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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३८२ ) 2. नाटक का पात्र या अभिनेता,-कर्मन् (नपुं० ) 1. असा-। और वसिष्ठ) का विशेषण, जः बहस्पति का विशेषण धारण कार्य 2. विभूषित करना, सजाना 3. तस्वीर --संस्थ (वि.) चित्रित,---हस्तः युद्ध के अवसर पर 4. जादू, (पुं०) 1. आश्चर्यजनक करतब करने वाला हाथों की विशष अवस्थिति । जादूगर 2. चित्रकार, 'विद् (पु०) 1. चित्रकार | चित्रकः [ चित्र कन् ] 1. चित्रकार 2. सामान्य शेर 2. जादूगर, -कायः साधारण शेर 2. चौता, कारः 3. छोटा शिकारी चीता 4. एक वृक्ष का नाम,-कम् 1. चित्रकारी करने वाला 2. एक वर्णसंकर जाति मस्तक पर साम्प्रदायिक तिलक । (स्थपतेरपि गान्धिक्या चित्रकारी व्यजायत-पराशर०), चित्रल (वि०) [ चित्र+कल | चितकबरा, चित्तीदार, ----कूट: एक पहाड़ का नाम, इलाहाबाद के निकट एक -लः रंगबिरंगा रंग । जिले का नाम - रघु० १२११५, १३१४७ उत्तर०१, चित्रा [चित्र- अच्+टाप् चांद्र मास का चौदहवाँ नक्षत्र, ---कृत (पुं०) चित्रकार, ---क्रिया चित्रकारी,---ग, हिमनिर्मक्तयोोंगे चित्राचंद्रमसोरिव-रघ०११४६ । ----गत (वि०) चित्रित किया हुआ, -न्धम् हरताल, __ सम० --अटीरः, ईशः चाँद ।। -गुप्तः यमराज के कार्यालय में मनुष्यों के गुण तथा | चित्रिकः चैत्र+क पृषो० सावः चैत्र का महीना। अवगुणों को लिखने वाला--- मुद्रा० ११२०, गृहम् चित्रिणी [चित्र-णिनि, चित्र अस्त्यर्थे इनि वा] भांति २ चित्रित घर,--जल्पः अटकलपच्च और असंबद्ध बात, के बद्धिवैभव और श्रेष्ठताओं से यक्त स्त्री, रतिशास्त्र विभिन्न विषयों पर बातचीत,-वच् (पुं०) भूर्ज वृक्ष, में वणित चार प्रकार (पद्मिनी, चित्रिणी, शंखिनी ...-दण्डकः कपास का पौधा, - न्यस्त (वि.) चित्रित, और हस्तिनी या करिणी) की स्त्रियों में एक । तस्वीर में उतारा हुआ कु० २२४, -पक्षः चकार- रतिमंजरी में चित्रिणी' की परिभाषा इस प्रकार दो सदृश तीतर,–पटः,-ट्टः 1. आलेख, तस्वीर 2. रंगीन गई है :--भवति रतिरसज्ञा नातिखर्वा न दीर्घा या चारखानेदार कपड़ा,-पद, (वि०) 1. भिन्न २ भागों तिलकुसुमसुनासा स्निग्वनीलोत्पलाक्षी-घन कठिनमें विभवत 2. ललित पदावली से युक्त,- पादा मैना, कुचाढया सुंदरो बद्धशीला, सकलगुणविचित्रा चित्रिणी सारिका,-पिच्छकः मोर,-पंखः एक प्रकार का वाण, चित्रवत्रा 0 .....पृष्ठ: चिड़िया,--फलकम् चित्र-पटल, चित्र रखने चित्रित (वि.)[ चित्र -क्त ] 1. रंगबिरंगा, चित्तीदार का तख्ता,--बहः मोर,-भानः 1. आग 2. सूर्य (चित्र 2. चित्रकारी से युक्त । भाविभातीति दिने रवी रात्री वह्नौ-काव्य०२. चित्रिन् (वि०) (स्त्री----णी) |चि-+-इनि] 1. आश्चर्यअजन विधि का निदर्शन दिया गया है) 3. भैरव । कारी2 रगबिरगा। 4. मदार का पौधा,--मण्डल: एक प्रकार का साँप, | चित्रीयते (ना० धा० ... आ०... 1. आश्चर्य पैदा करना, -~-मृगः चित्तीदार हरिण,—मेखल: मोर, -योधिन आश्चर्यजनक होना-एवमत्तरोत्तरभावदिचत्रीयते जीव(पुं०) अर्जुन का विशेषण,--रथः 1. सूर्य 2. गंधर्वो लोकः-महावी० ५, भट्टि. १७६४, १८१२३ के एक राजा का नाम, मुनि नामक पत्नी से कश्यप के 2. आश्चर्य करना। १६ पुत्र हुए चित्ररथ उनमें से एक है-- अत्र मनेस्त- चिन्त (चरा० उभ०-- चिन्तयति-ते, चिन्तित) 1. सोचना, नयश्चित्रसेनादीनां पञ्चदशानां भ्रातणामधिको गुणः ।। विचारना, विमर्श करना, चिन्तन करना-तच्छुत्वा षोडशश्चित्ररथो नाम समुत्पन्न:-काव्य १३६, विक्रम पिकलकश्चिन्तयामास-पंच० 1. चिन्तय तावत्के नापदे१,- लेख (वि०) सुन्दर रूपरेखा वाला, अत्यन्त मंडला- शेन पुन राश्रमपदं गच्छामः -श० 2. सोचना, विवार कार-रुचिस्तव कलावती रुविरचित्रलेखे भ्रवौ--. गीत० करना, मन में लाना - तस्मादेतत् (वित्त) न चिन्तयेत् १०, (खा) बाणासुर की पुत्री, उश की एक सहेली - हि० १, तस्मादस्य व राजा मनसापि न चिन्तयेत् (जब उपा ने अपना स्वप्न अपनो सहेली चित्रलेखा को मनु० ८।३८१, ४१२५८, पंच०१।१३५, चौर० १ सुनाया, तो उसने यह सुझाव दिया कि इस चित्र को 3. ध्यान करना, देखभाल करना, देखरेख रखना आस-पास के राज्यों में घमाया जाय, इस प्रकार जव ---रघु० ११६४ 4.प्रत्यास्मरण करना, याद करना, उषा ने अनिरुद्ध को पहचान लिया तो चित्रलेखा ने 5. मालन करना, उपाय करना, खोज करना, सोच अपने जादू के द्वारा अनिरुद्ध को उपा के महल में कर उपाय निकालना... कोप-युपायश्चिन्त्यताम् ...हि. बलवा दिया),---लेखक: चित्रकार --लेखनिका नित्रकार १ 6. खयाल रखना, सम्मान करना 7. तोलना, की तूलिका, कंची,----विचित्र (वि०) 1. रंगविरंगा, विशेषता बनाना 8. चर्चा करना, निरूपण करना, चित्तकबरा 2. बेलबटेदार,-विद्या चित्रकला-भाला प्रतिपादन करना, अन--., वार वार चिन्तन करना, चित्रकार का कार्यालय,-शिखण्डिन (पुं०) सात पिछला याद करना, मन में तोलना -- श० २१९, भग० ऋषियों (मरीचि, अंगिरस्, अत्रि, पुलस्त्य, पुलह, ऋतु, I ८८, परि · , 1. सोचना, विचारना, कूतना- त्वमेव For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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