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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३८१ ) देर लगाया हुआ, अंबार लगाया हुआ, इकट्ठा किया में) मन की आन्तरिक क्रिया, मानसिक दृष्टि-योगहुआ 2. जमा किया हुआ, संचित 3. प्राप्त, गृहीत । श्चित्तवृत्तिनिरोधः---योग-वेदना कष्ट, चिन्ता 4. ढका हुआ-कृमिकुलचितम्-भर्तृ० २०११ 5. जमाया -~-वैकल्यम मन की व्यग्रता, परेशानी-हारिन् (वि०) हुआ, जड़ा हुआ,-तम् भवन । मनोहर, आकर्षक रुचिकर । चिता [चित+टाप मुर्दे को जलाने के लिए चुनकर रक्खी | चित्तवत (वि.)[ चित्त-मतप, मस्य वः] 1. तर्कसंगत, हुई लकड़ियों का ढेर, चितिका-कुरु संप्रति ताव तर्कयक्त 2. सकरुण, सदय । दोशु में प्रणिपाताञ्जलियाचितश्चिताम्-कु० ४।३५, चित्यम् [ चि+क्यप् ] शव-दाह करने का स्थान,-त्या चिताभस्मन्-कु० ५।६९। सम०–अग्निः शव 1. चिता 2. काष्ठचयन, (वेदी का) निर्माण । को जलाने वाली आग,—चूडकम् चिता । | चित्र (वि.) [ चित्र+अच, चि+ष्ट्रन वा ] 1. उज्ज्वल, चितिः (स्त्री०) [चि+क्तिन्] 1. संग्रह करना, इकट्ठा स्पष्ट 2. चितकबरा, धब्बेदार, शबलीकृत 3. दिलचस्प, ___करना 2. ढेर, समुच्चय, पुंज 3. अम्बार, टाल, चट्टा रुचिकर मा०-१।४ 4. विविध, विभिन्न प्रकार का, 4. चिता 5. चौकोर आयताकार स्थान 6. समझ।। भांति २ का-पंच० १११३६, मनु० ९।२४८, याज्ञ० चितिका [चिता+कन् ।-टाप, इत्वम्] 1. टाल, चट्टा ११२८८5. आश्चर्यजनक, अदभुत, अजीब,-त्र: 1. रंग2. चिता 3. करधनी। विरंगा वर्ण रंग 2. अशोक वृक्ष,-त्रम 1. तसवीर, चित्त (वि.) [चित्+क्त] 1. देखा हुआ, प्रत्यक्षज्ञात चित्रकारी, आलेखन-चित्रे निवेश्य परिकल्पितसत्त्व 2. सोचा हुआ, विचारविमर्श किया हुआ, मनन किया योगा-श० २।९, पुनरपि चित्रीकृता कांता-श० हुआ 3. संकल्प किया हुआ 4. अभिप्रेत, अभिलषित, ६।२०, १३,२१ आदि 2. चमकीला आभूषण 3. असाइच्छित,-त्तम् 1. देखना, ध्यान देना 2. विचार, धारण छवि, आश्चर्य 4. सांप्रदायिक तिलक 5. आकाश, चिन्तन, अवधान, इच्छा, अभिप्राय, उद्देश्य-मच्चित्तः गगन 6. धब्बा 7. सफेद कोढ़, फुलबहरी 8. (सा० सततं भव-भग० १८.५७, अनेकचित्तविभ्रान्त १६११६ शा० में) काव्य के तीन भेदों में अन्तिम काव्यभेद 3. मन-यदासौ दुर्वारः प्रसरति मदश्चित्तकरिणः (यह शब्दचित्र' और 'अर्थवाच्यचित्र' दो प्रकार का है, -~~शा० श२२, इसी प्रकार 'चलचित्त' आदि समस्त काव्यसौन्दर्य मुख्यरूप से अलंकारों के प्रयोग पर निर्भर शब्द 4. हृदय (बुद्धि का स्थान माना जाता है) करता है, जो शब्दों की ध्वनि और अर्थ पर आश्रित 5. तर्क, बुद्धि, तर्कनाशक्ति। सम०-अनुवतिन् है, मम्मट परिभाषा देता है--- शब्दचित्रं वाच्यचित्रम(वि०) मन के अनुकूल कार्य करने वाला, अनुरंजन- व्यङग्य त्ववरं स्मृतम् - काव्य. १) 'शब्दचित्र' का कारी, अपहारक, अपहारिन ( वि० ) मनोहर, उदाहरण रसगंगाधर से उद्धृत किया जाता है--मित्राआकर्षक, मोहक,-आभोगः भावनाओं के प्रति मन त्रिपुत्रनेत्राय त्रयीशात्रवशत्रवे, गोवारिगोत्रजेत्राय की आसक्ति, किसी एक वस्तु में अनन्य अनुराग, गोत्रात्रे ते नमो नमः । --त्रम् (अव्य०) अहा ! कैसा आसनः आसक्ति अनुराग, उद्रेक: घमंड, गर्व, विस्मय है! क्या अद्भुत बात है-चित्र बधिरो नाम -ऐक्यम् सहमति, मतैक्य, उन्नतिः, समुन्नतिः (स्त्री०) व्याकरणमध्यष्यते-सिद्धा० । सम० --अक्षी,-नेत्रा, 1. महानुभावता 2. घमंड, दर्प,--चारिन (वि.) दूसरे -लोचना एक पक्षिविशेष, मैना,-अङ्ग (वि०) धारी की इच्छा के अनुसार काम करने वाला, -जः-- जन्मन् दार, चित्तीदार, शरीरधारी (गम्) सिंदूर, अन्नम् (पुं०),-भ-योनिः 1. प्रेम, आवेश 2. प्रेम का रंगदार मसालों से प्रसाधित चावल—याज्ञ० ११३०४, देवता काम देव-चितयोनिरभवत्पुनर्न यः --रघु० १९॥ ...- अपूपः एक प्रकार का पूड़ा, अपित (वि.) तस्वीर ४६, सोऽयं प्रसिद्धविभवः खलु चित्तजन्मा -..-मा० ११२०, में उतारा हुआ, चित्रित, आरम्भः (वि.) चित्रित - (वि०) दूसरे के मन की बात जानने वाला,-नाशः - रघु० ॥३१, कु० ३१४२–आकृतिः (स्त्री०) बेहोशी,---निर्वतिः (स्त्री०) संतोष, प्रसन्नता, प्रशम चित्रित प्रतिकृति, आलोकचित्र,-आयसम् इस्पात (वि०) स्वस्थ, शान्त, (-मः) मन की शान्ति, प्रसन्नता -आरम्भः चित्रित दृश्य, चित्र की रूपरेखा - विक्रम हर्ष, खुशी,-भेवः 1. विचारभेद 2. असंगति, अस्थिरता, ११४,-उक्तिः (स्त्री०) 1. रुचिकर या वाक्चातुर्य ----मोहः मनोमुग्धता,-विक्षेपः मन का उचाटपन--. से पूर्ण प्रवचन-- जयन्ति ते पञ्चमनादमित्रचित्रोक्तिविप्लवः-विभ्रमः चित्तभ्रंश, बद्धिभ्रंश, उन्मत्तता संदर्भविभषणेषु-विक्रम० १११० 2. आकाशवाणी पागलपन,--विश्लेषः मैत्री-भंग,-वृत्तिः (स्त्री०) 1 मन 3. अद्भुतकहानी,-ओवनः हल्दी से रंगा पीला भात की अवस्था या स्वभाव, रुचि, भावना-एवमात्माभि- --कण्ठः कबूतर,-कथालापः रोचक तथा मनोरंजक प्रायसंभावितेष्टजनचित्तवृत्तिः प्रार्थयिता विडम्ब्यते-श० कहानियाँ सुनाना, कम्बल: 1. छींट की बनी हाथी की २ 2. आन्तरिक अभिप्राय, संवेग 3. (योग----द० । झूल 2. रंग बिरंगा कालीन,-करः 1. चित्रकार For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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