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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २८८ ) जाना, उड़ जाना, बच जाना 2. प्रगमन करना चौग() (वि.) (स्त्री-डी (ली)) [चूडा+अण् | 3. भटकना, अलग हो जाना, छोड़ देना 4. खोना, -लयोरभेवः] 1. शिखायुक्त, कलगीदार 2. मुण्डन | वञ्चित होना 5. गिर पड़ना, नीचे गिरना, प्र,-अलग सम्बन्धी-उम्,-लम् मुण्डन संस्कार । हो जाना, नीचे गिर पड़ना आदि (लगभग वह सब चौबन [पोत+ध्य ] 1. चोरी, लूट 2. रहस्य, छिपाव अर्थ जो परि पूर्वक 'च्यु' के होते हैं)। सम.--रतम् सिपे छिपे स्त्री संभोग,-वृत्तिः(स्त्री०) |व्युत् (म्वा० पर०-च्योतति 1. बंद २ गिर कर बहना, लूटने की आदत । रिसना, चूना, झरना--इदं शोणितमभ्यग्रं संप्रहारेऽमचनम् [ +ल्यूट] 1. चलना-फिरना, गति 2. वञ्चित च्युतत्तयोः-भटि० ६२८ 2. गिरपड़ना, नीचे होना, हानि, वञ्चना 3. मरना, नष्ट होना 4. बहना गिरना, फिसलना-इदं कवचमच्योतीत्-भट्टि टपकना। ६।२९ 3. गिराना, बहाना ।। (म्बा. आ०-व्यवते, व्युत) 1. गिरना, नीचे गिर | व्युत (भू. क. कृ.) [च्यु+क्त, च्युत्+क वा] 1. नीचे पड़ना, फिसलना, सूबना (आलं. भी)-श. २८ गिरा हुआ खिसका हुआ, गिरा हुआ 2. दूर किया 2. बाहर निकलना, बहना, बंद २ करके टपकना, गया, बाहर निकाला गया 3. विचलित, भूला हुआ पार निकालना-स्वतश्च्युतं वह्निमिवाद्भिरम्बुद:-रघु० 4. खोया गया। सम-अधिकार (वि.) पदच्युत ३१५८, मट्टि० ९७४ 3. विचलित होना, भटकना, किया गया,-आत्मन् (वि०) दूषित आत्मा वाला, अलग हो जाना, (कर्तव्य आदि) छोड़ देना (अपा० दुष्टात्मा-कु० ५।८१।। के साथ), अस्माबर्मान्न च्यवेत् -मनु० ७९८, १२॥ युतिः (स्त्री०) [च्यु+क्तिन्] 1. अघः पतन, अवपतन ७१,७२.सो देना, बञ्चित होना-अच्योष्ट सत्त्वा 2. विचलन 3. बूंद २ गिरना, रिसना 4. खोना, न्नुपति:-भट्टि. ३२०, ७.९२ 5. अदृश्य होना, । वञ्चित होना-चर्यच्युतिं कुर्याम्-३।१० 5. अदृश्य मोझल होना, नष्ट होना, गायब होना-रघु०८।६५, होना, नष्ट होना 6. योनिच्छद, 7. गुदा। मनु०१२।९६ 6. घटना, कम होना; परि-- 1. चलें | म्युतः [= फ्युतः पृषो० उकारस्य दीर्घः] आम का वृक्ष । राशि, सात छत्रकारमुत्ता, खु .[छो+3, क वा], अंश, खंड । अधिकार के रूप में छत्र धारण करना,-पतिः 1.राजा छगः (स्त्री०-गी) [छ यज्ञादी छेदनं गच्छति–छ+गम् जिसके ऊपर राज्य की मर्यादा के चिह्रस्वरूप छत्र +] बकरा। किया जाय, प्रभुसत्ताप्राप्त सम्राट् 2. जंबुद्वीप के गल: (स्त्री० ली) [ छो+कल, गुक, ह्रस्वः ] बकरा, प्राचीन राजा का नाम,---भग: 1. राजकीय छत्र का कम्-नीला कपड़ा। विनाश, राज्य का नाश, राजगद्दी से उतारा जाना, अगलक: [छगल+कन्] बकरा। सिंहासनच्युति 2. पराश्रयता 3. रशामन्दी 4. परित्यक्त घटा [छो+अट+टाप्] 1. ढेर, ज, राशि, संघात अवस्था, वैधव्य । -सटाच्छटा भिन्नषनेन-शि० ११४७ 2. प्रकाश | छत्रकः [छत्र+के+क] शिव की पूजा के लिए मन्दिर, किरण-समूह, कान्ति, दीप्ति, प्रकाश-शि० ८१३८ | -कम् कुकुरमुत्ता, खुम्भी। 3. अविच्छिन्न रेखा, लकीर-छातेतराम्बुच्छटा-काव्य। छत्रा, छत्राकः [छद्+ष्ट्रन्+टाप्, छत्रा+कन्] कुकुरमुत्ता, सम-आमा बिजली,-फलः सुपारी का वृक्ष। | खुम्भी -मनु० ५।१९-याज्ञ० १११७६ । [छादयति अनेन इति-छद्+णि+त्रन, हस्व:] | छत्रिकः [छत्र+ठन् ] छाता लेकर चलने वाला। कुकुरमुत्ता, खुभी,--त्रम् छाता, छतरी-अदेयमासीत् छत्रिन् (वि.) (स्त्री०–णी) [छत्र+इनि] छाता रखने प्रयमेव भूपतेः शशिप्रभं छत्रमुभे च चामरे-रघु० वाला या लेकर चलने वाला--(पुं०) नाई।। ३२१६ मनु०७।१६। सम-घर-बार छत्र पकड़ छत्थरः [छद्+वरच्] 1. घर 2. कुञ्ज, पर्णशाला। कर चलने वाला,--बारणम् 1. छाता लेकर चलना, छद् (भ्वा०'चुरा० उभ०-छदति-ते, छादयति-ते, या छाता रखना-मनु० २११७८ 2. राजकीय छन्न, छादित) 1. ढकना, ऊपर से ढाप देना, पर्दा करना For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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