदेश--जलप्रायम
2. विष्णु का नाम। नूपं स्यात् ---अमर०,-प्रियः 1. चातक पक्षी 2. मछली,
जल्प (म्वा० पर० जल्पति, जल्पित) बोलना, बातें करना, --प्लवः ऊदबिलाव,-प्लाबनम जलप्रलय, बाढ़,--बधुः
संलाप करना-अविरलितकपोलं जल्पतोरक्रमेण-उत्तर० मछली,-बालकः,--,बालकः बिध्य पहाड़ - बालिका
११२१, एकेन जल्पन्त्यनल्पाक्षरम्-पंच० ११११६, बिजली,-बिडालः ऊदबिलाव,-बिम्बः,-बिम्बम् बुल
भर्तृ० १६८२ 2. गुनगुनाना, अस्पष्ट उच्चारण करना बुला,-बिल्वः 1. एक (चौकोर) तालाब, सरोवर
3. प्रलाप करना, किच-किच करना, बालकलरव करना, 2. कछुवा 3. केकड़ी,-भू (वि.) जल में उत्पन्न,-भूः
कलकलध्वनि करना, अभि---, बोलना, बातें करना, (पुं०) 1. बादल 2. पानी जमा करके रखने का
प्र-, 1. बोलना, कहना, बातें करना-कु० ११४५, स्थान 3. एक प्रकार का कपूर,–मक्षिका पानी में रहने
2. पुकारना-सम् ---, बोलना, संलाप करना । वाला एक कीड़ा,--मण्डूकम्-एक प्रकार का वाद्य
जल्पः [ जल्प+घi j1. वक्तृता, भाषण 2. प्रवचन, यन्त्र, जल दर्दुर, मार्गः नाली, जलप्रणाली,-मुच्
बातचीत 3. बालकलरव, प्रलाप, गप-शप 4. वादविवाद, (पुं०) बादल-मेघ ६९ 2. एक प्रकार का कपूर,
वाग्युद्ध। -मूतिः शिव का विशेषण,--मूर्तिका ओला, यन्त्रम्
जल्प (पा) क (वि.) (स्त्री-ल्पिका) [ जल्प-वुल, 1. पानी निकालने का यन्त्र--रहट 2. फव्वारा गृहम्,
षाकन् वा, ] बातूनी, गप्पी। °निकेतनम्, °मन्दिरम् जल के मध्य बना भवन (ग्रीष्म
जव (वि.) [ जु+अप] फुर्तीला, चुस्त,-वः (क) वेग, भवन) या मकान जिसके आस पास फुहारे हों-क्वचि
फुर्ती, तेजी, द्रुतता-जवो हि सप्ते: परमं विभूषणम् द्विचित्रं जलयन्त्रमन्दिरम्-ऋतु० ११२,---यात्रा जल
-भर्त० ३३१२१, श० ११८, (ख) त्वरा, क्षिप्रता मार्ग से नाव आदि के द्वारा यात्रा,--यानम् पानी की
--जवेन पीठादुदतिष्ठदच्युतः-शि०१११२ 2. वेग। सवारी--जहाज,--रजकुः जलकुक्कुट,--रण्डः,-रुण्डः
सम-अधिक: वेगवान् घोड़ा, द्रुतगामी घोड़ा,-अनिलः 1. भंवर 2. पानी की बूंद, बूंदाबांदी, जलकण 3. साँप,
तेज हवा, आंधी। -रसः समुद्री या सांभर नमक,-राशिः समुद्र,-रुहः,
जवन (वि०) (स्त्री०-नी) [जु+ ल्युट् ] तेज, फुर्तीला, --हम् कमल,---रूपः मगरमच्छ,-लता लहर, झाल
वेगवान् रघु० ९।५६,--नः द्रुतगामी घोड़ा, तेज घोड़ा, ---वायसः कौडिल्ला पक्षी,-वासः जल में बसना,
-नम् चाल, द्रुतगति, वेग। -वाहः बादल, वाहनी पानी की मोरी:-विषुवत्
जवनिका, जवनी [ जयते आच्छाद्यते अनया--जु+ल्युट शारदीय विषुवत् (२२ या २३ सितम्बर)-वृश्चिक:
+ङीप् --जवनी+कन्+टाप, ह्रस्वः-जवनिका ] झींगा मछली,-व्याल: पनियल साँप,-शयः, शयनः,
1. कनात 2. चिक, पर्दा-नरः संसारान्ते विशति ---शायिन् (पुं०) विष्णु का विशेषण,-शूकम् काई,
यमधानीजवनिकाम्- भर्त० ३।११२ । सेवार,---शूकरः मगरमच्छ,-शोषः सोखा, अनावृष्टि
जवसः [जु+असच पशुओं के चरने योग्य घास। --सपिणी जोक,---सूचिः (स्त्री०) 1. गंगाई संस
जवा [जव+टाप्] अड़हुल, जपा।। 2. एक प्रकार की मछली 3. कौवा 4. जोक,--स्थानम्,
जष (म्वा० उभ०-जषति-ते) क्षति पहुँचाना, चोट -स्यायः तालाब, सरोवर, जलाशय, हम छोटा
___पहुंचाना, मारना। जलमन्दिर (ग्रीष्म भवन) जो पानी के मध्य बना हो या जिसमें फौव्वारे लगे हों। -हस्तिन् (पू.) जल
जस् i (दिवा० पर०–जस्यति) स्वतन्त्र करना, मुक्त करना, हाथी, हारिणी नाली, हासः 1. झाग 2. समुद्रफेन
ii (म्वा० चुरा० पर०-जसति, जासयति) 1. चोट (मसीक्षेपी नामक जलचर का भीतरी कवच)।
पहुँचाना, क्षति पहुंचाना, प्रहार करना 2. अवज्ञा करना,
अपमान करना, उद्-, मारना—निजीजसोज्जासअलङ्गमः [जल गम्+खच्, मुमागमः ] चाण्डाल।
यितुं जगद्रुहाम्-शि० ११३७, भट्टि० ८। १२० । अलमसिः [जलेन मस्यति परिणमति-जल+मस्+इन् ] जहकः [हा+कन्, द्वित्वम] 1. समय 2. बालक 3. सांप 1. बादल 2. एक प्रकार का कपूर ।
की केचुली।
फुतीला प्ते परमं
तो
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