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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३४० ) गलनम् [ गल+ ल्युट ] 1. रिसना, चूना, टपकना 2. चूना, | 1. स्फटिक 2. वैदूर्यमणि 3. कटोरा, शराब पीने का पिषल जाना। गिलास। गलन्तिका, गलती [गल-शत+कोष, नुम्,+कन्+टाप् | गल्ह (भ्वा०-आ०--ल्हते, गल्हित) कलंक लगाना, इत्वम्,-गल+शत+डीए, नुम् ] 1. छोटा घड़ा | निन्दा करना। 2. छोटा पड़ा जिसकी पेंदी में छेद करके देव मूर्ति पर गव [ कुछ समासों, विशेष कर स्वरों से आरंभ होने वाले टांग देते हैं, जिससे कि उस छेद से बराबर जल टप- शब्दों के आरम्भ में 'गो' शब्द का स्थानापन्न पर्याय ] कता रहता है। सम०-अक्षः रोशनदान, झरोखा--विलोलनेत्रभ्रमरैगलि: [ गरि, उस्य लः, गल+इन वा ] हृष्ट पुष्ट परन्तु गवाक्षाः सहस्रपत्राभरणा बभूवुः-रघु० ७।११, कुवमट्ठा बैल । दे० गडि। लयितगवाक्षां लोचनैरङ्गनाना-७१९३, कु. ७५८, गलित (भू० क. कृ०) [गल+क्त ] 1. टपका हुआ, मेघ० ९८, जालम्-जाली, झिलमिली,-अक्षित नीचे गिरा हुआ 2. पिघला हुआ 3. रिसा हुआ, बहता (वि.) खिड़कियों वाला,--अग्रम् गौंवों का झुंड हुमा 4. नष्ट, ओझल, वञ्चित 5. बंधन-रहित, ढीला (गोऽग्रम्, गोअग्रम् या गवाग्रम् लिखा जाता है), 6. खाली हुआ, चू चू कर जो खाली हो गया हो ---अदनम् चरागाह, गोचरभूमि,-अदनी 1. चरागाह 7. छाना हुआ 8. क्षीण, निर्बल किया हुआ। सम० 2. खोर, नांद जिसमें पशुओं के खाने के लिए घास -कृष्ठम् बढ़ा हुआ या असाध्य कोढ़ जब कि हाथ रक्खा जाता है,-अधिका लाख,--अर्ह (वि.) गाय पैर की अंगुलियों भी गल कर गिर जाती है,-वन्त के मूल्य का, अविकम् गाय और भेड़ें, अशनः (वि.) दन्तहीन,—पयन जिसकी आँखों में देखने की 1. मोची 2. जाति से बहिष्कृत, अश्वम बैल और घोड़े, शक्ति न रहे, अंधा। -आकृति (वि.) गाय की शक्ल वाला,-आह्निकम् गलितकः [गलित इव कायति-के+क] एक प्रकार का प्रतिदिन गाय को चारा देने की नाप,--इन्द्र: 1. गौंओं नृत्य। का स्वामी 2. बढ़िया बैल,--शि.,-श्वरः मौओं का गलेगः [अलक स० त०] एक पक्षी जिसके गले से मांस स्वामी, उदः सर्वोत्तम गाय या बैल। की थैली सी लटकती रहती है। गवयः गो+अय+अच] बैल की जाति-गोसदृशो गलम् (भ्वा० आ०-गल्भते, गल्भित) साहसी या विश्वस्त गवय:-तर्क०-दृष्ट: कथंचिद्गवये विविग्न:-कु० ११५६, होना, प्र--, साहसी या आत्म विश्वासी होना-या ऋतु० ११२३। कथंचन सखीवचनेन प्रागभिप्रियतमं प्रजगल्भे-शि० | गवालक: [गवाय शब्दाय अलति-गव+अल+ऊका ] १०१८, न मौक्तिकच्छिद्रकरी शलाका प्रगल्भते कर्मणि =-गवय । टरिकायाः-विक्रमांक १११६, टांकी का काम करने | गविनी/गो+इनि+डीप ] गोओं का झंड या लहंडा । में सक्षम या साहसी नहीं हो सकता। गवेः-,--धुका [ ? ] पशुओं को खिलाने का चारा, गरम (वि.) [गल्भ् +अच् ] साहसी आत्मविश्वासी, । घास । जीवट का। गवेरुकम् गेरू। गल्या [गलानां कण्ठानां समूहः-गल+यत्+टाप् ] गवेष (भ्वा० आ०--चरा० पर. - गवेषते, गवेषयति, कण्ठों का समूह। गवेषित) 1. ढूंढना, खोजना, तलाश करना, पूछ ताछ गल्ल[गल+ल] गाल, विशेषकर मुख के दोनों किनारों करना-तस्मादेष यतः प्राप्तस्तत्रवान्यो गवेष्यताम का पार्श्ववर्ती गाल (अलं० शास्त्री इस शब्द को -कथा० ५५, १७६ 2. प्रयत्न करना, उत्कट इच्छा 'प्राम्य' अर्थात् गंवारू मानते हैं-तु०, काव्य०७ में करना, प्रबल उद्योग करना-गवेषमाणं महिषीकुलं दिए गए उदाहरण का-ताम्बूलभूतगल्लोऽयं भल्लं - जलम्-ऋतु० १२१।। जल्पति मानुषः, परन्तु तु. भवभूति के प्रयोग की | गवेष (वि०) [गवेष्+अच् ] खोजने वाला,-ष: खोज, -----पातालप्रतिमल्लगल्लविवरप्रक्षिप्तसप्तार्णवम्-मा० पूछताछ। ५।२२। सम-चातुरी गाल के नीचे रखा जाने गवेषणम्,-णा [गवेष+ ल्युट, युच+टाप् वा ] किसी - वस्तु की खोज, या तलाश । गल्लक गिल+क्विप,गल, तंलाति ला+क, तत: स्वार्थ गोषित (वि.) [गवेष+क्त ] खोजा हुआ, ढूंढा हुआ, कन् ] 1. शराब का गिलास 2. पुखराज, नीलमणि, | तलाश किया हुआ। देनी. 'गल्वर्क। गव्य (वि.) [गो+यत् ] 1. गौ आदि पशुओं से युक्त मी: मदिरा पीने का प्याला । 2. गौओं से प्राप्त दूध, दही आदि 3. पशुओं के लिए गाव: [गर्मणिभेदः तस्य बर्को दीप्तिरिव-ब. स. ] उपयुक्त,-म्पम् 1. गौगों की हेड, मवेशी 2. गोचर गलबाला छोटा गोल मातुरी गाल के नाणवम्-माः | For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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