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( ३९९ )
- मनु०
सम० - ज ( वि०) गर्भाशय से उत्पन्न, पिण्डज११४३, कु० ३।४२ पर मल्लि० । जरित (वि० ) [ जरा + इतच् ] 1. बूढ़ा, वयोवृद्ध 2. क्षीण, निर्बल |
जरिन् (वि० ) ( स्त्री० –णी ) [ जरा + इनि ] बूढ़ा, वयोवृद्ध ।
जरूथम् [जू+ऊथन् ] माँस ।
जर्जर (वि० ) [ जर्ज + अर] 1. बूढ़ा, निर्बल, क्षीण 2. जीर्ण, फटा पुराना, टूटा-फूटा, तोड़कर टुकड़े २ किया हुआ, खण्ड-खण्ड किया हुआ, छोटे २ टुकड़ों में विभक्त - जराजर्जरितविषाणकोटयो मृगाः का० २१, गात्रं जराजर्जरितं विहाय – महावी० ७११८, विसर्पन् धाराभिर्लुठति धरणीं जर्जरकणः - उत्तर० ११२९, शि० ४।२३ 3. घायल, क्षतविक्षत 4 झोझरा, खोखला ( जैसे कि टूटे घड़े की आवाज ) - रम् इन्द्र का झण्डा । जर्जरित (वि० ) ( जर्जर + णिच् +क्त] 1. बूढ़ा, क्षीण, निर्बल 2. घिसा-पिसा, झीर-झीर, फटा-पुराना, चिथड़े चिथड़े हुआ 3. पूरी तरह पराभूत, अयोग्य स्मरशरजर्जरितापि सा प्रभाते - गीत० ८ । जर्जरीक (वि० ) [ जर्जर् + ईक नि० साधुः ] 1. बुढ़ा,
क्षीण 2. जीर्ण-शीर्ण- छेदों से भरा हुआ, सछिद्र । जर्तुः [ जन्+तु, र आदेश: ] 1, योनि, 2. हाथी । जल (वि० ) [ जल् + अक् ] स्फूर्तिहीन, ठण्डा, शीतल, जड ।
-लम् पानी तातस्य कूपोऽयमिति ब्रुवाणाः क्षारं जलं कापुरुषाः पिबन्ति पञ्च० १।३२२ 2. एक सुगन्धित औषधि का पौधा, खस 3. शीतलता 4. पूर्वाषाढ़ नक्षत्र । सम० अञ्चलम् 1. झरना 2. निर्झर 3. काई, अञ्जलिः 1. चुल्लू भर पानी 2. मृतक के पितरों को जल तर्पण - कुपुत्रमासाद्य कुतो जलाञ्जलिः - चाण० ९५, मानस्यापि जलाञ्जलिः सरभसं लोके न दत्तो यथा - अमरु ९७ ( यहाँ जलाजलि दा' का अर्थ है - छोड़ देना, त्यागना ), अटनः सारस, अटनी जोक, अण्टकः घड़ियाल, मगरमच्छ, अत्ययः शरद्, पतझड़, अधिदेवतः तम् वरुण का विशेषण, (तम्) पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र पुञ्ज, अधिप वरुण का विशेषण, अम्बिका कूआँ, अर्क: जल में पड़ने वाला सूर्य का प्रतिविम्ब, अर्जव: 1. वर्षा ऋतु 2. मीठे पानी का समुद्र, -- अर्थिन् (वि०) प्यासा - अवतारः नदी के किनारे नाव पर उतरने का घाट, अष्ठीला बड़ा चौकोर तालाब, असुका जोक, आकरः झरना, फौवारा, कुआँ, आकाङ्क्षः, -- काइक्षः, --काक्षिन् (पुं०) हाथी, आखुः ऊदबिलाव, आत्मिका जोक, - आधारः तालाब, झील या सरोवर, जलाशय, आयुका जोक, --- आई (वि०) गीला (र्द्रम्) गीले कपड़े (द्र) पानी से तर पङ्खा - आलोका जोक, - आवर्तः भँवर, जल
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गुल्म, आशय: 1. तालाब, सरोवर, जलाशय 2. मछली 3. समुद्र, --- आश्रयः 1. तालाब, जलाशय, आह्नयम् कमल, -- इन्द्रः 1 वरुण का विशेषण 2. समुद्र, -- इन्धनः वाडवाग्नि, इभः जलहस्ती, ईशः, -ईश्वरः 1. वरुण का विशेषण 2. समुद्र, उच्छ्वासः नाली, परवाह 2. छलक कर बहना, उबरम् जलोदर नाम का रोग जिसमें पेट की त्वचा के नीचे पानी इकट्ठा हो जाता है, उद्भव (वि०) जलचर, उरगा, ओकस् ( पुं० ) - ओकसः जोक, कण्टकः मगरमच्छ, कपिः सूंस, कपोतः जलकबूतर, करङ्कः 1. एक खाल 2. नारियल 3. बादल 4. तरङ्ग, कमल, कल्कः कीचड़, - काकः जलकौआ, कान्तः हवा, - कान्तारः वरुण का विशेषण, किराटः मगरमच्छ, घड़ियाल, कुक्कुट : जलमुर्ग, मुर्गाबी, कुन्तलः, -कोशः काई, सेवारज, फूपी
1. झरना, कुआं 2. तालाब, 3. भंवर, कूर्मः सूँस, — केलिः (पुं० ) - क्रीडा ( स्त्री० ) जल में विहार करना, एक दूसरे पर पानी उछालना, क्रिया मृतकों का पितरों को जल-तर्पण देना, गुल्मः 1. कछुवा 2. चौकोर तालाब 3. भंवर, चर (वि० ) ('जलेचर' भी) जल में रहने वाले जीव-जन्तु आजीव: 'जीवः मछवा, चारिन् 1. जलजन्तु 2. मछली, ज वि० जल में उत्पन्न या पैदा, (ज: ) 1. जलजन्तु 2. मछली 3. काई 4. चन्द्रमा (जः, -जम् ) 1. खोल 2. शङ्ख -अधरोष्ठे निवेश्य दध्मौ जलजं कुमारः- रघु० ७६३, ११ ६०, ( जम्) कमल, आजीवः मछवा, आसन: ब्रह्मा का विशेषण वाचस्पतिरुवाचेदं प्राञ्जलिर्जलजासनम् - कु० २३०, जन्तुः 1. मछली 2. कोई जल का जन्तु, जन्तुका जोक, जन्मन् कमल, जिह्नः मगरमच्छ, – जीविन् (पुं० ) मछवाहा । - तरङ्ग 1. लहर 2. एक वाद्य विशेष - जिसमें जल से भरा हुआ कटोरा (छड़ी के आघात से ) 1) सम स्वर पैदा करता है । - ताडनम् ( शा० ) पानी पीटना ( आलं० ) व्यर्थ काम, त्रा छाता, - त्रासः जलातङ्क रोग, पागल कुत्ते के काटने से हड़कायापन, दः 1. बादल जायन्ते विरलालोके जलदा इव सज्जनाः पञ्च १।२९2. कपूर, ● अशन: साल का वृक्ष, आगम: वर्षाऋतु, काल: वर्षाऋतु क्षयः शरद्, पतझड़, दर: एक प्रकार का वाद्य यन्त्र, देवता जलदेवी, जलपरी, द्रोणी डोलची, - घर: 1. बादल 2. समुद्र, धारा पानी की धार, - 1. समुद्र 2. दसनील 3. चार की संख्या, गा नदी, 'ज: चाँद, 'जा लक्ष्मी, धन की देवी रशना पृथ्वी, - नकुलः ऊदबिलाव, नरः जलपुरुष ( इसके शरीर का निचला आवा भाग मछली के आकार का होता है ), निधि: 1. समुद्र 2. चार की संख्या - निर्गमः 1. नाली, पानी का निकास 2. जलप्रपात, झरने के
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