________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ३८९ ) -हमश्छन्ना--मेष० ७६, चक्षुः खेदात्सलिलगुरुभिः । पानी पीने के लिए फुसलाया गया 2. प्रार्थना करना, पश्मभिश्छादयन्तीम्-मेघ० ९०; छनोपान्त'... निवेदन करना 3. अनुनय करना 4. कुछ देना। काननानः-१८ 2. (चादर की भांति) बिछाना, छन्दः [छन्द्+पा] 1. कामना, इच्छा, कल्पना, चाह, ढापना 3. छिपाना, ढक लेना, ग्रहण लगना (आलं.),
अभिलाषा,-विज्ञायतां देवि यस्ते छन्द इति-विक्रम गुप्त रखना -ज्ञानपूर्व कृतं कर्म छादयंन्ते ह्यसाधवः
३, जैसा आप चाहें 2. स्वतन्त्र इच्छा, अपनी छोट, --महा०, छन्नं दोषमुदाहरन्ती-मृच्छ० ९।४,-अब,
मन की मौज, कामचार, स्वतन्त्र या इच्छानुकूल छिपाना, ढकना, ढापना, मा-, 1. ढापना
आचरण-षष्ठे काले त्वमपि दिवसस्यात्मनश्छन्दवर्ती नाच्छादयति कौपीनम्-पंच० ३.९७ 2. छिपाना,
-विक्रम० २१, गीत० १, याज्ञ० २।१९५, स्वछन्दम् ढकना--भानोराच्छादयत्प्रभाम्-महा. 3. वस्त्र
अपनी स्वतन्त्र इच्छा के अनुसार, निरपेक्ष रूप से धारण करना, कपड़े पहनना-मनु० ३।२७, वस्त्र
3. (अतः) वश्यता, नियन्त्रण 4. मतलब, इरादा मान्छादयति, उद-उघाड़ना, कपड़े उतारना, उप-,
आशय 5. जहर। 1. आच्छादित करना 2. छिपाना, ढकना, परि
छन्दस् (नपुं०) [छन्+असुन्] 1. कामना, चाह, कल्पना, 1. ढांपना, पहनना-दर्भस्तं परिच्छाद्य-पंच० २,
इच्छा, मरजी--(गलीयात) मूर्ख छन्दोऽनवृत्तेन या द्वीपिचर्मपरिच्छन्नः (गर्दभः) हि० ३१९ 2. छिपाना,
थातथ्येन पण्डितम् ... चाण. ३३ 2. स्वतन्त्र इच्छा, ढांपना, प्र-, 1. ढांपना, लपेटना, पर्दा डालना, अव
स्वेच्छाचरण 3. मतलब, इरादा. 4. जालसाजी, गुंठित करना-(वनं) प्राच्छादयदमेयात्मा नीहारे- चालाकी, धोखा 5. वेद, वैदिक सूबतों का पावन पाठ व चन्द्रमाः --महा० 2. छिपाना, ढकना, भेस बद
- स च कुलपतिराद्यश्छन्दसां यः प्रयोक्ता-उत्तर० लना-प्रच्छादय स्वान् गुणान्-भर्तृ० २१७७ प्रदान ३४८, बहुलं छन्दसि-पाणिनि के द्वारा बहुधा प्रयुक्त, प्रच्छन्नम् २१६४, मनु० ४।१९८, १०४०, चौर० ४
प्रणवश्छन्दसामिव - रघु०११११, याज्ञ० १११४३, मनु० 3. कपड़े पहनना, वस्त्र धारण करना 4. रुकावट
४।९५ 6. वृत्त, छन्द - ऋक् छन्दसा आशास्ते-श०४, डालना, रोड़ा अटकाना, प्रति-, 1. छिपाना, ढकना गायत्री छन्दसामहम्-भग०१०।३५, १३३१४ 7. मन्दों 2. ढांपना, लपेटना सम्-1. छिपाना 2. अवगुंठित
का ज्ञान, छन्दः शास्त्र (छः वेदाङ्गों में से छन्दः शास्त्र करना, लपेटना।
भी एक वेदाङ्गमाना जाता है-अन्य वेदान:छरः, छदनम् [छद् -+-अच्, ल्युट् वा ] 1. आवरण, चादर, शिक्षा, व्याकरण, कल्प, निरुक्त और ज्योतिष) । सम.
अल्पच्छद, उत्तरच्छद आदि 2. स्कन्ध, पक्ष-छदहेम -कृतम् वेद का पद्यात्मक भाग या कोई दूसरी पावन कषन्निवालसत्-नै० २०६९3. पत्र, पर्ण 4. म्यान,
रचना यथोदितेन विधिना नित्यं छन्दस्कृतं पठेत खोल, गिलाफ, पेटी, बक्स ।
---मनु० ४।१००,-गः (छन्दोगः) 1. श्लोकों का छदिः (स्त्री०) छदिस् (नपुं०) [छद् +कि, इस् वा] सस्वर पाठ करने वाला 2. सामगायक या सामगान 1. गाड़ी की छत 2. घर की छत या छप्पर ।
का विद्यार्थी-मनु० ३३१४५, (छन्दोगः सामवेदाध्यायी) छपन् (नपुं०) [छद्+मनित ] 1. धोखा देने वाले वस्त्र, -भङ्गः छन्दः शास्त्र के नियमों का उल्लंघन,-विचितिः
कपटवेश 2. दलील, बहाना, ब्याज-ब्रह्मछपा सामर्य- (स्त्री०) 'छन्द: परीक्षा' छन्दः शास्त्र का एक अन्य सारः-महावी० २।२५, पलितछमना जरा--रघु० -कभी कभी इसे दण्डिरचित माना जाता है-छन्दो१२१२, शि० २।२१ 3. जालसाजी, बेईमानी, चालाकी विचित्यां सकलस्तत्प्रपञ्चो निदर्शित: काव्या० १२१२। --छपना परिददामि मृत्यबे-उत्तर० ११४५, मनु० छन्न (वि.) [छद्+क्त ] 1. ढका हुआ 2. छिपा हमा, ४।१९९, ९।७२। सम०--तापसः बना हुआ तपस्वी, गुप्त, रहस्य आदि, दे० 'छद्' । पाखडी,-रूपेण (अव्य०) अज्ञात रूप से, भेस बदल | छमछम् +अण्डन् ] अनाथ, मातृपितहीन, जिसका कोई
कर,-वेशिन् (पुं०) खिलाड़ी, ठग, भेस बदले हुए। सम्बन्धी न हो। छनिन् (वि.) (स्त्री० --नी) [छद्मन+इनि ] 1. जाल- छई (चुरा० उभ०----छर्दयति, छर्दित) वमन करना, के
साज, धोखेबाज 2. भेस बदलते हुए (समास के अन्त | करना। में) उदा०- ब्राह्मण छपिन् ब्राह्मण का रूप धारण | छवः, छर्दनं छविः (स्त्री०), छविका छविस् (स्त्री०) किये हुए।
[छर्द +घञ्, ल्युट्, इन्, छर्दि+कन्+टाप, छर्द + छन्द (चुरा० उभ०-छंदयति -ते, छंदित) 1. प्रसन्न इति वा] वमन, के करना, अस्वस्थता।
करना, तुष्ट करना 2. फुसलाना, बहकाना 3. ढाँपना छलः,-लम् [छल+अच् ] 1. जालसाजी, चालाकी, षोखा, 4. प्रसन्न होना, उप-1. चापलूसी करना, फूसलाना, दगाबाजी-विग्रहे शठपलायनच्छलानि-रघु० १९॥३१, आमन्त्रित करना-त्वयोपछन्दित उदकेन-श० ५, छलमत्र न गृह्यते-मृच्छ० ९।१८, यास. १६६१,
For Private and Personal Use Only